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न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर एक सर्जरी प्रोसीजर है। इसे हृदय के ऊपरी हिस्से (दाएं व बाएं चैम्बर के बीच) में एक सेप्टल डिफेक्ट को बंद करने के लिए किया जाता है। इस स्थिति को एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहा जाता है। इस सर्जरी प्रोसीजर की मदद से ऑक्सीजन युक्त और बिना ऑक्सीजन वाले रक्त को आपस में मिलने से रोका जाता है। यदि एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट को बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए तो इससे “सायनोसिस” नामक रोग हो जाता है। सायनोसिस को हिन्दी भाषा में नीलिमा या नीलरोग भी कहा जाता है, जिसमें शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त की कमी होने के कारण त्वचा का रंग नीला पड़ने लगता है। सर्जरी से पहले आपके डॉक्टर कुछ डायग्नोस्टिक टेस्ट करते हैं, जिसकी मदद से सेप्टल की करीब से जांच की जाती है। इस सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है।

सर्जरी के बाद आपको सर्जरी वाले घावों की विशेष रूप से देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। सर्जरी के बाद तीन महीनों तक आपको डॉक्टर कई बार अस्पताल में बुला सकते हैं, जिस दौरान आपके स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

(और पढ़ें - ऑक्सीजन की कमी का इलाज)

  1. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर क्या है - What is Minimally invasive atrial septal defect repair in Hindi
  2. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर क्यों की है - Why is Minimally invasive atrial septal defect repair done in Hindi
  3. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर से पहले - Before Minimally invasive atrial septal defect repair in Hindi
  4. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर के दौरान - During Minimally invasive atrial septal defect repair in Hindi
  5. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर के बाद - After Minimally invasive atrial septal defect repair in Hindi
  6. मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर की जटिलताएं - Complications of Minimally invasive atrial septal defect repair in Hindi
न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर के डॉक्टर

न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी किसे कहते हैं?

मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर नामक सर्जरी प्रोसीजर की मदद से एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट को बंद किया जाता है। सेप्टम हृदय के दोनों ऊपरी कक्षों (दाएं व बाएं एट्रिया) के बीच स्थित एक वाल्व होती है। जन्म के दौरान शिशु के एट्रियल सेप्टम में एक छोटा सा छिद्र होता है, जो बाद में बंद हो जाता है। हालांकि, यदि छिद्र लगातार बना रहता है शरीर से हृदय में जाने वाला रक्त (बिना ऑक्सीजन वाला) फेफड़ों से हृदय में जाने वाले रक्त (ऑक्सीजन युक्त) से मिलने लगता है। इस स्थिति में रक्त का बहाव फेफड़ों में बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप सायनोसिस रोग हो जाता है। इसमें शुरुआत में थकानकमजोरी जैसे लक्षण होने लगते हैं और बाद में इससे हार्ट फेलियर तक की समस्या हो सकती है।

न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी की मदद से सायनोसिस रोग को विकसित होने से रोका जा सकता है।

(और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के उपाय)

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न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी किसलिए की जाती है?

यदि आपको एट्रियल सेप्टम डिफेक्ट नामक हृदय रोग है, तो डॉक्टर यह सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं। शुरुआत में एएसडी से बच्चे में कोई लक्षण नहीं दिखता है और वह सामान्य रूप से स्वस्थ दिखाई देता है। हालांकि, यदि एएसडी में छिद्र बड़ा है, तो बचपन या किशोरावस्था में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

  • सायनोसिस
  • थकान 
  • शारीरिक रूप से धीरे बढ़ना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • शारीरिक गतिविधियां करने पर सांस फूलना
  • तेज व गहरी सांस लेना
  • हार्ट पल्पिटेशन (वयस्कों में)
  • बार-बार श्वसन तंत्र संक्रमण होना (बच्चों में)

मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

निम्न में से कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर यह सर्जरी न करवाने की सलाह दे सकते हैं -

  • शरीर का वजन कम होना
  • हृदय में एक से अधिक विकार (दोष) होना
  • हृदय की संरचना सही न होना
  • हाई पल्मोनरी वैस्कुलर रेजिस्टेंस

हाई पल्मोनरी वैस्कुलर रेजिस्टेंस ऐसी स्थिति है, जिसमें उन धमनियों का रक्त बहाव रुक जाता है, जो फेफड़ों से हृदय तक रक्त पहुंचाने का काम करती है।

(और पढ़ें - फेफड़ों के रोग का इलाज)

मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी से पहले क्या तैयारी करें?

सर्जरी से एक या दो दिन पहले मरीज को अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान कुछ विशेष परीक्षण किए जाते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण व अन्य टेस्ट करके लक्षणों का पता लगाते हैं जिससे एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट की गंभीरता का अंदाजा लग जाता है। स्टेथोस्कोप की मदद से भी आपकी कुछ जांच की जा सकती है, जिसकी मदद से हृदय में रक्त के बहाव संबंधी असामान्यताओं का पता लग जाता है। यदि स्टेथोस्कोप से कोई असामान्य आवाज आ रही है या फिर किसी प्रकार की आवाज नहीं आ रही है, तो हृदय संबंधी किसी समस्या का संकेत होता है। शारीरिक परीक्षण के अलावा कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें में निम्न शामिल हैं -
  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या कोई अन्य सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर इनमें से कुछ दवाओं को सर्जरी से पहले और बाद में एक निश्चित समय तक न लेने की सलाह दे सकते हैं। इन दवाओं में आमतौर पर रक्त पतला करने वाली दवाएं होती हैं, जैसे एस्पिरिन, आइबुप्रोफेन, वारफेरिन और क्लोपिडोग्रेल आदि।
  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक इन्हें छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिगरेट या शराब पीने से सर्जरी के बाद ठीक होने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और सर्जरी के बाद कई जटिलताएं होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • आपको सर्जरी वाले दिन खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाएगा। खाली पेट रहने के लिए आपको ऑपरेशन से पहले वाली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है। खाली पेट रहने से आपको सर्जरी के दौरान मतली और उल्टी की समस्या नहीं होती है, जो आमतौर पर एनेस्थीसिया का एक साइड इफेक्ट है।
  • ऑपरेशन वाले दिन अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को साथ लाएं जो सर्जरी से पहले के कार्यों में आपकी मदद कर सके और सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सके।
  • आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले एक बार उसे अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।

(और पढ़ें - उल्टी और मतली को रोकने के उपाय)

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न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी कैसे की जाती है?

जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो वहां पर मेडिकल स्टाफ आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को देते हैं, जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है। इसके बाद आपको ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाएगा और एक विशेष टेबल या बेड पर लिटाकर इंजेक्शन सुई की मदद से आपकी बांह पर इंट्रावेनस शुरू कर दी जाती है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से आपको सर्जरी के दौरान आवश्यक द्रव व दवाएं दी जाती हैं। आपको जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है। जब एनेस्थीसिया का असर हो जाता है, तो सर्जरी प्रोसीजर को शुरू किया जाता है जो इस प्रकार है -

(और पढ़ें - गहरी नींद के लिए घरेलू उपाय)

  • छाती पर इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं, जो सर्जरी के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से लगातार हृदय की स्थिति के बारे में बताते हैं।
  • इसके बाद एक विशेष ट्यूब को बांह या जांघ की किसी रक्त वाहिका में डाला जाता है और आगे भेजते हुए उसे हृदय तक पहुंचा दिया जाता है। इस ट्यूब के माध्यम से हृदय में एक विशेष डाई डाली जाती है। इस डाई की मदद से एक्स रे में हृदय की संरचना स्पष्ट दिखाई देती है।
  • इसके बाद हृदय के ऊपरी हिस्से में एक अन्य ट्यूब भेजी जाती है, जिसके सिरे पर एक विशेष गुब्बारा लगा होता है। इस गुब्बारे को सेप्टम के छिद्र में ले जाकर फुलाया जाता है, जिससे छिद्र के आकार का पता लग जाता है।
  • जब सेप्टल के आकार का पता चल जाता है, तो गुब्बारे वाले उपकरण को निकाल कर अन्य ट्यूब को डाला जाता है। इस ट्यूब के सिरे पर एक विशेष उपकरण लगा होता है, जो सेप्टल के छिद्र को बंद कर देता है। कुछ उपकरण छाते की तरह खुल कर छिद्र को बंद करते हैं, जबकि अन्य छिद्र को दोनों तरफ से बंद करते हैं।
  • जब उपकरण की मदद से सेप्टल के छिद्र को बंद कर दिया जाता है, तो ट्यूब को निकाल दिया जाता है। ट्यूब डालने के लिए त्वचा पर बनाए गए छिद्र पर पट्टी कर दी जाती है। यह छिद्र काफी छोटे होते हैं, जिस पर टांके लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

कई बार मिनी एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर प्रोसीजर किया जाता है, जो कुछ इस प्रकार है -

  • सर्जन सबसे पहले सीने के दाईं ओर लगभग 3 इंच का चीरा लगाते हैं, जिसकी मदद से हार्ट-लंग बाईपास किया जाता है।
  • हार्ट-लंग बाईपास में हृदय को रोक दिया जाता है और हार्ट-लंग मशीन की मदद से पूरे शरीर में रक्त को पंप किया जाता है।
  • जब आपको हार्ट-लंग मशीन से जोड़ दिया जाता है, तो सर्जन रिट्रैक्टर नामक उपकरण की मदद से पसलियों के बीच थोड़ी जगह बनाते हैं। 
  • इसके बाद कैथेटर से एक एएसडी बंद करने वाले उपकरण को जोड़ा जाता है और उसे सेप्टम के छिद्र तक पहुंचाया जाता है।
  • जैसे ही उपकरण लग जाता है और सेप्टम का छिद्र बंद हो जाता है, तो हार्ट लंग बाईपास मशीन को हटा दिया जाता है। कैथेटर लगाकर घाव पर पट्टी कर दी जाती है।

मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी को पूरा होने में लगभग एक से दो घंटे का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको दो से चार दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा जाता है। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान निम्न देखभाल की जाती है -

  • सर्जरी के बाद कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसे कम करने के लिए आपको कुछ प्रकार की दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। 
  • घाव से रक्तस्राव को बंद करने के लिए सर्जरी वाले हिस्से पर हल्का दबाव देकर पट्टी कर दी जाती है और आपको पीठ के बल बिना हिले-ढुले लेटने को कहा जाता है।
  • आपको पर्याप्त मात्रा में पानी व अन्य पेय पदार्थ पीने को कहा जाएगा, ताकि पेशाब के माध्यम से डाई आपके शरीर से बाहर निकल सके।
  • सर्जरी के बाद आपके स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे ब्लड टेस्ट, ईसीजी और चेस्ट एक्स रे आदि।

(और पढ़ें - इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम में क्या अंतर है)

न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी के बाद की देखभाल कैसे करें?

ऑपरेशन के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी दी जाती है, तो इस दौरान आपको निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है -

  • घाव की देखभाल
    • सर्जरी के घाव पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं के अलावा किसी भी क्रीम, लोशन, पाउडर या साबुन का इस्तेमाल न करें। क्योंकि इन से त्वचा में खुजली, जलन व लालिमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
    • घाव को साफ व सूखा रखें और नहाने के दौरान उन्हें गीला होने से बचाएं। यदि घाव गीला हो गया है, तो किसी स्वच्छ कपड़े से इसे साफ कर लें।
  • दवाएं
    • सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ समय तक दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं।
    • दर्द निवारक दवाओं के कारण आपको कब्ज की समस्या भी हो सकती है, जिसके लिए मल को पतला (स्टूल सॉफ्टनर) दवाएं दी जाती हैं।
    • न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी के बाद रक्त के थक्के बनने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसके लिए आपको रक्त को पतला करने वाली दवाएं (जैसे एस्पिरिन या क्लोपिडोग्रेल) आदि दी जाती है।
       
  • शारीरिक गतिविधियां
    • सर्जरी के कम से कम सात दिन बाद आपको अपनी दिनचर्या के सामान्य कार्य करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यदि आप कोई ऐसा काम करते हैं, जिसमें शारीरिक मेहनत करनी पड़ती है, तो ऐसे कार्यों को शुरू करने से पहले डॉक्टर से एक बार बात कर लें।
    • सर्जरी के बाद आपको ड्राइविंग या किसी मशीन को ऑपरेट करना शुरू करने से पहले एक बार सर्जन से अनुमति लेना आवश्यक है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -

(और पढ़ें - एनर्जी कैसे बढ़ाएं)

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न्यूनतम इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

मिनीमली इनवेसिव एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट रिपेयर सर्जरी से होने वाले जोखिम व जटिलताओं में निम्न शामिल हैं -

  • धमनी क्षतिग्रस्त होना
  • एनेस्थीसिया से एलर्जी होना
  • हृदय की धड़कनें असामान्य होना
  • संक्रमण
  • रक्त के थक्के जमना
  • सर्जरी वाले हिस्से से रक्तस्राव होना या उस हिस्से में रक्त जमा होना
  • पेसमेकर लगाने की आवश्यकता पड़ना
  • एक्स रे डाई से रिएक्शन होना

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संदर्भ

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