पिट्यूटरी ग्रंथि एंडोक्राइन ग्लैंड की एक छोटी-सी ग्रंथि है जो कि नाक के पीछे मस्तिष्क के बीच में स्थित होती है। ये शरीर में विकास और मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन बनाती है। कैंसर या ट्यूमर की स्थिति में इस ग्रंथि को निकालना काफी बड़ा कदम माना जाता है। अगर दवा या किसी अन्य उपचार से कैंसर या ट्यूमर ठीक न हो पाए तो इस स्थिति में पिट्यूटरी ग्रंथि को निकाला जाता है। ऐसा खासतौर पर क्रेनिओफेरिंजिओमा ट्यूमर की स्थिति में होता है। पिट्यूटरी ग्रंथि को निकालने की सर्जरी को हाइपोफिसेक्टोमी कहा जाता है। इसमें ट्यूमर को निकाल कर आंशिक रूप से ग्रंथि को बनाए रखना होता है।
पिट्यूटरी नेटवर्क एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर हर पांच में से एक व्यक्ति पिट्यूटरी ट्यूमर से ग्रस्त होता है। इससे पहले डॉ. आर.टी कोस्टेलो द्वारा सन् 1936 में किए गए अध्ययन में शामिल सभी प्रतिभागियों में से 22.4 फीसदी लोगों में पिट्यूटी ट्यूमर पाया गया था। तब से लेकर अब तक इसके आंकड़ों में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया है।
पिट्यूटरी ट्यूमर का सामान्य उपचार सर्जरी ही है। जिन लोगों की हाइपोफिसेक्टोमी सर्जरी फेल हो जाती है या जो इस सर्जरी के लिए फिट नहीं होते हैं उन्हें रेडियोथेरेपी दी जाती है।