गर्भावस्था के दौरान अपनी सेहत के को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक सी बात है क्योंकि इस दौरान गर्भ में पल रहा बच्चा अपने पोषण और इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता के लिए पूरी तरह से अपनी मां पर निर्भर रहता है। यही वजह है कि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को काफी संतुलित जीवन जीने की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान खान-पान और डायट को संतुलित रखने की जरूरत होती है, नियमित रूप से चेकअप करवाना और टीकाकरण की जरूरत होती है और साथ में कुछ हल्के फुल्के एक्सरसाइज भी।

इन सबके बीच अगर प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर का तापमान बढ़ जाए तो यह खतरे की बात हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान बॉडी हीट यानी शरीर का तापमान अधिक होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- वायरल इंफेक्शन, बैक्टीरियल इंफेक्शन या फिर जिस क्षेत्र में गर्भवती महिला रह रही है वहां पर तेज गर्मी और लू चलना। अगर प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर का तापमान बढ़ जाए खासकर पहली तिमाही यानी गर्भावस्था के 1 से 3 महीने के बीच तो इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।

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ऐसे में शरीर का तापमान बढ़ने पर घबराने की बजाए आप कुछ नैचरल तरीके अपनाकर बॉडी हीट को कम करने की कोशिश कर सकती हैं। आमतौर पर हल्का बुखार आसानी से और जल्दी ठीक हो जाता है और गर्मी और लू की वजह से बढ़े तापमान को कम करने के लिए आप खुद को ठंडे वातावरण में रख सकती हैं। अगर ये प्राकृतिक तरीके भी काम न आएं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला अपने शरीर के बढ़े हुए तापमान को कैसे कम कर सकती हैं, इस बारे में ही हम आपको बता रहे हैं इस आर्टिकल में।

  1. गर्मी और लू चलने के दौरान शरीर के तापमान को कम कैसे करें? - heatwave ke dauran body temperature kam kaise kare?
  2. गर्भ में पल रहे बच्चे पर मां के शरीर के बढ़े तापमान का क्या असर होता है? - high body heat ka garbh me bachhe par asar
  3. हल्का बुखार हो तो शरीर का तापमान प्राकृतिक तरीके से कैसे कम करें? - low grade fever me body temperature kaise kam kare?
प्रेगनेंसी में प्राकृतिक रूप से शरीर का तापमान कैसे करें कम, जानें के डॉक्टर

प्रेगनेंसी के दौरान बाकी दिनों से ज्यादा गर्मी महसूस होना सामान्य सी बात है। इसकी वजह ये है कि इस दौरान आपके शरीर में हार्मोन्स का लेवल अधिक रहता है। लेकिन गर्मी के मौसम में जब गर्म हवाएं और लू चल रही हो तो इस दौरान गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है ताकि उनके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा न बढ़ जाए। अगर इस दौरान आप जरूरी सावधानियां नहीं बरतेंगी तो आपको लू (हीट स्ट्रोक) लग सकती है या फिर अतिताप (हाइपरथर्मिया) की समस्या हो सकती है।

अगर आप गर्भवती हैं और आपके इलाके में गर्म हवाओं के थपेड़े चल रहे हैं तो आप खुद को ठंडा और शरीर का तापमान कम रखने के लिए इन उपायों को आजमा सकती हैं:

  • खूब सारे तरल पदार्थ का सेवन करें क्योंकि अगर गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हुई तो इससे प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • बाहर कड़ी धूप में जाने की बजाए घर के अंदर या छांव में ही रहें। अगर आपने घर के अंदर एसी चला रखा है तो तापमान को बहुत ज्यादा कम पर न रखें वरना इससे अतिरिक्त समस्याएं हो सकती हैं और हाइपोथर्मिया की दिक्कत हो सकती है। अगर घर में एसी की व्यवस्था नहीं है तो पंखा चलाकर रखें और दिन के समय जब तेज धूप हो तब खिड़की के पर्दे बंद करके रखेँ।
  • खुद को ठंडा और कूल रखने के लिए सूती कपड़े ही पहनें।
  • आप चाहें तो दिन में 2 से 3 बार नहा भी सकती हैं।
  • हाथ, कलाई और पैरों को ठंडा रखने के लिए नल के बहते पानी में इन्हें कुछ देर के लिए रखें।
  • अगर तेज गर्मी की वजह से पैरों में सूजन आ रही हो तो जहां तक संभव हो पैर को ऊपर उठा कर रखें।
  • कॉफी और फैटी चीजें जिनसे शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है उनका सेवन करने से बचें। पानी से भरपूर ताजे फल और सब्जियां जैसे- खीरा, ककड़ी, तरबूज आदि का सेवन करें। आप चाहें तो दही भी खा सकती हैं।

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गर्भावस्था के दौरान अगर महिला के शरीर का तापमान अधिक हो तो इसका आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कई तरह से बुरा असर पड़ता है। साल 2018 में बोस्टन यूनिवर्सिटी के स्लोन एपिडेमोलॉजी सेंटर और अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने मिलकर एक स्टडी की थी जिसमें यह बात सामने आयी कि वैसी महिलाएं जिन्हें प्रेगनेंसी से पहले या प्रेगनेंसी के दौरान बुखार था उनके द्वारा जन्म दिए गए बच्चे में तंत्रिका नली यानी न्यूरल ट्यूब में खराबी की आशंका अधिक थी।

न्यूरल ट्यूब से जुड़ी बीमारी जैसे स्पाइना बिफिडा के साथ पैदा होने वाले बच्चे में पंगु होने का खतरा अधिक था। सीडीसी ने यह भी बताया कि वैसी महिलाएं जिन्होंने प्रेगनेंसी से पहले या बाद में 400 ग्राम फोलिक ऐसिड का सेवन किया उनके होने वाले बच्चे में न्यूरल ट्यूब से जुड़े खतरे को कम करने की संभावना थी।

बैक्टीरियल इंफेक्शन खासकर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीआई) की वजह से होने वाले बुखार का गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर लंबे समय तक काफी बुरा असर पड़ता है क्योंकि यह इंफेक्शन, भ्रूण तक पहुंच कर उसकी इम्यूनिटी पर हमला करता है। इन सभी की वजह से प्रसव के दौरान और उसके बाद भी जटिलताएं बढ़ने की आशंका रहती है।

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आपके शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फैरेनहाइट या 37 डिग्री सेल्सियस होता है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर का तापमान इससे 1 डिग्री भी अधिक हो जाता है तो इसका मतलब है कि आपको बुखार है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान प्राकृतिक रूप से बुखार को कम कैसे करना है इसके लिए आप कई तरह के कदम उठा सकती हैं। जैसे: 

  • खूब सारे तरल पदार्थ का सेवन करें। इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर पानी पीने के साथ-साथ आप ताजे फलों का जूस, सूप या ब्रॉथ का भी सेवन कर सकती हैं।
  • अच्छे से आराम करें ताकि आपके शरीर की इम्यूनिटी मजबूत हो पाए और आप प्राकृतिक रूप से बुखार से लड़ पाएं।
  • एक साफ कपड़े को पानी में भिगोएं, फिर उसमें से अतिरिक्त पानी निचोड़कर कपड़े को माथे पर रख लें। इस तरह से भी फीवर को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • हल्के गुनगुने पानी से स्पंज बाथ लें या फिर आप चाहें तो हल्के गर्म पानी को बाथटब में भरकर कुछ देर के लिए आप उसमें बैठ भी सकती हैं। ध्यान रखें, अगर आप बुखार में ठंडे पानी से नहाएंगी तो आपका तापमान कम होने की बजाए और बढ़ेगा।
  • तली, भुनी, मसालेदार चीजें खाने की बजाए घर में बना सिंपल खाना खाएं जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और सब्जियां शामिल हों।

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