जब बात साबूदाना की आती है तो ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि ये तो व्रत का खाना क्योंकि आमतौर पर साबूदाने की खिचड़ी, वड़ा, पकौड़ा या साबूदाने की खीर व्रत और उपवास के दिनों में खायी जाती है। लेकिन साबूदाना जिसे अंग्रेजी में टैपिओका या सागो भी कहा जाता है सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में पाया जाता है और लोग इसकी अलग-अलग डिश बनाकर इसे खाना पसंद करते हैं। कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, प्रोटीन, डाइट्री फाइबर, आयरन और कैल्शियम से भरपूर साबूदाने में सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम बिल्कुल कम होता है और यह ग्लूटेन-फ्री भी होता है। इसलिए साबूदाना सिर्फ व्रत का खाना नहीं है, बल्कि आप चाहें तो इसे अपनी डेली डाइट में भी शामिल कर सकते हैं।
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इतने सारे फायदों के बावजूद अक्सर गर्भवती महिलाओं के मन में यह आशंका रहती है कि उन्हें प्रेगनेंसी में साबूदाना खाना चाहिए या नहीं। प्रेगनेंसी के दौरान वैसे भी हमें ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हो ताकि होने वाली मां के साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे का भी पूरी तरह से विकास हो सके। इसलिए भोजन के मामले में आपकी चॉइस सही होना जरूरी है। साबूदाना का न्यूट्रिशन लेवल अधिक होता है और आप इसे स्नैक, मील या डेजर्ट किसी भी तरीके से खा सकती हैं। अगर आपके मन में साबूदाना को लेकर कोई आशंका है तो हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में साबूदाना खाना चाहिए या नहीं, और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।
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