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Unjha Shri Gopal Tail बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः इरेक्टाइल डिसफंक्शन, पुरुषों में कामेच्छा की कमी, नसों की कमजोरी, मांसपेशियों की कमजोरी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Unjha Shri Gopal Tail के मुख्य घटक हैं अश्वगंधा, पाथा, शतावरी, शिलाजीत जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Unjha Shri Gopal Tail की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
अश्वगंधा |
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पाथा |
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शतावरी |
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शिलाजीत |
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Unjha Shri Gopal Tail इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Unjha Shri Gopal Tail के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Unjha Shri Gopal Tail का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Unjha Shri Gopal Tail का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बाल चिकित्सा के लिए Unjha Shri Gopal Tail सुरक्षित नहीं है।
क्या Unjha Shri Gopal Tail का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
रिसर्च न होने के कारण Unjha Shri Gopal Tail के नुकसान के विषय में पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। अतः डॉक्टर की सलाह पर ही इसको लें।
क्या Unjha Shri Gopal Tail शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
आप वाहन चला सकते हैं या कोई भारी मशीन से जुड़ा काम कर सकते हैं। क्योंकि Unjha Shri Gopal Tail लेने के बाद क्योंकि आपको नींद नहीं आएगी।
क्या Unjha Shri Gopal Tail का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि Unjha Shri Gopal Tail को लेने से आपको इसकी लत पड़ जाएगी। कोई भी दवा डॉक्टर से पूछ कर ही लें, जिससे कोई हानि न हो।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. Volume- I. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 19-20
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 4. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2004: Page No 122 - 123