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Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः कमजोरी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila के मुख्य घटक हैं नागकेसर, शंखपुष्पी, तिल का तेल, तेज पत्ता, नागबाला जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
नागकेसर |
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शंखपुष्पी |
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तिल का तेल |
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तेज पत्ता |
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नागबाला |
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Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila 50ml इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila 50ml का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
महिलाओं को Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila का इस्तेमाल करने से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह लेने की सलाह दी जाती है।
क्या Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila 50ml का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
चिकित्सक आमतौर पर Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila को महिलाओं के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते हैं। इसलिए चिकित्सक की सलाह के बगैर इसका इस्तेमाल न करें।
क्या Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila 50ml का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बाल चिकित्सा के लिए Baidyanath Nagpur Shrigopal Taila सुरक्षित नहीं है।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No - 125 - 126
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 155 - 157