शोधकर्ताओं ने न्यूरोलॉजिकल म्यूजिक थेरेपी (एनएमटी यानी संगीत उपचार) के जरिये मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का दावा किया है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि यह थेरेपी स्ट्रोक के मरीज की मनोदशा को ही बेहतर नहीं बनाती, बल्कि इससे दिमाग की कार्य करने की क्षमता में भी सुधार होता है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिका ‘टॉपिक इन स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्ब्रिज के एडेनब्रुक अस्पताल की पुनर्वास इकाई के शोधकर्ताओं ने स्ट्रोक के 177 रोगियों के अनुभवों के आधार पर रिसर्च के परिणाम पेश किए।
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कैसे किया गया रिसर्च
शोधकर्ताओं ने इन लोगों को एनएमटी से जुड़े 675 सत्रों में भाग लेने को कहा। इस दौरान शोधकर्ताओं ने जाना कि सत्रों के दौरान मरीजों ने वाद्य यंत्रों (जैसे कीबोर्ड, ड्रम आदि) बजाए थे। इसके अलावा इन लोगों ने ट्रायल में आईपैड और फीचर वाले टंचस्क्रीन यंत्रों का इस्तेमाल किया था। बताया गया कि इसके जरिये मरीजों को उंगली में तेजी और बुद्धिमता की ट्रेनिंग दी गई। शोध की मानें तो इस प्रयास से मरीजों की हाथों की क्रियाओं में सुधार देखा गया।
एनएमटी सत्र में स्ट्रोक के चलते व्यक्ति के मस्तिष्क पर पड़े नकारात्मक प्रभाव को कम करने और दिमाग में सुधार लेने के लिए कई तरह की थेरेपी दी गई थीं। इनमें फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी और क्लीनिकल साइकोलॉजी जैसी थेरेपी शामिल थीं। बाद में शोधकर्ताओं ने 139 रोगियों, उनके रिश्तेदारों और अस्पताल के कर्मचारियों से सवाल-जवाब कर उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार की जांच की। शोधकर्ताओं ने पूछा कि एनएमटी ‘सहायक’ थी या ‘बहुत सहायक’। इसके जवाब में लोगों ने बताया कि म्यूजिक थेरेपी के सत्र से पहले वे काफी उदास थे, लेकिन इसके बाद उनकी जिंदगी में खुशी बढ़ गई।
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स्पीच और लैंग्विज थेरेपी का प्रभाव अधिक
रिसर्च से पता चला कि स्पीच और लैंग्विज (बोलने और भाषण) थेरेपी से मरीजों में सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिया। इन उपचारों के बाद मरीज किसी भी काम को करने के लिए तैयार थे। साथ ही इससे रोगियों की खराब मनोदशा और थकान को दूर करने में मदद मिली। युनाइटेड किंगडम स्थित एआर यूनिवर्सिटी में म्यूजिक थेरेपी के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉक्टर एलेक्स स्ट्रीट ने बताया कि उनके रिसर्च से यह पता चलता है कि न्यूरोलॉजिक म्यूजिक थेरेपी से रोगियों, उनके रिश्तेदारों और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक, जिसे कभी-कभी मस्तिष्क का दौरा भी कहा जाता है, तब होता है जब मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति ब्लॉक हो जाती है या जब मस्तिष्क में एक रक्त वाहिका फट जाती है। इससे मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और फिर कुछ मिनटों के भीतर, मस्तिष्क की कोशिकाएं मरना शुरू हो जाती हैं। इन दोनों मामलों में मस्तिष्क के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या मर जाते हैं। स्ट्रोक से स्थायी मस्तिष्क क्षति, दीर्घकालिक विकलांगता, यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
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स्ट्रोक के लक्षण
स्ट्रोक के मरीज को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं, जैसे-
- बोलने और समझने में परेशानी होना- आप भ्रम का अनुभव कर सकते हैं। आपके बोलने की गति धीमी हो सकती है या समझने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
- बांह या पैर सुन्न महसूस होना या विशेष रूप से आपके शरीर का एक तरफी अंग अचानक सुन्न हो जाए
- एक या दोनों आंखों से देखने में परेशानी होना या धुंधला दिखाई देना
- अचानक गंभीर सिरदर्द होना, जो उल्टी, चक्कर या बदलती चेतना के रूप में बढ़ जाए।