पेट दर्द, पेट के किसी भी क्षेत्र में होने वाले दर्द को कहा जाता है। पेट के क्षेत्र में केवल पेट ही नहीं बल्कि लिवर, किडनी, पित्ताशय और प्रजनन अंग भी आते हैं। पेट दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं। हालांकि, ये ज्यादातर पेट में ज्यादा एसिड बनने के कारण होता है जो बैक्टीरिया या वायरस द्वारा किए जाने वाला एक इंफेक्शन है। फूड पाइजनिंग, पेट में अल्सर और कैंसर भी पेट दर्द के कारण हो सकते हैं।

पेट के अलावा किसी अन्य अंग के विकार से होने वाले पेट दर्द के मुख्य कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, अपेंडिक्स, गुर्दे की पथरी, पित्ताशय में पथरी, महिलाओं में मासिक धर्म की समस्याएं, डाइवर्टिक्युलाइटिस, आंतों में सूजन और यूरिन इन्फेक्शन आदि विकार होते हैं।

पेट दर्द अचानक भी हो सकता है और ये धीरे-धीरे भी बढ़ सकता है। कभी-कभी पेट दर्द जल्दी ठीक हो जाता है और कभी-कभी इसे ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। पेट दर्द के साथ गैस के कारण पेट फूलना, पेट का एसिड खाने के पाइप में आने के कारण सीने में जलन, दस्त, उल्टी और बुखार जैसी कुछ और समस्याएं भी हो सकती हैं।

पेट दर्द के मामले में, होम्योपैथिक दवाएं दर्द को कम करती हैं और इसके कारण से जल्दी ठीक होने में मदद करती है। होम्योपैथिक डॉक्टर रोगी के लक्षणों को अच्छे से समझकर उसके लिए सबसे उपयुक्त दवा देते हैं, जिससे पेट का दर्द पूरी तरह से ठीक किया जाता है।

पेट दर्द के लिए प्रयोग की जाने वाली सबसे सामान्य दवाएं अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum nitricum), आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album), बेलाडोना (Belladonna), ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia Alba), कार्बो वेजीटेबिलिस (Carbo vegetabilis), कार्डुअस मारियानस (​Carduus Marianus), चेलिडोनियम (Chelidonium), क्यूपरम  एसिटिकम (Cuprum aceticum), लायकोपोडियम (Lycopodium), नक्स वोमिका (Nux Vomica), पल्‍साटिला (Pulsatilla), सल्फर (Sulphur), टबाकम (Tabacum), वेरेट्रम (Veratrum), मैग्नीशियम फॉस्फोरिकम (Magnesium phosphoricum), कॉस्टिकम (Causticum), फॉस्फोरस (Phosphorus) और कोल्चिकम (Colchicum), आदि हैं।

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  1. होम्योपैथी में पेट दर्द का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me pet dard ka ilaaj kaise hota hai
  2. पेट दर्द की होम्योपैथिक दवा - Pet dard ki homeopathic dawa
  3. होम्योपैथी में पेट दर्द के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me pet dard ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
  4. पेट दर्द के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Pet dard ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
  5. पेट दर्द के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Pet dard ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
पेट दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथी में ऐसा माना जाता है कि एसिडिटी, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और आंतों में सूजन जैसे विकार ज्यादा समय तक स्ट्रेस रहने के कारण होते हैं। होम्योपैथी एक ऐसा उपचार है जो रोगी का केवल पेट दर्द ही ठीक नहीं करता, बल्कि उसके कारण का भी इलाज करता है।

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अगर दवा का सही चुनाव किया जाए, तो होम्योपैथिक दवाएं पेट दर्द को ठीक करने के साथ-साथ रोगी के स्वास्थ्य को भी बेहतर करती हैं। कई अध्ययनों से ये साबित हुआ है कि अगर होम्योपैथिक दवाओं को खान-पान, जीवनशैली और स्ट्रेस का ध्यान रखते हुए उचित तरीके से लिया जाए, तो ये इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण होने वाले पेट दर्द को असरदार तरीके से ठीक कर सकती हैं। इसके अलावा अध्ययनों से ये भी पता चलता है कि होम्योपैथी से बुलिमिया नर्वोसा और ज्यादा खाने के विकार के कारण होने वाले पेट दर्द, पेट बढ़ने, बदहजमी और कब्ज का इलाज किया जा सकता है।

होम्योपैथिक दवाओं से पेट दर्द का असरदार तरीके से इलाज किया जा सकता है। हालांकि, इसके साथ जीवनशैली और खान-पान के कुछ बदलावों की भी आवश्यकता होती है।

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पेट दर्द के लिए होम्योपैथी में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ आम दवाएं निम्नलिखित हैं:

  • अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)
    सामान्य नाम: सिल्वर नाइट्रेट (Silver nitrate)
    लक्षण: मासिक धर्म की समस्याओं और नींद न आने के कारण होने वाली पेट की गैस व छालों से पेट में दर्द होने लगता है, इसके लिए ये दवा बहुत असरदार है। ये उन लोगों को अधिक सूट करती है जो कमजोर और पतले होते हैं। ऐसे लोग ज्यादातर डरे हुए और बेचैन होते हैं। इस दवा से कुछ अन्य लक्षण भी ठीक किए जा सकते हैं, ये नीचे दिए गए हैं:
  • आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
    सामान्य नाम: आर्सेनिक ट्राइऑक्सइड (Arsenic trioxide)
    लक्षण: इस दवा का उपयोग पेट की गैस, अल्सर और कैंसर के कारण होने वाले पेट दर्द के लिए किया जाता है। ये दवा ऐसे लोगों के लिए ज्यादा असरदार है, जो बेचैन व डरे हुए होते हैं और स्वभाव में चिड़चिड़े रहते हैं। अध्ययनों से ये पता चलता है कि आर्सेनिक पॉइज़निंग के लक्षण ये दवा लेने से ठीक हो जाते हैं। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:
    • तेज दर्द के साथ पेट में बहुत जलन होना।
    • पेट का ऊपरी हिस्सा सख्त महसूस होना, जो पेट की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण होता है। इस हिस्से में आपको हाथ लगाने पर दर्द भी महसूस होता है।
    • फल, तीखा खाना, आइसक्रीम, तंबाकू और शराब लेने के बाद एकदम पेट में गैस बनने के कारण दर्द होना।
    • पेट में दबाव महसूस होना, जैसे पेट में स्टोन हो। (और पढ़ें - पथरी का दर्द कहां होता है)
    • रात के समाय, खाने के बाद और ठंडा खाने-पीने के बाद दर्द बढ़ जाना और गर्मी से या गर्म चीज़ें खाने-पीने से दर्द में आराम मिलना।
    • मतली, डकार और घबराहट महसूस होने के साथ पेट दर्द होना।
    • बहुत ज्यादा कमजोरी के साथ सांस लेने में मुश्किल होना और मौत का डर होना। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
    • दूध पीने की इच्छा होना।
    • आर्सेनिक से दूषित पानी पीने के बाद पेट दर्द, उल्टी और दस्त के लक्षण होना। (और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)
       
  • कार्बो वेजीटेबलिस (Carbo Vegetabilis)
    सामान्य नाम: वेजीटेबल चारकोल (Vegetable charcoal)
    लक्षण: ये दवा उनके लिए ज्यादा असरदार है जिन्हें खून बहने, दस्त या उल्टी के कारण शरीर से तरल पदार्थ निकल जाने के बाद कमजोरी मसहूस होती है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा को लेने से आराम मिलता है:
  • हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस (Hydrastis Canadensis)
    सामान्य नाम: गोल्डनसील (Goldenseal) और ऑरेंज रुट (Orange root)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए सबसे अच्छे से काम करती है जो वजन कम होने के कारण पतले हो गए हैं, खासकर किसी लंबी बिमारी के बाद। एक अध्ययन के अनुसार, इस दवा को लेने के बाद आंतों की सूजन के लक्षण जैसे मल में खून आना और बार-बार पेट दर्द होना व मल आना आदि में सुधार हुआ था। निम्नलिखित लक्षण इस दवा से ठीक किए जा सकते हैं:
  • सोरायनम (Psorinum)
    सामान्य नाम: नसोड़ ऑफ सोरा (Nosode of psora)
    लक्षण: सोरायनम, पेट के कैंसर, पित्ताशय के कैंसर, लिवर कैंसर और अग्नाशय कैंसर के इलाज के लिए बहुत असरदार दवा है। एक अध्ययन के अनुसार, इस दवा को कैंसर के लिए चल रही अन्य एलोपैथिक दवाओं के साथ लिया जाना चाहिए। नीचे दिए गए लक्षण इस दवा से ठीक किए जा सकते हैं:
  • लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
    सामान्य नाम: वोल्फ्स क्लॉ (Wolf’s claw) और क्लब मॉस (Club moss)
    लक्षण: लाइकोपोडियम उन लोगों को दी जाती है जो समझदार होते हैं और जिनका पेट मोटा होता है व शरीर का निचला हिस्सा पतला होता है। निम्नलिखित लक्षण इस दवा से ठीक किए जा सकते हैं:
    • बदहजमी, पेट के कैंसर और लिवर की समस्याओं के कारण पेट दर्द होना।
    • पेट दर्द के साथ छाती में जलन। (और पढ़ें - छाती में जलन के लिए क्या करें)
    • अचानक पेट दर्द के साथ कंपकंपी और ठंड लगना
    • खाने के बाद, खुली हवा में और वाइन पीने के बाद पेट दर्द बढ़ जाना।
    • बेड की गर्माहट से, डकार लेने से, बैठे हुए आगे की तरफ झुकने से और शाम के समय दर्द में थोड़ी राहत मिलना।
    • पेट पर हाथ लगाने में दर्द होना। (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
    • पेट पर टाइट कपडे न पहन पाना।
    • पेट फूलने के साथ पेट दर्द होना और बार-बार डकार आना। (और पढ़ें - पेट फूलने का इलाज)

पेट के कैंसर के इलाज के लिए लाइकोपोडियम एक असरदार दवा है। एक अध्ययन से ये पता चला है कि इस दवा को अन्य कैंसर दवाओं के साथ थेरेपी के रूप में उपयोग किया जा सकता है। दवा को नियमित इस्तेमाल करने से ये पाया गया कि ये दवा सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को मारती है।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि लाइकोपोडियम लिवर को दूसरी दवाओं के दुष्प्रभावों जैसे पेट दर्द, मतली, उल्टी, बुखार, कमजोरी, भूख न लगनापेशाब का रंग गहरा होना, त्वचा व आंखों का पीला होना आदि से बचाती है। ये दुष्प्रभाव पैरासिटामोल लेने से हो सकते हैं।

  • फॉस्फोरस (Phosphorus)
    सामान्य नाम: फॉस्फोरस (Phosphorus)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों को सबसे ज्यादा सूट करती है जो लंबे व पतले हैं और उनका रंग गोरा और कंधे झुके हुए हैं। एक अध्ययन से ये साबित हुआ कि फॉस्फोरस से अधिक खाने के विकार का इलाज करने में सहायता मिल सकती है, जिससे पेट दर्द, दस्त और पेट में गैस होती है। नीचे दिए लक्षण इससे ठीक किए जाते हैं:
    • अल्सर और खाने के विकार के कारण होने वाला पेट दर्द। (और पढ़ें - खाने की लत का इलाज)
    • उल्टी में खून आने और पेट से पदार्थ मुंह में आने से संबंधित पेट दर्द। (और पढ़ें - खून की उल्टी के कारण)
    • पेट में जलन और दर्द होना जो पीछे तक फैलता है।
    • गैस बनने के साथ डकार आना और पेट में गड़गड़ाहट महसूस होना। (और पढ़ें - पेट में गैस बनने पर क्या करना चाहिए)
    • ठंडा पानी पीने के बाद पेट दर्द में आराम मिलना और कुछ देर बाद पानी, उल्टी के द्वारा बाहर आ जाना।
    • आइसक्रीम, बर्फ या कोई भी ठंडी चीज़ खाने के बाद पेट दर्द में आराम मिलना।
    • एसिडिटी के कारण पेट खाली होने की भावना होना। (और पढ़ें - एसिडिटी में क्या खाएं)
       
  • पल्सेटिला निग्रिकंस (Pulsatilla Nigricans)
    सामान्य नाम: विंडफ्लॉवर (Windflower) और अनेमनी (Anemone)
    ​लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए बहुत अच्छे से काम करती है जिनके लक्षण बार-बार बदलते रहते हैं। ऐसी महिलाऐं जो भावुक हैं, आसानी से रो पड़ती हैं और जिन्हें सहानुभूति अच्छी लगती है, पल्सेटिला उनके लिए बहुत असरदार दवा है। इस दवा को देने के लिए अन्य लक्षण है:
    • एसिडिटी के कारण पेट दर्द। (और पढ़ें - पेट में एसिडिटी होने पर क्या करना चाहिए)
    • डिनर करने के कुछ घंटों बाद पेट दर्द होना।
    • पेट में भारीपन महसूस होना और बहुत गैस बनना।
    • गैस बनने के कारण पेट से गड़गड़ाहट की आवाज आना।
    • शाम के समय पेट दर्द बढ़ जाना।
    • पेट दर्द के साथ शरीर में ठंड लगना।
    • फैट वाला खाना, मक्खन और केक बिलकुल पसंद न आना।
    • प्यास न लगना। 
    • फैट वाला खाना या नॉर्मल खाना खाने के बाद और गर्मी से पेट दर्द बढ़ जाना। (और पढ़ें - सैचुरेटेड फैट क्या है)
    • शाम के समय पेट दर्द ज्यादा होना।
    • थोड़ा हिलने-डुलने से, ठंडी चीजें खाने से और खुली हवा में पेट दर्द बेहतर हो जाना।
    • खाने से संबंधित विकार के कारण पेट दर्द होना।​ (और पढ़ें - ज्यादा खाना खाने के बाद पेट में दर्द होने पर क्या करें)

ऐसा पाया गया है कि लाइकोपोडियम, फॉस्फोरस, पल्सेटिला, आर्सेनिकम एल्बम, सिनचोना ओफ्लिनेलिस और सेपिया दवाओं से गर्ड के लक्षणों में आराम मिलता है, जिसमें छाती में जलन और पेट दर्द भी शामिल हैं।

होम्योपैथिक दवाओं का कार्य खान-पान और जीवनशैली की कुछ आदतों से प्रभावित हो सकता है। नीचे दो लिस्ट दी गई हैं, जिनमें होम्योपैथिक दवाएं लेने के साथ आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए के बारे में बताया गया है:

क्या करें:
अचानक होने वाले या एक्यूट पेट दर्द में:

  • रोगी को वो सब दें जो उसका खाने-पीने का मन हो। इससे रोगी को कुछ देर के लिए समस्या से राहत मिलेगी और उसे बेहतर भी महसूस होगा। (और पढ़ें - पेट दर्द में क्या खाना चाहिए)
  • शारीरिक व मानसिक तौर पर पर्याप्त आराम करें, स्ट्रेस न लें और उपचार के दौरान दिमाग को शांत रखें। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
  • कमरे का तापमान व्यक्ति की सुविधा के अनुसार सेट करें।

क्रोनिक पेट दर्द में:

क्या न करें:

बच्चों और वयस्कों में पेट दर्द की समस्या का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित रूप से इस्तेमाल की जा सकती हैं। डॉक्टर द्वारा चुनी गई सही होम्योपैथिक दवा किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं करती है।

(और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)

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अलग-अलग कारणों से होने वाले पेट दर्द के लिए होम्योपैथी एक अच्छा और सुरक्षित उपचार है। इससे पेट दर्द तो ठीक होता ही है, साथ ही साथ रोगी का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। होम्योपैथिक दवाएं बार-बार होने वाले पेट दर्द के लिए काफी प्रभावी हैं, खासकर बच्चों के लिए। होम्योपैथिक उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है, जिससे पेट दर्द में आराम मिलता है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी स्वप्रतिरक्षित बीमारियां, जिन्हें आमतौर पर स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं से ठीक किया जाता है, उन्हें होम्योपैथिक दवाओं से भी ठीक की जा सकती हैं।

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Dr. Anmol Sharma

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DR. JITENDRA SHUKLA

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संदर्भ

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