पेट के दर्द को आयुर्वेद में उदर शूल के नाम से जाना जाता है। यह कई प्रकार के उदर रोगों (पेट की बीमारियों) के कारण हो सकता है। आमतौर पर लंबे समय तक पाचन शक्ति की खराबी और अपच के कारण पेट में गड़बड़ी हो जाती है, जो पेट दर्द का कारण बन सकती है।
आयुर्वेद में पेट के दर्द को दूर करने के लिए कई सारे प्रभावी उपाय हैं। इन प्रक्रियाओं में तप (फोमेंटेशन), वामन (मेडिकल इमिशन) और विरेचन (शुद्धि) शामिल हैं। आयुर्वेद पद्धति में कई सारी ऐसी दवाएं और जड़ी बूटियां दी जाती हैं जो पेट के दर्द को जड़ से खत्म कर सकती हैं। तिल, मदाना (इमेटिक नट), अग्नि-प्रभा रस, मंडुरा लौहा, क्षार वटी, प्रलयनाल रस, अग्निमुखा रस और गगनसूर्यादि रस ऐसी ही प्रमुख दवाएं हैं जो उदर रोग को ठीक करने में प्रभावी हो सकती हैं।
इस लेख में हम आयुर्वेद के माध्यम से पेट के दर्द के इलाज के बारे में जानेंगे।