बवासीर का मतलब गुदा की नसों में सूजन व जलन की समस्या है, जो बढ़ने पर बहुत ज्यादा दर्द का अनुभव कराती है. बवासीर के रोगी को गुदा क्षेत्र के आसपास खुजली, लालिमा और खराश महसूस हो सकती है. बवासीर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति किस स्थिति से गुजर रहा है. इसके अलावा, इस बात पर भी निर्भर करता है कि बवासीर गुदा के अंदर है या बाहर.

खूनी बवासीर हो या मस्से वाली बवासीर, पतंजलि की दवाएं इसमें मददगार साबित हो सकती हैं. दिव्य अर्शकल्प वटी और दिव्य अभयारिष्ट जैसी पतंजलि की दवा बवासीर के लक्षणों से छुटकारा दिलाने में सहायक है.

आज इस लेख में खूनी बवासीर और बवासीर के मस्से को ठीक करने के लिए पतंजलि दवा के बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - बवासीर के मस्से सुखाने की दवा)

  1. पतंजलि की बवासीर की दवा
  2. सारांश
बवासीर की पतंजलि की दवा के डॉक्टर

आयुर्वेद में हर तरह के बवासीर के इलाज में आयुर्वेद को प्रभावशाली माना जाता रहा है. सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बवासीर के लिए आयुर्वेदिक इलाज को अपनाया जा रहा है. पतंजलि में बवासीर के इलाज के लिए कुछ दवाइयां हैं, जिनसे बवासीर को खत्म करने और राहत पाने में मदद मिल सकती है. आइए, विस्तार से बवासीर के इलाज के लिए पतंजलि की दवाइयों के बारे में जानते हैं-

दिव्य अर्शकल्प वटी

बवासीर के इलाज के लिए अर्शकल्प वटी एक प्रभावशाली दवा है. इसमें रसोट शुद्ध, हरड़, बकयन, निमोली, रीठा, देसी कपूर, मकोय व घृतकुमारी के एक्सट्रैक्ट पाए जाते हैं. इस हर्बल एक्सट्रैक्ट कॉम्बिनेशन में सूजन को ठीक करने और दर्द से राहत दिलाने की क्षमता है. अर्शकल्प वटी में लैक्सेटिव गुण भी हैं, जो पेरीस्टाल्टिक मूवमेंट को बढ़ाते हैं और इस तरह से आंतों में दर्द भी नहीं होता है.

इस दवा के सेवन से पाचन में सुधार होता है, गैस बनने में कमी आती है और बेचैनी से छुटकारा मिलता है. इसके लगातार सेवन से बवासीर की वजह से होने वाली जलन और दर्द से छुटकारा मिलता है. इसके साथ ही, कब्ज और बवासीर की समस्या धीरे-धीरे खत्म होने लगती है.

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दिव्य अभयारिष्ट

बवासीर और भगन्दर के इलाज के साथ ही पाचन में सुधार लाने के लिए दिव्य अभयारिष्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें हरड़, मुनक्का, महुआ, वैविडंग, गुड़, गोखरू, निसोथ, धनिया, धैफूल, इंद्रयानमूल, चव्या, सोंठ, दंतीमूल व मोचरस जैसे इनग्रेडिएंट पाए जाते हैं. ये सब लैक्सेटिव गुण वाले हैं और आंतों में दर्द से मुक्ति दिलाने के साथ ही पेरीस्टाल्टिक मूवमेंट को बढ़ावा देते हैं.

शरीर से टॉक्सिन को दूर करके पाचन तंत्र को बूस्ट करने के लिए यह एक असरकारी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है. कब्ज की वजह से पेट में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने में भी यह आयुर्वेदिक इलाज मददगार सिद्ध हुआ है.

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दिव्य हरितकी चूर्ण

इस आयुर्वेदिक चूर्ण को हरितकी से बनाया गया है, जो हर तरह की पाचन संबंधी परेशानियों के लिए एक कारगर औषधि है. सालों से हरीतकी का इस्तेमाल इसके हीलिंग गुणों की वजह से किया जाता रहा है. डाइजेस्टिव एंजाइम को बढ़ाकर, हाइपर एसिडिटी को दबाकर और न्यूट्रिएंट्स के अवशोषण में सुधार लाकर

यह दवा पाचन में सुधार लाती है. इसके साथ ही यह कब्ज और बवासीर को रोकती भी है. यह शरीर से हर तरह के टॉक्सिन को निकालकर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में भी सहायक है.

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दिव्य त्रिफला गुग्गुल

त्रिफला गुग्गुल का सेवन बवासीर व भगंदर संबंधी दर्द में लाभकारी है. इसमें शुद्ध गुग्गुल के पाउडर के साथ हरड़ और बहेड़ा भी है. यह शरीर में अग्नि गतिविधि को बढ़ाते हुए गर्भाशय को उत्तेजित करता है, मेंस्ट्रूअल डिसऑर्डर्स को नियमित करता है, खून में व्हाइट ब्लड सेल्स की वृद्धि करता है.

इसके अलावा, यह मूत्रवर्धक होने के साथ श्लेष्मा स्रावी और कीटाणुओं का नाश करने वाला भी है. त्रिफला गुग्गुल एक सुरक्षित दवा है और इसके सेवन से किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं. इसके टेबलेट को सुबह और शाम को गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है. पैरालिसिस, सियाटिका और बोन मैरो ज्वाइंट में वात होने की स्थिति में भी यह आयुर्वेदिक दवा फायदेमंद है.

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इसबगोल भूसी

इसबगोल को साइलियम भी कहा जाता है और यह प्लांटेगो ओवाटा के बीज से मिलता है. इसमें डाइटरी फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. दरअसल इसमें एक प्राकृतिक जिलेटिनस पदार्थ होता है, जो कब्ज से निदान दिलाने में मददगार है. इसे पानी में भिगोने पर यह फूल जाता है और एमोलिएन्ट जेल बन जाता है.

इसमें लैक्सेटिव गुण होते हैं, जिसकी वजह से आंतों के रास्ते में मदद करता है और बाउल मूवमेंट को बढ़ावा देता है. इस तरह से मल त्यागने में आसानी होती है और बवासीर के दर्द से राहत मिलती है. इसकी 5 से 10 ग्राम मात्रा को पानी, दूध या फलों के जूस के साथ दिन में 2 बार लेने की सलाह दी जाती है.

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दिव्य शुद्धि चूर्ण

शुद्धि चूर्ण में हरड़, बहेड़ा, आंवला, टंकण भस्म, जीरा, हींग और इंद्रायण जैसे इनग्रेडिएंट्स पाए जाते हैं. यह एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका इस्तेमाल अपच के इलाज में किया जाता है. साथ ही यह कब्ज, पेट फूलनेभूख न लगने जैसी परेशानियों के इलाज के लिए भी फायदेमंद है. इसकी वजह से बवासीर से होने वाला दर्द भी कम होता है और राहत मिलती है.

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दिव्य उदरकल्प चूर्ण

उदरकल्प चूर्ण पेट को साफ करने के साथ ही कब्ज के इलाज में भी प्रभावशाली है. इसके इस्तेमाल से आंतों में किसी तरह की परेशानी या जलन नहीं होती है. मुलेठी, सानया, हरारा, सौंफ, गुलाब फूल और क्रिस्टल शुगर इसके मुख्य इनग्रेडिएंट्स हैं. यह आयुर्वेदिक दवा पित्त को दबाती है और एक शानदार लैक्सेटिव औषधि भी है.

यह पाचन शक्ति को मजबूत बनाने के साथ ही किसी भी तरह के साइड इफेक्ट से मुक्त है. शानदार लैक्सेटिव होने की वजह से उदरकल्प चूर्ण बाउल मूवमेंट को आसान बनाता है. इसके सेवन से मल त्याग के दौरान किसी भी तरह का दर्द न होने से बवासीर की स्थिति में भी मदद मिलती है. इसकी 2 से 5 ग्राम मात्रा को सुबह खाली पेट या भोजन करने के बाद शाम को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है.

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बवासीर चाहे सामान्य हो, खूनी हो या बवासीर का मस्सा हो, इसके इलाज में आयुर्वेदिक दवाइयां प्रभावशाली साबित हुई है. पतंजलि के दिव्य त्रिफला गुग्गुल, इसबगोल भूसी और दिव्य हरीतकी चूर्ण जैसी दवाइयों के सेवन से बवासीर की स्थिति में मदद मिलती है. बावजूद इसके यह ध्यान रखना जरूरी है कि बवासीर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति किस स्थिति से गुजर रहा है. बेहतर होगा कि बवासीर के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाइयों का सेवन किया जाए.

(और पढ़ें - बवासीर की आयुर्वेदिक दवा)

अस्वीकरण: ये लेख केवल जानकारी के लिए है. myUpchar किसी भी विशिष्ट दवा या इलाज की सलाह नहीं देता है. उचित इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लें.

Dr. Harshaprabha Katole

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