बवासीर होने पर गुदा वाले भाग में जलन, दर्द, सूजन और खुजली महसूस हो सकती है. इस समस्या से राहत पाने के लिए कई तरह के घरेलू उपायों को अपनाने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक केला भी है. कई लोग इस दुविधा में रहते हैं कि बवासीर में केला खाना चाहिए या नहीं, उन्हें बता दें कि इस समय एक्सपर्ट भी केला खाने की सलाह देते हैं. केले के पेक्टिन (एक तरह का फाइबर) और एनाल्जेसिक गुण बवासीर में मददगार हो सकते हैं. आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि बवासीर में केला खाना चाहिए या नहीं -

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  1. बवासीर में केला खाना अच्छा है या नहीं
  2. और पढ़ें
  3. सारांश
बवासीर में केला खाना चाहिए या नहीं? के डॉक्टर

बवासीर से राहत दिलाने में केला कई तरह की भूमिका निभा सकता है. इसमें मौजूद पेक्टिन, कार्बोहाइड्रेट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण बवासीर के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं. आइए, विस्तार से जानें बवासीर में केला खाना अच्छा है या नहीं -

  • केले में पेक्टिन और कार्बोहाइड्रेट्स की भरपूर मात्रा होती है. पेक्टिन एक तरह का फाइबर होता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर करने के साथ ही मल को मुलायम कर सकता है. साथ ही कार्बोहाइड्रेट्स को नैचुरल लैक्सेटिव के रूप में जाना जाता है, जो मल मुलायम करने का काम करता है. इससे मल त्यागते समय ज्यादा जोर लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे मल त्यागते समय बवासीर के दर्द से बचा जा सकता है.
  • केला बवासीर के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकता है. दरअसल, केले में एंटी इंफ्लेमेटरी गतिविधियां पाई जाती हैं. ये गतिविधियां सूजन को कम कर बवासीर में राहत पहुंचा सकती हैं.
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  • बवासीर में केले खाने के फायदे संक्रमण को ठीक करने के लिए भी हो सकते हैं. केले में एंटी बैक्टीरिया गुण होते हैं, जो गुदा के पास इन्फेक्शन को फैलने से रोक सकते हैं. इससे गुदा वाले भाग में खुजली होना भी कम हो सकता है.
  • बवासीर के तेज दर्द से छुटकारा दिलाने में भी केला लाभकारी हो सकता है. रिसर्च की मानें, तो केले में एनाल्जेसिक गुण होते हैं. केले के इस गुण को दर्द कम करने के लिए जाना जाता है. इससे बवासीर का दर्द भी कम हो सकता है.

(और पढ़ें - बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं)

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बवासीर की समस्या लोगों में काफी आम होती जा रही है. इस समस्या के लक्षण को दूर करने के लिए केले का सेवन भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. केले में फाइबर, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं. ये गुण बवासीर में मल त्याग को आसान बनाने, सूजन में कमी लाने, संक्रमण से बचाव करने और दर्द से राहत दिलाने का काम कर सकते हैं. फिर भी अगर कोई गंभीर बवासीर की समस्या से जूझ रहा है, तो उन्हें केला खाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

(और पढ़ें - बवासीर के घरेलू उपाय)

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