बवासीर यानी पाइल्स गुदा से जुड़ी बीमारी है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के गुदा के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है. इस समस्या में गुदे की स्किन पर मस्से बन जाते हैं. इन मस्सों के कारण मल त्याग करते समय काफी दर्द होता है और खून निकलने का खतरा भी होता है.

बवासीर की समस्या खराब लाइफस्टाइल, मसालेदार खाना, कब्जडायरिया जैसी समस्याओं के कारण हो सकती है. बवासीर के प्रभावी इलाज के लिए कई तरह की थेरेपीज व दवाइयां मौजूद हैं. गंभीर और पुराने बवासीर के मामलों में सर्जरी करने की जरूरत पड़ सकती है, जो पीड़ादायक और असुविधाजनक हो सकती है. वहीं, आयुर्वेद में मौजूद क्षार सूत्र को बवासीर के इलाज के सुगम उपचार बताया गया है.

इस लेख में धागे (क्षार सूत्र) से बवासीर का इलाज कैसे होता है और क्या ये सफल है, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है -

(और पढ़ें - बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज)

  1. क्या बवासीर के लिए क्षार सूत्र चिकित्सा सफल है?
  2. क्षार सूत्र चिकित्सा की प्रक्रिया
  3. सारांश
क्षार सूत्र से बवासीर का इलाज व प्रक्रिया के डॉक्टर

हां, क्षार सूत्र चिकित्सा ऐसी आयुर्वेदिक पैरासर्जिकल थेरेपी है, जिसके माध्यम से बवासीर जैसी गंभीर बीमारी का प्रभावी इलाज संभव है. यह थेरेपी एक प्राकृतिक, सुरक्षित और सुविधाजनक उपचार विकल्प है, क्योंकि इसमें मरीज के शरीर पर जख्म बनने व खून निकलने की आशंका नहीं होती.

अन्य प्रकार की सर्जरी की तुलना में क्षार सूत्र चिकित्सा आज भी सस्ती व सुगम है. इससे बवासीर होने की आशंका भी कमतर रहती है और शरीर को किसी प्रकार की चोट भी नहीं पहुंचती है. अगर वर्ल्ड आयुर्वेदा फाउंडेशन की मेडिकल रिसर्च स्टडी पर नजर डालें, तो क्षार सूत्र चिकित्सा द्वारा बवासीर के उपचार मामलों में 100 में से केवल 3 मरीजों को ही फिर से बीमारी हुई. इस आधार पर सार्थक रूप से कहा जा सकता है कि बवासीर के लिए क्षार सूत्र चिकित्सा सफल व सुरक्षित है.

(और पढ़ें - हल्दी से बवासीर का इलाज)

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क्षार सूत्र एक आयुर्वेदिक पैरासर्जिकल थेरेपी है. इसे बवासीर और भगंदर जैसी गुदा संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है. क्षार सूत्र थेरेपी में विशेष प्रकार के सूत्र (धागा) पर जड़ी-बूटियों और औषधियों के मिश्रण से बने क्षार की परतों को लगाया जाता है. आइए, विस्तार से इसकी प्रक्रिया को समझते हैं-

  • क्षार सूत्र चिकित्सा प्रक्रिया में सबसे पहले विशेष औषधीय पौधों यव (जौ), अर्क व लटजीरा आदि से क्षार यानी पानी में घुलने वाला पदार्थ तैयार किया जाता है. इसे स्नुही दूध और हल्दी के साथ मिलाया जाता है.
  • फिर पक्के धागे पर इस मिश्रण से बने क्षार की लगभग 21 परतें चढ़ाकर सूत्र या धागा तैयार किया जाता है. इसे ही क्षार सूत्र कहा जाता है. इसी को बवासीर के मस्से हटाने में इस्तेमाल किया जाता है. (और पढ़ें - गोमूत्र से बवासीर का इलाज)
  • इस क्षार सूत्र को बवासीर से बनने वाले मस्सों पर कस के बांध दिया जाता है. इसके कारण वह कुछ ही समय में सूख के समाप्त हो जाते हैं.
  • अगर मस्सें बड़े हैं, तो गुदा के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में मस्सों पर क्षार सूत्र को बांध दिया जाता है, लेकिन अगर मस्सें सिर्फ अंदर की तरफ हैं, तो क्षार सूत्र को अर्धचंद्राकर सुई में पिरोकर मस्सों के आर-पार करके उसके जड़ को चारों तरफ से बांध दिया जाता है.
  • इस पूरी प्रक्रिया में लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बिना तकलीफ के क्षार सूत्र की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. क्षार सूत्र चिकित्सा के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही बवासीर के दोबारा होने की आशंका नहीं रहती है. इसके जरिए टिश्यू व मांसपेशियों में खिंचावदर्द कम होता है, जिससे स्टूल पास करने में कोई दिक्कत नहीं होती है. (और पढ़ें - नींबू से बवासीर का इलाज)
  • यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी चीड़-फाड़ व खून निकाले की जाती है. इसमें किसी तरह की जटिलता भी नहीं होती है. यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक पैरासर्जिकल थेरेपी है, जिससे बवासीर का प्रभावी इलाज होता है.
  • क्षार सूत्र की पूरी प्रक्रिया करीब 1 हफ्ते में पूरी होती है. 2-3 हफ्ते में इसका पूर्ण प्रभाव मरीज में नजर आने लगता है.

(और पढ़ें - बवासीर के घरेलू उपचार)

बवासीर के सस्ते, सुरक्षित और प्रभावी इलाज के लिए क्षार सूत्र चिकित्सा एक उम्दा आयुर्वेदिक तरीका है. इस थेरेपी में बिना सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स इस्तेमाल किए इलाज होता है, जिससे कोई भी चीड़-फाड़, खून निकलना और जटिलता नहीं होती है. इसी वजह से इसे ब्लेड सर्जरी भी कहते हैं और मेडिकल सर्जिकल सर्जरी के मुकाबले यह काफी सुविधाजनक, प्राकृतिक और सुगम भी है. यदि आप पहली बार इस थेरेपी को लेने वाले हैं, तो पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें.

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