अच्छी नींद लेना हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है, लेकिन कई लोग रात की पूरी नींद नहीं ले पाते हैं. तनाव, थकान या फिर कोई मेडिकल कंडीशन खराब नींद के मुख्य कारण हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को सोने से ही डर लगता है. इसे सोम्निफोबिया के रूप में जाना जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति नींद को लेकर पूरे दिन भर चिंता में रह सकता है. यह चिंता व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा कर सकती है. मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन या दिल की धड़कन का तेज होना आदि सोम्निफोबिया के कारण हो सकते हैं. ऐसे में एक्सपोजर थेरेपी व कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी आदि से इसका इलाज किया जा सकता है.

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आज इस लेख में आप सोम्निफोबिया के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे-

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  1. सोम्निफोबिया क्या होता है?
  2. सोम्निफोबिया के लक्षण
  3. सोम्निफोबिया के जोखिम कारक
  4. सोम्निफोबिया के कारण
  5. सोम्निफोबिया का इलाज
  6. सारांश
सोम्निफोबिया के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

यह नींद से जुडी समस्या है. इसमें व्यक्ति को नींद आने का अधिक डर लगा रहता है. सोम्निफोबिया वाले लोग दिन भर नींद आने को लेकर चिंतित हो सकते हैं. वे रात को सोने से बचने के अलग-अलग तरीके सोच सकते हैं. इसकी वजह से वे अपने काम पर सही से फोकस भी नहीं कर पाते हैं. आपको बता दें कि सोम्निफोबिया में व्यक्ति सोने से डर सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को बुरे सपने आने का डर लग सकता है या फिर व्यक्ति में स्लीप पैरालिसिस का भी डर उत्पन्न हो सकता है.

रिसर्च से पता चलता है कि दुनियाभर में करोड़ों लोग इस विकार का सामना कर रहे हैं. यह विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आम होता है. जिन लोगों को स्ट्रोक है, उनमें सोम्निफोबिया होने की आशंका अधिक हो सकती है. सोम्निफोबिया वाले लोगों को रात को बिस्तर पर जाने के बाद अधिक चिंता व भय हो सकता है. सोम्निफोबिया वाले लोगों को डिप्रेशनडायबिटीजहार्ट अटैकहाई ब्लड प्रेशरमोटापा और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

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अगर कोई व्यक्ति सोने की कोशिश कर रहा है, तो उसे सोम्निफोबिया के निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं.

इसके अलावा, सोम्निफोबिया वाले लोगों को कई अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है. ये लक्षण दिन या रात किसी भी समय महसूस हो सकते हैं -

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सोम्निफोबिया के कुछ रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं यानी कुछ लोगों में सोम्निफोबिया होने की आशंका अधिक होती है -

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वैसे तो विशेषज्ञ अभी तक सोम्निफोबिया के सटीक कारणों के बारे में सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं, लेकिन नींद से जुड़ी कुछ समस्याएं सोम्निफोबिया का कारण बन सकती हैं -

नींद में मरने का डर

कई लोगों के मन में डर रहता है कि एक बार सोने के बाद शायद वे सुबह उठ न पाए. उनके मन में नींद में मरने का डर बना रहता है. इसलिए, वो सोने से बचने की कोशिश करते रहते हैं.

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मन में बातों का आना

कई लोगों के मन में तरह-तरह की बातें चलती रहती हैं. कुछ लोगों के मन में ऐसी चीजों का डर बना रहता है, जो रात के समय हो सकती है. जैसे चोरी होना, आग लगना या फिर कोई आपदा का होना. व्यक्ति इन चीजों को सोचने के बाद सोने से डर सकता है. 

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बुरे सपने आना

कुछ लोग रात को नींद में आने वाले बुरे सपनों से डर सकते हैं, ऐसे में वे रात को नींद नहीं लेना चाहते हैं. अधिक बुरे सपने नींद को प्रभावित कर सकते हैं. जिन लोगों को नींद में बुरे सपने आते हैं, उन्हें सोम्निफोबिया हो सकता है.

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स्लीप पैरालिसिस

स्लीप पैरालिसिस भी सोम्निफोबिया का मुख्य कारण हो सकता है. यह स्लीप डिसऑर्डर तब होता है, जब कोई व्यक्ति आरईएम से जागता है. इस स्थिति में मांसपेशियां तनावग्रस्त हो सकती हैं. इसकी वजह से व्यक्ति के लिए चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है. इस डर की वजह से वह सोने से डर सकता है.

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पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर

जिन लोगों को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) है, उनमें सोम्निफोबिया होने की आशंका अधिक होती है. इस स्थिति में व्यक्ति में नींद को लेकर डर बना रह सकता है.

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सोम्निफोबिया का इलाज संभव है. डॉक्टर कुछ दवाइयां और थेरेपी की मदद से सोम्निफोबिया का इलाज कर सकते हैं. थेरेपी और दवाइयों की मदद से सोम्निफोबिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है. सोम्निफोबिया का इलाज इस प्रकार है -

एक्सपोजर थेरेपी

एक्सपोजर थेरेपी सोम्निफोबिया का एक सबसे प्रभावी उपचार साबित हो सकता है. इसमें नींद के डर और चिंता को कम करने की कोशिश की जाती है. इसमें डर पर चर्चा की जाती है, विश्राम तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इस स्थिति में डॉक्टर रोगी को माता-पिता या फिर किसी करीबी के साथ सोने की सलाह दे सकते हैं. एक्सपोजर थेरेपी की मदद से आपको अच्छी नींद आने में मदद मिल सकती है.

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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी भी सोम्निफोबिया का इलाज कर सकती है. इस थेरेपी में डॉक्टर नींद से संबंधित समस्याओं को पहचानने का काम करते हैं. साथ ही रोगी के डर को जानने की कोशिश करते हैं. इस थेरेपी को लेने के बाद व्यक्ति को नींद आने में आसानी हो सकती है. सीबीटी व्यक्ति को बेहतर नींद पैटर्न को विकसित करने में मदद कर सकता है. 

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आई मूवमेंट डिसेन्सिटाइजेशन एंड रीप्रोसेसिंग

अगर किसी को स्ट्रोक की वजह से सोम्निफोबिया हुआ है, तो उसे आई मूवमेंट डिसेन्सिटाइजेशन एंड रीप्रोसेसिंग थेरेपी दी जा सकती है. सोम्निफोबिया का इलाज करने के लिए यह प्रभावी थेरेपी हो सकती है. इस थेरेपी से डॉक्टर मरीज को अच्छी नींद दिलाने में मदद कर सकते हैं.

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बीटा ब्लॉकर्स

सोम्निफोबिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर बीटा ब्लॉकर्स दवाइयां लेने की सलाह दे सकते हैं. इसके लिए डॉक्टर प्रोप्रानोलोल या एटेनोलोल दवाइयां लिख सकते हैं. ये दवाइयां सोम्निफोबिया के लक्षणों को कम कर सकती हैं. साथ ही दिल की धड़कन को सामान्य कर सकती हैं और तनाव या चिंता को कम कर सकती हैं.

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बेंजोडायजेपाइन

बेंजोडायजेपाइन जैसे अल्प्राजोलम या लोराजेपम दवाइयां भी सोम्निफोबिया का इलाज कर सकती हैं. ये दवाइयां सोम्निफोबिया के शुरुआती लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं.

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सोम्निफोबिया वह स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को नींद आने का डर बना रहता है. यह फोबिया बुरे सपने, स्लीप पैरालिसिस या फिर स्ट्रोक के कारणों से हो सकता है. कई बार लोगों को रात में मरने का डर भी लगा रहता है, इसलिए वे रात में सोने से बचने की कोशिश करते हैं. सोम्निफोबिया वाले लोग सोने से बचने की तमाम कोशिशें कर सकते हैं, लेकिन कुछ दवाइयां और थेरेपी सोम्निफोबिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं. सोम्निफोबिया शरीर को नींद लेने से रोक सकता है, ऐसे में नींद की कमी हो सकती है. नींद की कमी ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे का कारण बन सकती है.

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