आयुर्वेद की मदद से नींद से संबंधित विकारों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार और औषधियों के प्रयोग से निद्रानाश या अनिद्रा का इलाज किया जाता है। इनसोमनिया नींद से संबंधित एक विकार है जिसमें व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत होती है। शारीरिक और मानसिक आराम एवं पर्याप्त मात्रा में नींद लाने के लिए व्यक्ति की प्रकृति के आधार पर जीवनशैली से जुड़े दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
निद्रानाश को दो प्रकार में वर्गीकृत किया गया है – स्वतंत्र निद्रानाश (प्राइमरी इनसोमनिया) और परतंत्र निद्रानाश (सेकेंडरी इनसोमनिया)। स्वतंत्र निद्रानाश में इनसोमनिया एक प्रमुख बीमारी के रूप में सामने आती है जबकि परतंत्र निद्रानाश में किसी अन्य बीमारी के लक्षण या कारण के रूप में इनसोमनिया की समस्या होती है। मेध्य रसायन (मस्तिष्क को ऊर्जा देने वाले) और पंचकर्म थेरेपी से शरीर का शुद्धिकरण कर एवं आराम देकर इनसोमनिया को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद में सोने से पहले कुछ घरेलू उपायों की सलाह दी जाती है जिनमें दूध पीना, सादी या खसखस के बीज खाना, गुड़ के साथ पिप्पली की जड़ खाना आदि शामिल है। बेहतर नींद के लिए योगासन भी लाभकारी पाए गए हैं।
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अनिद्रा की समस्या को दूर करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे कि जटामांसी, तगार और सर्पगंधा का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इनसोमनिया के इलाज में भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित कर व्यक्ति की नींद से जुड़ी आदतों में सकारात्मक बदलाव लाया जाता है।