सिरदर्द एक सामान्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति के सिर या गर्दन के क्षेत्र में दर्द होने लगता है। कारण और लक्षणों के आधार पर सिरदर्द को प्राथमिक और माध्यमिक दो प्रकार में बांटा गया है।
प्राथमिक सिरदर्द:
सिर में मौजूद दर्द के प्रति संवेदनशील संरचनाओं, नसों, रक्त वाहिकाओं और सिर व गर्दन की मांसपेशियों में हलचल होने के कारण ये सिरदर्द होता है। शराब, तनाव, सोने की आदतों में बदलाव, नींद न आना, अस्वस्थ खाना, कुछ खाद्य पदार्थ और शरीर की मुद्रा ठीक न होना प्राथमिक सिरदर्द के कुछ कारण हैं। ये सिरदर्द अधिकतर बिना किसी स्पष्ट कारण के होता है। इसमें माइग्रेन, टेंशन के कारण होने वाला सिरदर्द, सिर की एक ही तरफ होने वाला दर्द और साइनस का सिरदर्द शामिल हैं।
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माध्यमिक सिरदर्द:
किसी अंदरूनी समस्या या बीमारी के कारण दर्द के उत्तेजित होने को माध्यमिक सिरदर्द कहा जाता है। इस प्रकार के सिरदर्द साइनस, कान के इन्फेक्शन, ट्रायजेमिनल न्यूरालजिया और कुछ जानलेवा समस्याओं के कारण होते हैं जिनका आपातकालीन इलाज करना आवश्यक होता है। ये जानलेवा समस्याएं कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे स्ट्रोक, मस्तिष्क धमनीविस्फार, दिमाग के आस-पास ब्लीडिंग, मस्तिष्क में खून का थक्का जमना, दिमाग में खून जमना, मस्तिष्क के इन्फेक्शन (मेनिनजाइटिस और इन्सेफेलाइटिस), ब्रेन ट्यूमर, हाई ब्लड प्रेशर आदि।
सिरदर्द का होम्योपैथिक इलाज दर्द को जल्दी से ठीक करता है और बार-बार सिरदर्द होने की संभावना को कम करके व्यक्ति का लंबे समय के लिए उपचार करता है। होम्योपैथिक उपचार में व्यक्ति की समस्या के लक्षण और उसके जीवन के अलग-अलग पहलू का अवलोकन करके उसके लिए उचित दवा चुनी जाती है। सिरदर्द का इलाज करने के लिए, ग्लोनॉइन (Glonoine), बेलाडोना (Belladonna), जेल्सीमियम (Gelsemium) और स्पिगेलिया (Spigelia) आदि कुछ आम होम्योपैथिक दवाएं हैं। होम्योपैथिक दवाओं की खुराक डॉक्टर हर मामले के आधार पर अलग-अलग देते हैं।
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