ब्लड में यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से गाउट की समस्या हो सकती है. इस समस्या को वातरक्त भी कहा जाता है. यह गठिया यानि आर्थराइटिस का ही एक प्रकार होता है.
गाउट होने पर मुख्य रूप से शरीर में हड्डियों के ज्वाइंट्स प्रभावित होते हैं. गाउट एक काफी दर्दनाक स्थिति है, इससे पीड़ित मरीजों को काफी अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है. गाउट से ग्रसित होने पर आमतौर पर ज्वाइंट्स में लालिमा, सूजन और काफी तेज दर्द का अनुभव हो सकता है. अक्सर इस समस्या की शुरुआत पैरों के अंगूठे से होती है.
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अगर गाउट का इलाज समय पर नहीं किया गया, तो यह आपके किडनी को प्रभावित कर सकता है. इसलिए गाउट का समय पर इलाज जरूरी है. गाउट का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है.
एलोपैथी के अलावा होम्योपैथी में भी गाउट का इलाज कोल्चिकम, बेंज़ोइक एसिड, अर्निका ,रस टॉक्सिकोडेंड्रोन और लेडम पेलस्ट्रे जैसी दवाओं से संभव है. आज हम इस लेख में गाउट के होम्योपैथिक इलाज के बारे में जानेंगे.
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