ब्लड में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने की वजह से गाउट की परेशानी होती है. ब्लड में यूरिक एसिड बढ़ने से इसके क्रिस्टल बनने लगते हैं, जिसकी वजह से हड्डियों के ज्वॉइंट्स जमने लगते हैं. आयुर्वेद में इस परेशानी को वातरक्त भी कहते हैं. यह गठिया का स्वरूप है, जिसके कारण सबसे अधिक हड्डियों के ज्वाइंट्स प्रभावित होते हैं.

गाउट की समस्या होने का कारण वजन अधिक होना, गलत खानपान, शराब और धूम्रपान का सेवन, अनुवांशिक समस्याएं इत्यादि होती हैं. शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने से ज्वाइंट्स में दर्द होने के साथ-साथ सुस्ती-बेचैनी, ज्वाइंट्स में सूजन और लालिमा, चलने में परेशानी जैसे लक्षण दिखते हैं. गाउट की परेशानियों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक इलाज का सहारा लिया जा सकता है.

आयुर्वेदिक इलाज में अक्सर नैचुरल हर्बल का इस्तेमाल होता है. इन आयुर्वेदिक हर्बल्स का इस्तेमाल करके शरीर में मौजूद दोष को दूर किया जा सकता है. आयुर्वेद के मुताबिक, वात दोष असंतुलित होने की वजह से व्यक्ति गाउट से प्रभावित होता है. ऐसे में आयुर्वेदिक इलाज में वात दोष को दूर करके गाउट में होने वाली परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

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आज हम इस लेख में गाउट का आयुर्वेदिक इलाज बताएंगे.

  1. आयुर्वेद में गाउट का इलाज कैसे शुरू होता है? - How does treatment of gout start in ayurveda in Hindi?
  2. गाउट का आयुर्वेदिक इलाज - Ayurvedic treatment for gout in Hindi
  3. गाउट के लिए आयुर्वेदिक दवाएं - Ayurvedic medicines for gout in Hindi
  4. सारांश - Takeaway
गाउट की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टर

सामान्य तौर पर आयुर्वेदिक उपचार में जड़ी-बूटियों के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव, जैसे- एक्सरसाइज, ध्यान और आहार में बदलाव करके व्यक्ति की परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जाती है. गाउट की परेशानियों में भी आयुर्वेदिक उपचार के दौरान आपको इन नियमों को फॉलो करना पड़ता है.

गाउट होने पर आयुर्वेद में डेयरी उत्पादनों, मांस और शराब का सेवन कम करने की सलाह दी जा सकती है. वहीं, कुछ मामलों में इसे पूरी तरह से बंद करने की सलाह भी दी जा सकती है. आपको कुछ नियमित रूप से योग और ध्यान करने के लिए भी कहा जा सकता है. इसके अलावा कुछ जड़ी-बूटियां दी जाती हैं.

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आयुर्वेद में लाइफस्टाइल और आहार में बदलाव करके कुछ जड़ी-बूटियों का सेवन करने की सलाह देते हैं. आइए जानते हैं उन जड़ी-बूटियों के बारे में -

गिलोय

आयुर्वेद में गिलोय का इस्तेमाल सामान्य रूप से काफी ज्यादा किया जाता है. इम्यूनिटी बूस्ट करने से लेकर शरीर की कई परेशानियों को दूर करने के लिए आयुर्वेद में इस जड़ी-बूटी का उपयोग काफी ज्यादा होता है. रिसर्च के मुताबिक, गाउट के इलाज में गिलोय के तनों का रस प्रभावी हो सकता है. क्योंकि यह मरीज के शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड के स्तर (Control Uric Acid Level) को कम करने में असरदार साबित होता है.

इसके अलावा एक अन्य अध्ययन से साबित हो चुका है कि गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक गुण होता है, जो गाउट में होने वाली सूजन और दर्द को दूर करने में असरदार है. अगर आपको गाउट की परेशानी है, तो डॉक्टर के सलाहनुसार इसका सेवन कर सकते हैं.

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त्रिफला

आयुर्वेद में त्रिफला का इस्तेमाल कई परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है. त्रिफला तीन फलों (अमलकी, बिभीतक और हरितकी) का मिश्रण है. हर एक फल, शरीर के तीनों दोषों को दूर करने में असरदार होता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिफला में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जो गाउट में होने वाली सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है. वहीं, कुछ अध्ययनों में भी इस बात को प्रमाणित किया जा चुका है कि त्रिफला में सूजन-रोधी गुण मौजूद होते हैं, जिसका इस्तेमाल गठिया और गाउट के उपचार में किया जा सकता है.

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नीम

आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल गाउट में होने वाली सूजन और जलन को कम करने के लिए किया जाता है. यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से अगर आपके ज्वाइंट्स में सूजन और लालिमा की शिकायत हो गई है, तो आप नीम से तैयार पेस्ट को अपने प्रभावित स्थान पर लगा सकते हैं. इससे आपको काफी लाभ होगा. दरअसल, अध्ययन के मुताबिक, नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) का गुण मौजूद होता है, जो गाउट में होने वाली सूजन को कम करने में असरदार साबित हो सकता है. हालांकि, फिलहाल कोई ऐसा अध्ययन सामने नहीं आया है, जिसमें यह कहा गया हो कि नीम से यूरिक एसिड के स्तर को कम किया जा सकता है.

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हल्दी

हल्दी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है. साथ ही इसका इस्तेमाल मसालों के रूप में भी काफी ज्यादा होता है. आयुर्वेद में हल्दी को बहुत ही गुणकारी माना जाता है. हल्दी में सक्रिय तत्व करक्यूमिन (Curcumine) कई समस्याओं को दूर करने में लाभकारी होता है. अध्ययन के मुताबिक, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के इस्तेमाल से गाउट सहित संयुक्त गठिया की स्थिति के लक्षणों को कम किया जा सकता है.

एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, करक्यूमिन अर्क के इस्तेमाल से गाउट में होने वाली सूजन को कम किया जा सकता है. हालांकि. यह ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में प्रभावी नहीं है. आयुर्वेद की अन्य दवाओं की तुलना में हल्दी सुरक्षित मानी जाता है. ऐसे में इसका सेवन आप सूप, करी, हल्दी वाला दूध इत्यादि के रूप में कर सकते हैं.

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अदरक

आयुर्वेद में सामान्य रूप से अदरक का इस्तेमाल भी काफी किया जाता है. अदरक के इस्तेमाल से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है.  एक रिपोर्ट के मुताबिक, अदरक के इस्तेमाल से गाउट की परेशानियों को प्रभावी रूप के कम किया जा सकता है. खासतौर पर यह गाउट में होने वाली सूजन को कम कर सकता है. साथ ही इसे आप अपनी डाइट में बहुत ही आसानी से शामिल कर सकते हैं. हालांकि, अधिक मात्रा में अदरक के सेवन से बचें.

एनसीबीआई पर छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाउट का इलाज आयुर्वेदिक इलाज में शामिल की जाने वाली जड़ी-बूटियों से संभव है. अध्ययन में इस बात को प्रमाणिक किया गया है कि गाउट के इलाज में आयुर्वेदिक इलाज मददगार हो सकता है. इन अध्ययन में आयुर्वेद की कुछ दवाइयों को शामिल किया गया था, जो निम्न हैं- 

  • ब्रुहत गुडुची तैला (Bruhat Guduchi Taila)
  • गुडुची कषाय (Guduchi Kashaya)
  • गुडुची सिद्ध क्षीरवस्ती (Guduchi Siddha Ksheeravasti)
  • पुनर्नवा गुग्गुलु (Punarnava Guggulu)
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ध्यान रखें कि गाउट गलत खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से होता है. इसलिए अगर आप गाउट की परेशानियों से बचना चाहते हैं, तो सही लाइफस्टाइल चुनें. गाउट के लक्षण दिखने पर अपना समय पर इलाज कराएं. साथ ही ब्लड में यूरिक एसिड को कंट्रोल करके गाउट की परेशानियों को कम कर सकते हैं. वहीं, अगर आप आयुर्वेदिक इलाज अपनाना चाहते हैं, तो आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर जड़ी-बूटियों का सेवन करें. किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल डॉक्टर के सलाह के बगैर न करें. इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है.

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