वैश्विक महामारी कोविड-19 को और ज्यादा फैलने से रोकने के लिए दुनिया के कई प्रभावित देशों में लॉकडाउन लगाया गया था और इस बात को भी अब करीब 6 महीने का वक्त हो चुका है। भारत समेत ज्यादातर देशों में अब लॉकडाउन हटाया जा रहा है और लोग सभी सावधानियों का पालन करते हुए वायरस की मौजूदगी में ही सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे तो लॉकडाउन कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को धीमा करने के लिए एक आवश्यक कदम था, लेकिन इसने लोगों के जीवन के कई पहलुओं को नकारात्मक रूप से भी प्रभावित किया। इसमें उन लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है जो इस लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार और दोस्तों से अलग सेल्फ-आइसोलेशन में थे। 

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  1. लंबे समय तक अकेलापन डायबिटीज का कारण बन सकता है
  2. अकेलेपन की समस्या का शारीरिक सेहत पर असर
  3. 50 साल से अधिक आयु के 4 हजार से अधिक प्रतिभागी स्टडी में शामिल
  4. जिनमें अकेलापन अधिक था वैसे 264 लोगों को हुआ टाइप 2 डायबिटीज
  5. कोविड-19 महामारी के दौरान अकेलेपन की समस्या बढ़ी
  6. अकेलापन तनाव या स्ट्रेस को उत्तेजित करता है

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अपनों से इस तरह का अलगाव या विच्छेद न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि डायबिटीज जैसी कुछ मेटाबॉलिक बीमारियों से भी जुड़ा हुआ है। हम यह तो जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब शरीर इंसुलिन हार्मोन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है और ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। आमतौर पर, इंसुलिन प्रतिरोध की यह समस्या अधिक वजन वाले और निष्क्रिय लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। हालांकि, 15 सितंबर को डायबिटोलॉजिया (यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज की जर्नल) में प्रकाशित हालिया शोध में, यह कहा गया है कि लंबे समय तक अकेलापन भी किसी व्यक्ति में डायबिटीज के विकास का कारण बन सकता है।

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अकेलापन असहजता की स्थिति है जहां किसी व्यक्ति की सामाजिक इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती है और ऐसे लोगों के वांछित और वास्तविक सामाजिक रिश्तों के बीच विरोधाभास या विसंगति उत्पन्न हो जाती है। किसी व्यक्ति के तनहा या एकांत में रहने की स्थिति को किसी व्यक्ति के अकेले रहने से कन्फ्यूज नहीं करना चाहिए क्योंकि अकेलापन मन की एक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति दूसरों की संगति में होने के बावजूद अकेलापन और अनुपस्थिति महसूस करता है। 

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इससे पहले हुए विभिन्न अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने अकेलापन और हृदय रोगों के बीच क्या संबंध है इसे लेकर निष्कर्ष निकाला था। लेकिन इस बार किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने अकेलापन और टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत के बीच क्या संबंध है इसे जानने की कोशिश की। किंग्स कॉलेज लंदन के मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान विभाग द्वारा किए गए इस अध्ययन में, 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के 4 हजार 112 वयस्कों के डेटा का विश्लेषण किया जो पहले से ही इंग्लिश लॉन्जिट्यूडनल स्टडी ऑफ एजिंग में नामांकित थे। इन गैर-डायबिटिक (अध्ययन की शुरुआत में इन लोगों को डायबिटीज नहीं था) स्वस्थ व्यक्तियों का डेटा 2006 से 2017 तक एकत्र किया गया।

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फॉलोअप अवधि के 11 सालों के बाद आए स्टडी के परिणामों से पता चला कि सभी 4 हजार से अधिक प्रतिभागियों में से वे लोग जिनमें अकेलेपन का स्कोर अधिक था वैसे 264 लोगों में टाइप 2 डायबिटीज की समस्या विकसित हो गई। जब वैज्ञानिकों ने टाइप 2 डायबिटीज के लिए जिम्मेदार अन्य सभी संभावित कारकों जैसे- प्रतिभागी की उम्र, लिंग, जातियता, धूम्रपान की आदत, शारीरिक गतिविधि, शराब का सेवनबॉडी मास इंडेक्सएचबीए1सी (औसत ब्लड शुगर मापने के लिए परीक्षण), रक्तचाप और हृदय रोगों की व्यापकता को ध्यान में रखा, उसके बावजूद परिणाम में कोई बदलाव नहीं आया।

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इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जो अकेले रहते थे या सामाजिक रूप से अलग थे लेकिन उनमें अकेलेपन की समस्या नहीं थी उनमें डायबिटीज बीमारी की शुरुआत नहीं देखी गई। इस स्टडी की लीड ऑथर डॉ रूथ हैकेट कहती हैं, 'कोविड-19 महामारी के कारण यूके में लगे लॉकडाउन के दौरान मुझे इस रिसर्च का आइडिया आया क्योंकि मैं तेजी से जागरूक हो रही थी और इस बात में मेरी दिलचस्पी भी बढ़ रही थी कि आखिर कैसे अकेलापन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से इसलिए भी क्योंकि इस महामारी के दौरान कई और लोग अकेलेपन की इस कठिन भावना का सामना कर रहे थे।'

स्टडी से जुड़े वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि टाइप 2 डायबिटीज सामाजिक अलगाव या अकेले रहने से संबंधित नहीं है, बल्कि इसका संबंध अकेलेपन से और किसी व्यक्ति के रिश्तों की गुणवत्ता के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि अकेलेपन की समस्या शरीर के तनाव तंत्र को उत्तेजित कर सकती है, जिसके कारण अंततः, शरीर में तनाव से संबंधित नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप टाइप 2 डायबिटीज का विकास होता है।

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