विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन होता है, जो शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में मदद करता है। इसमें हड्डियों, दांतों और जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखना और प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में सहायता करना शामिल है।

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी विटामिन डी बहुत जरूरी होता है लेकिन फिर भी ऐसा कहा जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति को विटामिन डी को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। 

आज इस लेख में आप इसी संबंध में विस्तार से जानेंगे -

  1. विटामिन डी और टाइप 2 डायबिटीज में है संबंध - रिसर्च
  2. विटामिन डी की कमी से होता है मोटापा - रिसर्च

हाल ही में एक शोध में विटामिन डी और इंसुलिन (एक हार्मोन, जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है) के एक-दूसरे पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। इस शोध में कुल 96 लोगों को शामिल किया गया था जिनमें से आधे लोगों को 6 महीने तक रोज 0.125 मि.ग्रा प्लेसिबो दिया गया।

शोध में बताया गया कि, ऐसे व्यक्ति जिनमें मधुमेह होने का खतरा ज्यादा है या फिर जिनको हाल ही में टाइप 2 डायबिटीज होने का पता चला हो, उन सभी में इंसुलिन सेंसिविटी और बीटा सेल (ये कोशिकाएं अग्नाशय में इंसुलिन हार्मोन बनाने, स्टोर करने और रिलीज करने का काम करती हैं) के कार्यों में सुधार आया।

हालांकि, इससे पहले हुए शोध इंसुलिन रेसिस्टेंस पर विटामिन डी सप्लीमेंट के फायदों के बारे में जानने में विफल रहे हैं। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जिन व्यक्तियों में विटामिन डी की मात्रा कम है उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है। ये बात ओवरवेट और मोटापे से ग्रस्त दोनों तरह के लोगों पर लागू होती है।

यह अध्ययन स्पेन में किया गया था जिसमें लगभग 150 लोग शामिल थे। इस दौरान इनके बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई - लंबाई और वजन के आधार पर शरीर में वसा का अनुमान) के आधार पर इनमें विटामिन डी की मात्रा की जांच की गई थी। इसमें मधुमेह, प्रीडायबिटीज या अन्य ब्लड शुगर (ग्लूकोज) मेटाबोलिज्म विकारों की जांच भी की गई।

इस दौरान पाया गया कि जिन मोटापे से ग्रस्त लोगों को डायबिटीज या इससे संबंधित कोई विकार नहीं था उनमे मधुमेह के मरीजों की तुलना में विटामिन डी की मात्रा अधिक थी। जबकि मधुमेह या इससे संबंधित विकारों से पीड़ित लोगों में विटामिन डी की मात्रा कम होने की संभावना ज्यादा थी।

(और पढ़ें - विटामिन डी टेस्ट क्या है)

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शोध के परिणाम बताते हैं कि विटामिन डी का स्तर बीएमआई की तुलना में ब्लड शुगर से ज्यादा संबंधित था। हालांकि, शोध से यह पता नहीं चल पाया कि विटामिन डी ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करने वाले अन्य विकारों या डायबिटीज की समस्या को पैदा करने में कोई भूमिका निभाता है या नहीं। यह निष्कर्ष हाल ही में एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुए थे।

स्पेन के मलागा विश्वविद्यालय के लेखक मैनुअल मैकियास-गोंजालेज ने एक समाचार विज्ञप्ति में कहा कि "उनके निष्कर्ष विटामिन डी के मोटापे की तुलना में ग्लूकोज मेटाबोलिज्म के साथ ज्यादा संबंध होने की ओर संकेत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विटामिन डी की कमी और मोटापा एक साथ डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। जबकि एक सामान्य व्यक्ति में संतुलित आहार की मदद से मधुमेह के जोखिम को कम किया जा सकता है। 

पिछले शोधों में पाया गया था कि जिन लोगों में विटामिन डी की मात्रा कम होती है उनमें मोटापे का खतरा ज्यादा होता है। सूर्य की किरणें विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत होती हैं। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों से भी विटामिन डी की पूर्ति की जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में 100 करोड़ से अधिक लोग धूप कम लेने की वजह से विटामिन डी की कमी से ग्रस्त हैं।

(और पढ़ें - विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ)

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