डायबिटीज (शुगर) एक ऐसा रोग है जिसमें रक्त में मौजूद शुगर या ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। खाना खाने से हमें ग्लूकोज मिलता है और इन्सुलिन नामक हॉर्मोन इस ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में जाने में मदद करता है ताकि उन्हें ताकत मिल सके। जब इंसुलिन का स्तर बिगड़ने लगता है तो डायबिटीज की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिसकी वजह से गला सूखना (प्यास लगना), बार-बार पेशाब आना, सुस्ती, थकान, नींद आना, धुंधला दिखना, अधिक भूख लगना और तेजी से वजन कम होना, जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि जो महिलाएं पीसीओएस से ग्रस्त हैं, इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से वे डायबिटीज का भी शिकार हो सकती हैं।

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(और पढ़ें - टाइप 1 मधुमेह के लक्षण)

  1. पीसीओएस क्या है?
  2. पीसीओएस और डायबिटीज में संबंध
  3. क्या कहते हैं अध्ययन
  4. डायबिटीज और पीसीओएस का इलाज कैसे करें
  5. सारांश

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome, PCOS) एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे अण्डाशयी सिस्ट (Ovarian Cyst) बन जाती है। पीसीओएस एक महिला के मासिक धर्म चक्र, प्रजनन क्षमता, हृदय की गति और रूप-आकार को प्रभावित कर सकता है।

जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है, उनके शरीर में औसत से थोड़ा अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरोन और अन्य एंड्रोजन हार्मोन का उत्पादन होता है। हालांकि, ये प्रजनन हार्मोन्स आमतौर पर पुरुषों में होते हैं और थोड़ी मात्रा में महिलाओं में भी होते हैं।

पीसीओएस का स्तर ऊंचा होने पर महिलाओं में मासिक धर्म अनियमित या मासिक धर्म न आनाप्रजनन संबंधी समस्यावजन बढ़ना, चेहरे पर मुहांसे या शरीर पर अतिरिक्त बाल आने जैसी समस्या दिखने लगती हैं। जिन महिलाओं को पीसीओएस होता है, उन्हें डायबिटीज जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के होने का खतरा भी अधिक होता है।

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कुछ सिद्धांतों से पता चला है कि इंसुलिन रेसिस्टेंस एंडोक्राइन सिस्टम पर एक प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिसकी वजह से टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। टाइप 2 डायबिटीज तब होता है जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाती हैं और इंसुलिन की एक असामान्य मात्रा बन जाती है।

डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन सेंटर (सीडीसी) के अनुसार, 3 करोड़ से अधिक अमेरिकियों को डायबिटीज है। जबकि आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम और प्रबंध के लिए शारीरिक व्यायाम और संतुलित आहार जरूरी है, अनुसंधान से पता चलता है कि 'पीसीओएस' डायबिटीज को बढ़ाने के लिए एक कारक है। वास्तव में, युवा अवस्था में पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में डायबिटीज और भविष्य में संभावित रूप से घातक हृदय समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है।

ऑफिस ऑन वीमेन हेल्थ के अनुसार, पीसीओएस से ग्रस्त लगभग 50% महिलाओं को 40 साल की उम्र से पहले डायबिटीज या प्रीडायबिटीज होने लगता है। लगभग 8,000 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि जो महिलाएं पीसीओएस से ग्रस्त थीं, उनमें प्रेगनेंसी के दौरान टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम बहुत अधिक थे। शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी गौर किया कि यह समस्या बॉडी मास से अलग थी यानी कि यह समस्या पीसीओएस से ग्रस्त लोगों की हाइट या वजन पर निर्भर नहीं है। 

(और पढ़ें - बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कैलकुलेटर)

पीसीओएस और डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप निम्र उपायों को अपनाएं -

  • नियमित व्यायाम : नियमित व्यायाम करने से डायबिटीज या प्रिडायबिटीज और पीसीओएस से ग्रस्त लोगों को फायदा होता है। शारीरिक गतिविधि बढ़ने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है। यह शरीर की प्रक्रिया और ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
  • शुगर लेवल कंट्रोल करें : जैसे ही हमारा शरीर अधिक ब्लड ग्लूकोज बनाने लगता है, तो यह एक व्यक्ति की जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन भी कर पाता है। जब आपका ब्लड शुगर कंट्रोल हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से दवा पर आपकी निर्भरता कम हो जाती है।
  • इंसुलिन सप्लीमेंट : टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए आप दवा ले सकते हैं जो शरीर के इंसुलिन को अधिक प्रभावी ढंग से काम करने और ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करती है। आपका इंसुलिन लेवल कम होने पर डॉक्टर आपको इंसुलिन इंजेक्शन लेने के लिए कह सकते हैं।
  • गर्भनिरोधक गोलियां : आमतौर पर पीसीओएस के ट्रीटमेंट में गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग किया जाता है। ये पीसीओएस लक्षणों को कम करने, मासिक चक्र और हार्मोन के स्तर को नियमित करने में मदद कर सकते हैं।

अब आप जान ही गए होंगे कि पीसीओएस और डायबिटीज कैसे एक-दूसरे से संबंधित हैं, अगर आप ऊपर वर्गीकृत सुझावों को अपनाते हैं तो पीसीओएस और डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

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इस लेख से यह तो स्पष्ट होता है कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं को डायबिटीज होने की आंशका बनी रहती है। इसलिए, जरूरी है कि अगर किसी महिला को पीसीओएस है, तो उसे अपना खास ध्यान रखना चाहिए। महिला को रोज एक्सरसाइज, योग व मेडिटेशन जरूर करना चाहिए। साथ ही शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रखने की जरूरत है। इसके अलावा, पोषक तत्वों से युक्त डाइट लेते रहना भी जरूरी है।

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