दुनिया भर में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. डायबिटीज ऐसी स्थिति है, जिसमें ब्लड शुगर और इंसुलिन का लेवल प्रभावित होता है. अभी तक ऐसी कोई भी दवा या इलाज उपलब्ध नहीं है, जो डायबिटीज को जड़ से खत्म कर सके, लेकिन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सेवन और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए इसे कंट्रोल जरूर किया जा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज को डायबिटीज के सभी प्रकारों में सबसे आम माना गया है, जो मोटापे व शारीरिक गतिविधि में आई कमी के कारण होता है. ऐसे में एलोवेरा व दालचीनी जैसी जड़ी-बूटियों के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज होने पर कौन-कौन सी जड़ी-बूटियों फायदेमंद साबित हो सकती हैं -

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के चरण)

  1. टाइप 2 डायबिटीज में फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां
  2. सारांश
टाइप 2 डायबिटीज के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां के डॉक्टर

यहां हम विस्तार से बता रहे हैं कि किन जड़ी-बूटियों का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है -

एलोवेरा

आमतौर पर एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है, लेकिन यह टाइप 2 डायबिटीज में भी फायदेमंद साबित हो सकता है. 2013 में पब्लिश रिसर्च में दावा किया गया था कि एलोवेरा अग्न्याशय में इंसुलिन का निर्माण करने वाले बीटा सेल्स को सही रखने में मदद कर सकता है. शोधकर्ताओं का मानना था कि ऐसा एलोवेरा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रभावों के कारण हो सकता है. वहीं, 2016 की एक स्टडी से पता चला है कि एलोवेरा फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज और हीमोग्लोबिन A1C के लेवल को कंट्रोल रखने में मदद कर सकता है. डायबिटीज से ग्रस्त मरीज एलोवेरा का जूस या स्मूदी का सेवन कर सकते हैं.

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दालचीनी

दालचीनी एक सुगंधित मसाला है, जिसका इस्तेमाल मिठाई और अन्य चीजों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह मसाला खाने में मिठास को बढ़ाता है, जिस कारण आर्टिफिशियल मीठा मिलाने की जरूरत कम ही पड़ती है. यही कारण है कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीज दालचीनी को खासा पसंद करते हैं.

2016 में इंसानों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि दालचीनी को लेने से फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (FPG) या हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c) के स्तर में सुधार हो सकता है. इस स्टडी में शामिल अधिकांश लोगों ने अपनी डायबिटीज की दवा लेनी नहीं छोड़ी थी. कुछ और स्टडी से भी पता चलता है कि दालचीनी को लेने से टाइप 2 डायबिटीज और प्री-डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों के इंसुलिन रजिस्टेंस में सुधार हुआ था.

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करेला

आयुर्वेद में करेले का खासतौर से उल्लेख किया गया है. इसे कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाकर और आंत में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करके रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है. करेले को सप्लीमेंट के रूप में लिया जा सकता है या फिर इसे अपनी डाइट में भी शामिल किया जा सकता है.

(और पढ़ें - समय के साथ टाइप 2 डायबिटीज में कैसे बदलाव होता है)

मिल्क थिस्ल

लोग लंबे समय से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए मिल्क थिस्ल का इस्तेमाल कर रहे हैं. खासतौर से इसका इस्तेमाल टॉनिक के रूप में लिवर के लिए किया जाता है.

मिल्क थिस्ल से एक्स्ट्रेक्ट के रूप में सिलीमारिन निकलता है, जिस पर वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च की है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जिस कारण से इसका इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज में किया जा सकता है. 2016 की एक स्टडी के अनुसार, विभिन्न जांचों में सिलीमारिन के पॉजिटिव असर को देखा गया है, लेकिन डायबिटीज के इलाज में अकेले इसे इस्तेमाल करने को लेकर पर्याप्त रिसर्च नहीं है.

(और पढ़ें - क्या टाइप 2 डायबिटीज जड़ से खत्म हो सकती है)

मेथी

मेथी के दाने लगभग सभी के रसाेई घर में पाए जाते हैं. यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है. इसमें फाइबर होता है, जो कार्बोहाइड्रेट और शुगर की डायजेशन प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है.

कुछ रिसर्च के अनुसार, मेथी के बीज टाइप 2 डायबिटीज को शुरुआती लेवल पर ही कंट्रोल कर सकते हैं. 2015 में 3 वर्ष तक की गई रिसर्च से पता चलता है कि अगर प्रीडायबिटीज के मरीज मेथी का पाउडर लेते हैं, तो टाइप 2 मधुमेह होने की आशंका कम हो सकती है.

इस रिसर्च में डायबिटीज से ग्रस्त 66 लोगों को शामिल किया गया, जिन्होंने खाने से पहले दिन में दो बार 200 मिलीलीटर पानी के साथ 5 ग्राम मेथी के बीज लिए थे. अंत में शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि मेथी के बीज लेने से ब्लड शुगर के लेवल में कमी आ सकती है. साथ ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम हो सकता है.

(और पढ़ें - क्या टाइप 2 डायबिटीज से त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है)

अदरक

अदरक भी गुणकारी जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल लोग हजारों वर्षों से पारंपरिक दवा के रूप में करते आ रहे हैं. पाचन और सूजन संबंधी समस्याओं के इलाज में अक्सर अदरक का इस्तेमाल किया जाता है.

2015 की एक स्टडी में भी पाया गया है कि अदरक डायबिटीज के इलाज में मदद कर सकता है. इस संबंध में शोधकर्ताओं का मानना है कि अदरक ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकता है, लेकिन ब्लड इंसुलिन के लेवल को नहीं. नतीजतन, उन्होंने सुझाव दिया कि अदरक टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन रजिस्टेंटस को कम कर सकता है.

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण)

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां टाइप 2 डायबिटीज के मरीज में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में फायदेमंद हो सकती हैं, लेकिन उन्हें दवा के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. डायबिटीज के इलाज में किसी भी जड़ी-बूटी को शामिल करने से पहले डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए. इसके अलावा, डायबिटीज के मरीज को अच्छी डाइट लेनी चाहिए और रोज एक्सरसाइज व योग करना चाहिए.

(और पढ़ें - क्या टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं)

Dr.Jainaa Khedawala

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मधुमेह चिकित्सक
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Surbhi Agrawal

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मधुमेह चिकित्सक
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