टाइप 2 डायबिटीज होने पर शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में उपयोग नहीं कर पाता है. यह एक दीर्घकालिक स्थिति है. ऐसा होने पर ब्लड में शुगर का स्तर काफी बढ़ जाता है. जब किसी व्यक्ति में शुगर का स्तर बढ़ता है, तो नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम प्रभावित होने लगता है. यह अवस्था गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण बन सकती है, इसलिए टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान पहले से ही लगाना जरूरी हो जाता है. जब टाइप 2 डायबिटीज का पता पहले से लग जाता है, तो इसे कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते है.

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आज इस लेख में आप उस तरीके के बारे में जानेंगे, जिसके जरिए टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान लगाना आसान हो सकता है -

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  1. टाइप 2 डायबिटीज का अनुमान लगाने का तरीका
  2. सारांश
टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान कैसे लगाएं? के डॉक्टर

एक अध्ययन के अनुसार, जब टाइप 2 डायबिटीज होने का पता लगाने की बात आती है, तो वेस्ट सरकम्फ्रेंस (डब्ल्यूसी) और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग किया जाता है, लेकिन बॉडी एडिपोसिटी इंडेक्स (बीएआई), विसरल एडिपोसिटी इंडेक्स (वीएआई) और ट्राइग्लिसराइड्स-ग्लूकोज इंडेक्स (टीवाईजी) को डब्ल्यूसी और बीएमआई से बेहतर माना गया है.

इस स्टडी में 1091 लोग शामिल थे, जिनमें 57% महिलाएं थीं. इनके प्रतिभागियों के 2 बार हेल्थ टेस्ट किए गए, पहले वर्ष 2005-2006 और फिर वर्ष 2010-2013 में. इस दौरान अध्ययन करने वालों ने बीएमआई, डब्ल्यूसी, बीएआई, वीएआई व टीवाईजी का टाइप 2 डायबिटीज होने के जोखिम के साथ मूल्यांकन किया.

उस समय सभी प्रतिभागी बेसलाइन पर टाइप 2 डायबिटीज से मुक्त थे. 5 वर्ष के बाद फिर से चेकअप करने पर 3.8% में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण पाए गए. इसके अलावा, खराब मेटाबॉलिक प्रोफाइल के साथ-साथ हाइपरटेंशनडिस्लिपिडेमिया और मोटापे की समस्या भी पाई गई.

इसके आधार पर अध्ययनकर्ताओं ने निम्न प्रकार का निष्कर्ष निकाला -

  • इस अध्ययन के बाद रिसर्च ने माना कि जब किसी व्यक्ति में बीएआई का एक यूनिट अधिक हो जाता है, तो टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम लगभग 8 फीसदी तक बढ़ जाता है.
  • वहीं, जब वीएआई का एक यूनिट बढ़ता है, तो टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 11 प्रतिशत बढ़ जाता है.
  • दूसरी तरफ, अगर टीवाईजी का एक यूनिट बढ़ता है, तो टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 4 गुना अधिक बढ़ जाता है. 
  • अध्ययनों में साबित हुआ है कि बीएआई और वीएआई की तुलना में टीवाईजी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान लगाने में अधिक सक्षम और सटीक है.
  • इन्हीं के साथ बीएमआई और डब्ल्यूसी भी ऐसे कारक हैं, जो टाइप 2 डायबिटीज जोखिम का अनुमान लगाने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं.

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अगर किसी को भी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अंदाजा लगाना है, तो बीएआई, वीएआई और टीवाईजी से पता लगाया जा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान वे लोग लगा सकते हैं, जो मोटापे से ग्रसित हैं या जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है. इसके अलावा, अगर घर-परिवार में किसी को टाइप 2 डायबिटीज है, तो भी इसका पहले से ही अनुमान लगाना बेहतर होता है. अगर कोई भी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारकों में शामिल हैं, तो नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं.

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