क्रोन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है?
इसके उपचार में दवाएं, सर्जरी और अन्य पोषण संबंधी सप्लीमेंट्स आते हैं।
उपचार का मुख्य लक्ष्य सूजन व जलन को नियंत्रित करना, पोषण संबंधी समस्याओं और लक्षणों को ठीक करना होता है।
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क्रोन रोग का इलाज संभव नहीं है, पर कुछ उपचारों की मदद से मरीज में बार-बार होने वाले इस रोग के अनुभव को कम किया जा सकता है।
क्रोन रोग का उपचार निम्न पर निर्भर करता है:
- सूजन व जलन की समस्या कहां पर है।
- रोग की गंभीरता
- रोग की जटिलताएं
- बार-बार होने वाले लक्षणों के उपचार के प्रति मरीज क्या प्रतिक्रिया दे रहा है।
कुछ लोगों में यह रोग बिना किसी प्रकार के लक्षण पैदा किए किसी व्यक्ति के शरीर में लंबे समय तक रह सकता है यहां तक कि सालों तक भी।
जैसे कि इसके सुधार होने की अवधि अलग-अलग हो सकती है, तो यह जानना काफी मुश्किल होता है कि उपचार कितना प्रभावी है। पहले ही यह बताना असंभव है कि सुधार होने की अवधि कितनी लंबी हो सकती है।
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दवाएं:
- एंटी-इन्फलेमेशन दवाएं:
सबसे अधिक संभावना होती है कि डॉक्टर मेसालेमिन (सल्फासलैजीन) दवाओं के द्वारा उपचार शुरू करते हैं, जो सूजन, जलन व लालिमा (इन्फलेमेशन) को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- कोर्टिसोन और स्टेरॉयड:
कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं में कोर्टिसोन और स्टेरॉयड होता है। (और पढ़ें - कोर्टिसोन क्या है)
- इम्यूनोस्पेप्रेसेंट दवाएं: ये दवाएं मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम करती हैं। डॉक्टर 6-मर्कैप्टोप्युरिन (Mercaptopurine) या इससे संबंधित दवा एजाथीपोरिन (Azathioprine) लिख सकते हैं। (और पढ़ें - प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के उपाय)
- इनफ्लीक्सिमैब:
यह शरीर की सूजन व जलन संबंधी प्रतिक्रिया को ब्लॉक करता है। (और पढ़ें - लिवर में सूजन का इलाज)
- एंटीबायोटिक्स:
फिस्टुला, स्ट्रीक्चर या पहले की हुई किसी सर्जरी के कारण बैक्टीरिया में अधिक वृद्धि हो सकती है। डॉक्टर आमतौर पर इन समस्याओं का इलाज एम्पिसीलिंग, सल्फोनामाइड, सिफेलोस्पोरिन, टेट्रासाइक्लिन या मेट्रोनीडाजोल जैसी दवाएं लिखकर करते हैं। (और पढ़ें - एंटीबायोटिक क्या है)
- दस्त रोधी और फ्लूड रिप्लेस्मेंट (तरल बदलना):
जब सूजन व जलन कम होने लगती है, तो आमतौर पर दस्त की समस्या भी कम हो जाती है। हालांकि कई बार मरीज को दस्त व पेट में दर्द की समस्या के लिए कुछ दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। (और पढ़ें - दस्त रोकने के उपाय)
सर्जरी:
क्रोन रोग के हर मरीज को कभी न कभी सर्जरी के गुजरना ही पड़ता है। जब दवाइयों से रोग के लक्षण रोकना मुश्किल हो तो सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है। सर्जरी के द्वारा उन लक्षणों को ठीक किया जा सकता है जो दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं देते। रोग के कारण होने वाली जटिलताएं जैसे फोड़ा, परफोरेशन (छेद होना), रक्तस्त्राव और ब्लॉकेज आदि को ठीक करने के लिए भी सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आंत के प्रभावित हिस्से को शरीर से निकाल देना मददगार हो सकता है लेकिन यह क्रोन रोग का समाधान नहीं करता। जहां से आंत का हिस्सा हटाया जाता है उससे अगले हिस्से में सूजन व लालिमा फिर से आने लगती है। कुछ मरीजों को क्रोन रोग के लिए अपने जीवन काल में एक से अधिक ऑपरेशन (सर्जरी) करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
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कुछ मामलों में कोलेक्टॉमी (Colectomy) की आवश्यकता भी पड़ सकती है, इस प्रक्रिया में पूरे कोलन को ही हटा दिया जाता है। यदि सर्जन आंत का प्रभावित हिस्सा निकाल पाते हैं और बाकी के हिस्से को आपस में जोड़ पाते हैं, तो स्टोमा (Stoma) की आवश्यकता नहीं पड़ती। जब पेशाब या मल के निकासन या किसी अन्य वजह से जब शरीर में एक अतिरिक्त छेद खोला जाता है तो उसे स्टोमा कहा जाता है।
रोगी और उनके डॉक्टर को सर्जरी पर बहुत ध्यान से विचार कर लेना चाहिए। यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। रोगी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि यह रोग ऑपरेशन के बाद फिर से भी हो सकता है।
क्रोन रोग से ग्रस्त ज्यादातर लोग अपने जीवन में सामान्य गतिविधियां, नौकरी या अपने व्यवसाय के काम कर सकते हैं, परिवार बढ़ा सकते हैं और शारीरिक फंक्शन्स को सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
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