एंटीवायरल ड्रग यूमीफेनोवीर एक अन्य ड्रग फेरीपिरावीर के साथ मिलकर कोविड-19 के खिलाफ कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाती। जानी-मानी दवा कंपनी ग्लेनार्क फार्मास्यूटिकल्स ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने फेवीपिरावीर के सिंगल ड्रग ट्रीटमेंट से यूमीफेनोवीर-फेरीपिरावीर के मिश्रित डोज की तुलना करने के लिए एक क्लिनिकल स्टडी की थी। इस प्रयोग में यूमीफेनोवीर कोरोना वायरस के खिलाफ असरदार साबित नहीं हुई है। ग्लेनमार्क ने कॉम्बिनेशन ड्रग के रूप में दोनों दवाओं के संभावित अधिक प्रभाव को जानने के लिए यह अध्ययन किया था। लेकिन परिणाम में पता चला कि फेवीपिरावीर मोनोथेरेपी की तुलना में यूमीफेनोवीर-फेवीपिरावीर कॉम्बिनेशन विशेष प्रभावी नहीं है। ग्लेनमार्क ने अध्ययन से जुड़े परिणाम भारतीय ड्रग रेग्युलेटर के समक्ष रख दिए हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, परिणामों की जानकारी देते हुए ग्लेनमार्क ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज को लेकर फेवीपिरावीर मोनोथेरेपी के सफल परीक्षण के बाद उसने दूसरा क्लिनिकल अध्ययन करने का फैसला किया था। इसका मकसद फेवीपिरावीर के साथ एक और ड्रग को मिलाकर संक्रमण के खिलाफ और बेहतर परिणाम हासिल करना था। हालांकि इस अध्ययन में कंपनी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए कंपनी की एक बड़ी अधिकारी मोनिका टंडन ने कहा, 'ताजा परिणाम इसकी पुष्टि करते हैं कि (फेरीपिरावीर में) यूमीफेनोवीर को मिलाने से ज्यादा बेहतर क्लिनिकल रिजल्ट नहीं मिलते हैं। इस तरह सपोर्टिव उपचार के साथ फेवीपिरावीर थेरेपी ही कोविड-19 के हल्के और मध्यम स्तर के संक्रमण के खिलाफ उपयुक्त और प्रभावी इलाज के रूप में बचता है।'
क्या है यूमीफेनोवीर?
यह इन्फ्लूएंजा संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीवायरल दवा है, जिसे बाजार में आर्बिडोल के नाम से बेचा जाता है। जानकारों के मुताबिक, रूस और चीन में फ्लू के ट्रीटमेंट के रूप में इस दवा का काफी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यूमीफेनोवीर को एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह दवा संक्रमित मुख्य कोशिका की झिल्ली और वायरस के आवरण को ब्लॉक कर देती है, जिससे वायरल होस्ट सेल में घुस नहीं पाता। परिणामस्वरूप संक्रमण नहीं फैलता और वायरस अपनी कॉपियां (रेप्लिकेशन) नहीं बना पाता। जानकार बताते हैं कि साइटोकिन प्रोटीनों इंटरल्यूकिन-1बेटा (आईएल-1बी), आईएल-6, आईएल-12 और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-अल्फा की मात्रा को भी कम करने का काम करता है और आईएल-10 साइटोकिन प्रोटीन का प्रसार करता है, जिससे इन्फ्लेमेशन में कमी होती है।
इन विशेषताओं के चलते मेडिकल जानकारों का अनुमान था कि शायद यूमीफेनोवीर कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ भी असरदार होगी, क्योंकि इस इन्फेक्शन के लक्षण भी उपरोक्त लक्षणों से मिलते हैं। बता दें कि इन्हीं विशेषताओं वाली कुछ अन्य दवाएं वायरस के खिलाफ प्रभावी दिखी हैं। फेवीपिरावीर इन ड्रग्स में शामिल है। वैज्ञानिकों का मानना था कि हो सकता है यूमीफेनोवीर के साथ मिलाकर देने से कोरोना संक्रमण के खिलाफ और बेहतर परिणाम मिल सकें। लेकिन ग्लेनमार्क के अध्ययन आधारित परिणाम इस विचार को सही नहीं बताते। हालांकि यहां साफ कर दें कि ये परिणाम कॉम्बिनेशन ड्रग थेरेपी पर आधारित हैं। ग्लेनमार्क के अलावा सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सीडीआरआई ने भी जुलाई में यूमीफेनोवीर को कोविड-19 के बतौर वैकल्पिक इलाज के रूप में टेस्ट करने का अप्रूवल लिया था। इस संबंध में संस्थान के ट्रायल अभी भी चल रहे हैं। देखना होगा कि इन परीक्षणों में यह ड्रग किस तरह के परिणाम देता है।