नीदरलैंड में ऊदबिलाव की एक प्रजाति मिंक की फार्मिंग से जुड़ी दो लोकेशन में नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 मिलने की बात सामने आई है। ये दोनों लोकेशन एक-दूसरे के नजदीक हैं। एक शोध के मुताबिक, अप्रैल महीने में इन दोनों लोकेशन से रिपोर्ट आई थी कि वहां कुछ मिंक्स में श्वसन संबंधी समस्याओं के लक्षण दिखाई दिए थे। उनमें से कुछ को सांस लेने में तकलीफ भी हो रही थी। बताया गया है कि इन लक्षणों से मारे गए कुछ मिंक की मृत्यु दर भी अपेक्षित 0.6 प्रतिशत से दो से चार गुना ज्यादा रही। खबर के मुताबिक, इन फार्म्स में हर तरफ मिंक्स ऐसे लक्षणों से ग्रस्त दिखाई दिए थे। बताया गया है कि ज्यादातर नवजात मादा मिंक्स में ये लक्षण दिखाई दिए हैं।
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इन जानवरों में ये लक्षण दिखने के बाद तीन मृत मिंक्स के फेफड़ों के सैंपल पीसीआर विश्लेषण के लिए भेजे गए। एक हफ्ते बाद 36 शवों को जांच के लिए भेजा गया। जांच के लिए उनकी नाक के अंदरूरी हिस्सों और मलाशय से स्वैब लिए गए। परिणाम में सामने आया कि इन 36 मृत मिंक्स में से 28 को इन्टर्स्टिशियल निमोनिया (फेफड़ों से जुड़ी एक समस्या) हो गया था। इन 28 मृत मिंक्स में से सात के फेफड़ों की माइक्रोस्कोप की मदद से जांच की गई।
पीसीआर जांच में सातों जानवरों के गले, फेफड़ों, नाक और मलाशय के नमूनों में वायरल आरएनए मिलने की बात सामने आई। इसके अलावा एक मिंक का लिवर और तीन की आंतों में वायरल आरएनए मिला था। बाद में जब दूसरे बैच के तहत लाए गए नौ अन्य मिंक्स की सर्जिकल जांच में भी ऐसे ही परिणाण आए तो शोधकर्ताओं ने संभावना जताई कि शायद सार्स-सीओवी-2 अलग-अलग तरीके से दोनों फार्मों में पहुंचा था और चीन के वुहान शहर में सामने आए वायरस से अलग था। शोधकर्ताओं ने कहा है कि फार्म में पहुंचने से पहले सार्स-सीओवी-2 कई बार बदल चुका था।
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इन्सानों से कनेक्शन
मामला सामने आने के बाद नीदरलैंड के सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों ने मिंक में कोरोना वायरस आने के सोर्स का पता किया। जांच में पता चला कि अप्रैल की शुरुआत में एक फार्म के एक कर्मचारी में कोविड-19 के लक्षण थे। लेकिन उसकी जांच नहीं की गई थी। वहीं, दूसरे फार्म में एक और कर्मचारी कोविड-19 से ग्रस्त था, जिसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता मार्च के अंत में चला था। हालांकि इनमें से किसी से भी वायरल आरएनए रिकवर नहीं हो सका था। लेकिन फार्म में मिंक्स के घरों के बीच उड़ने वाली धूल से जो सैंपल लिए गए, उनमें वायरल आरएनए पाया गया। इस आधार पर शोध में बताया गया है कि इन्सानों से कोरोना वायरस इन जानवरों से फैला था। साथ यह संभावना भी जताई गई है कि मिंक्स से वायरस फार्म के कर्मचारियों में भी फैल सकता है, लिहाजा फार्म में जैव-सुरक्षा की मदद से संक्रमण को आइसोलेट किए जाने की जरूरत है।
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