अमेरिकी दवा कंपनी मॉडेर्ना ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन एमआरएनए1273 के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए शीर्ष ड्रग एजेसी फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के समक्ष आवेदन दे दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कंपनी को इस्तेमाल की मंजूरी बिना किसी बाधा के मिल जाती है तो इस वैक्सीन को आगामी 21 दिसंबर तक लोगों को लगाया जाना शुरू किया जा सकता है। अखबार ने कंपनी के चीफ एक्जिक्यूटिव स्टीफन बैंसल के एक इंटरव्यू में दिए बयान के हवाले से यह जानकारी दी है।

मॉडेर्ना का यह आवेदन उसके उस ताजा डेटा के आधार पर किया गया है, जिसमें एमआरएनए1273 को कोविड-19 की रोकथाम में 94 प्रतिशत से ज्यादा सक्षम बताया गया है। यह डेटा वैक्सीन की क्षमता का विश्लेषण करने के बाद सोमवार को जारी किया गया है। मॉडेर्ना ने यह भी कहा है कि 30 हजार प्रतिभागियों वाले उसके तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल के तहत किए गए अध्ययन में उसने साइंटिफिक क्राइटेरिया के तहत यह साबित कर दिया है कि उसकी वैक्सीन कारगर है। इसी अध्ययन के संपूर्ण डेटा का एक हिस्सा बीती 16 नवंबर को सामने रखा गया था। तब मॉडेर्ना ने अपनी वैक्सीन को कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ 94.5 प्रतिशत सक्षम बताया था। वहीं, नए डेटा में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन कोरोना संक्रमण को गंभीर होने से रोकने में सौ प्रतिशत इफेक्टिव है।

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खबर के मुताबिक, स्टीफन बैंसल ने बताया है कि साल के अंत तक मॉडेर्ना वैक्सीन के दो करोड़ डोज तैयार कर रही है। अगले साल उसकी योजना 50 करोड़ डोज तैयार करने की है। उन्होंने कहा कि हरेक व्यक्ति को वैक्सीन के दो डोज की जरूरत होगी है, लिहाजा एक करोड़ लोगों के लिए दो करोड़ डोज पर्याप्त होंगे। गौरतलब है कि मॉडेर्ना दूसरी वैक्सीन निर्माता कंपनी है, जिसने अपने कोरोना टीके के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए एफडीए के सामने आवेदन दिया है। इससे पहले अमेरिका की ही एक अन्य दवा कंपनी फाइजर ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन बीएनटी162बी2 के इमरजेंसी यूज के लिए एफडीए से मंजूरी मांगी थी। वह पहली कंपनी है जिसने पहली बार कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की अपनी वैक्सीन को 90 प्रतिशत से ज्यादा क्षमता वाली बताया था। फाइजर का दावा है कि इस साल के अंत तक वह पांच करोड़ वैक्सीन डोज बना सकती है, जिनमें से आधी अमेरिका के लिए होंगे। एमआरएनए1273 की तरह बीएनटी162बी2 भी दो डोज वाली वैक्सीन है।

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मॉडेर्ना और फाइजर द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस के जेनेटिक मटीरियल मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए के सिंथैटिक वर्जन से बनाई गई हैं। शरीर में जाने के बाद यह वैक्सीन मानव कोशिकाओं में वायरस के एक टुकड़े की कई कॉपियां बना देती हैं। इससे इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और खुद को इन्हें पहचानने के लिए प्रशिक्षित करने लगता है। ऐसा होने पर जब असली वायरस शरीर में घुसता है तो उसकी पहचान कर इम्यून सिस्टम उसे शरीर में फैलने नहीं देता। इस तरह संक्रमण आगे नहीं बढ़ पाता और वायरस का ट्रांसमिशन रुक जाता है। यहां उल्लेखनीय बात यह है कि अभी तक किसी भी संक्रामक बीमारी की रोकथाम या इलाज के लिए कोई एमआरएनए वैक्सीन नहीं बनी है। यही कारण है कि कई मेडिकल एक्सपर्ट और वैज्ञानिक फाइजर और मॉडेर्ना की कोरोना वैक्सीनों को संदेह की नजर से देखते रहे हैं। हालांकि दोनों ही टीकों के मजबूत ट्रायल परिणामों ने इन संदेहों को काफी हद तक दूर कर दिया है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: क्षमता विश्लेषण में भी मॉडेर्ना की वैक्सीन 94 प्रतिशत से ज्यादा कारगर, एफडीए से आपाकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है

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