रूस द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन 'स्पूतनिक 5' के भारत में इस्तेमाल होने का पहला साफ संकेत मिला है। खबर है कि जानी-मानी भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज ने स्पूतनिक 5 कोविड-19 वैक्सीन के भारत में क्लिनिकल ट्रायल करने और इसके वितरण के लिए रूस की सरकारी वित्तीय कंपनी रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के साथ मिलकर समझौता किया है। इस डील के तहत आरडीआईएफ, डॉ. रेड्डीज को दस करोड़ वैक्सीन डोज की आपूर्ति करेगा। रूसी सरकारी कंपनी के सीईओ काइरिल दिमित्रेव ने भारत के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर वैक्सीन के ट्रायल सफल रहे तो वैक्सीन डोजों को नवंबर की शुरुआत में भारत को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया जाएगा। इस संबंध में आरडीआईएफ चार अन्य भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के भी संपर्क में है।
खबर के मुताबिक, आरडीआईएफ के सीईओ ने अखबार से कहा है, 'आरडीआईएफ और डॉ. रेड्डीज के बीच हुए यह समझौता लोगों की सुरक्षा के संबंध में अलग-अलग देशों और (मेडिकल व वैज्ञानिक) संगठनों में विविध कोविड-रोधी वैक्सीन श्रेणियों को लेकर बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है।' दिमित्रेव ने स्पूतनिक 5 में इस्तेमाल हुए एडिनोवायरस को लेकर कहा कि यह विषाणु बीते कई दशकों के दौरान 250 से ज्यादा क्लिनिक ट्रायलों में आजमाया जा चुका है, जिनमें इसे सुरक्षित पाया गया है। बता दें कि स्पूतनिक 5 में भी रूस ने एडिनोवायरस का इस्तेमाल किया है। इस पर बात करते हुए आरडीआईएफ के उच्चाधिकारी ने कहा, 'पहले और दूसरे चरण के (परीक्षणों के) परिणाम भरोसेमंद हैं। भारत में हम तीसरे चरण के ट्रायल कराएंगे ताकि यहां के नियामकों की शर्तों और मानकों को पूरा कर सकें। भारत में कोविड-19 के खिलाफ जंग में स्पूतनिक 5 एक भरोसेमंद विकल्प दे सकती है।'
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गौरतलब है कि हाल में प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका दि लांसेट ने स्पूतनिक 5 को अपने अध्ययन के आधार पर सुरक्षित और कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करने में सक्षम बताया था। पत्रिका ने रूस में हुए पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षणों के परिणामों से जुड़ी जानकारी के विश्लेषण के बाद यह बात कही थी। हालांकि उसकी रिपोर्ट पर कुछ वैज्ञानिकों ने संदेह जताया है। वहीं, यूरोप और अमेरिका ने रूसी वैक्सीन पर पहले से सवाल खड़े किए हुए हैं। इस बारे में इकनॉमिक टाइम्स ने जब दिमित्रेव से सवाल किए तो उन्होंने अन्य वैक्सीनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एडिनोवायरस की मदद से तैयार होने वाली वैक्सीन एमआरएनए (कोरोना वायरस के जेनेटिक मटीरियल से बनाई गई) वैक्सीन से ज्यादा सुरक्षित है और ज्यादातर पश्चिमी कंपनियां इस वैक्सीन का निर्माण कर रही हैं। बहरहाल, तमाम विवादों के बीच रूस अपनी वैक्सीन को आम लोगों के लिए लॉन्च कर चुका है और दुनिया के अन्य देशों में इसे बेचने की कोशिश कर रहा है। इनमें एशिया के कई देश शामिल हैं, जिनमें भारत भी आता है।