कोविड-19 का बच्चों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है, यह जानने के लिए किए गए एक अध्ययन में दिलचस्प बात सामने आई है। अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित चर्चित चिल्ड्रेन्स नेशनल हॉस्पिटल (सीएनएच) के शोधकर्ताओं ने अपनी जांच के आधार पर बताया है कि कोविड-19 से ग्रस्त होने वाले कुछ बच्चों में कोरोना वायरस और उसके खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी एक ही समय एक साथ शरीर में मौजूद पाए गए हैं। यह जानकारी बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानी-मानी पत्रिका जर्नल ऑफ पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित हो चुकी है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और सीएनएच में लैबोरेटरी इनफॉर्मैटिक्स की निदेशक डॉ. बुराक बहर ने बताया, 'ज्यादातर वायरस एंटीबॉडी का पता लगाते समय नहीं दिखते। लेकिन कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मामले में यह देखने को मिल रहा है।'
डॉ. बहर ने बताया कि आगे की स्टडी में वे और उनकी टीम यह पता लगाएगी कि क्या एंटीबॉडी के साथ शरीर में मौजूद रहते हुए वायरस अन्य लोगों में ट्रांसमिट भी हो सकता है। यह भी जानना बाकी है कि वायरस की मौजूदगी के साथ एंटीबॉडी शरीर में इम्यूनिटी जनरेट कर पाती है या नहीं और रीइन्फेक्शन से ये एंटीबॉडी और संभावित प्रोटेक्शन कितने समय तक बचाए रखती हैं। अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि इम्यूनोलॉजिक रेस्पॉन्स पैदा होने के बाद शरीर से वायरस के निकलने में कितना समय लगता है। इसके लिए उन्होंने वायरल पॉजिटिविटी से नेगेटिविटी का औसत समय निकाला, जोकि बताता है कि औसतन 25 दिन के बाद (रिकवर हुए बच्चों में) वायरस डिटेक्ट नहीं होता है। वहीं, सेरोलॉजिकल टेस्ट में एंटीबॉडी डिटेक्ट होने का औसत समय 18 दिन है। साथ ही, एंटीबॉडीज के वायरस को खत्म करने वाली पर्याप्त संख्या में पहुंचने का समय 36 दिन पाया गया है।
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बहरहाल, बच्चों में सार्स-सीओवी-2 के प्रभाव को जानने के लिए अध्ययन में 6,369 बच्चों को शामिल किया गया था। इन सभी का कोविड-19 टेस्ट किया गया था। इनमें 215 बच्चे ऐसे थे, जिनकी एंटीबॉडी टेस्टिंग 13 मार्च से 21 जून के बीच सीएचएन में हुई थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि इन 215 बच्चों में से 33 के बीमारी के दौरान ही वायरस और एंटीबॉडी टेस्ट किए गए थे। उनमें से नौ बच्चों के रक्त में एंटीबॉडी और वायरस एक साथ पाए जाने की पुष्टि हुई है। शोधकर्ताओं ने जाना कि इन बच्चों में से 15 साल के छह बच्चों को वायरस को पूरी तरह निकालने में लंबा समय (औसतन 32 दिन) लगा था, जबकि 16 से 22 साल के युवाओं को इसकी तुलना में कम समय (केवल 18 दिन) लगा। छह से 15 साल की लड़कियों को भी वायरस से पूरी तरह मुक्त होने में 44 दिन लगे, जबकि लड़कों में 25.5 दिनों में वायरस शरीर से पूरी तरह निकल गया।