कोविड-19, दिसंबर 2019 में फैलना शुरू हुआ और मार्च 2020 तक इसने महामारी का रूप ले लिया। हालांकि, वर्तमान में भी यह तेजी से आगे बढ़ रहा है और आज भी इससे निपटने के लिए कई चुनौतियां हैं। लेकिन फिर भी पहले के मुकाबले इस बीमारी को काफी हद तक समझा जा चुका है, यही वजह है कि कोरोना वायरस के निदान और इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।
कोरोना वायरस जिन लोगों में एक्टिव है उनमें इस बीमारी का निदान आरटी-पीसीआर (रीयल-टाइम रिवर्स-ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट के परिणामों पर आधारित है। हालांकि, आपने इन दिनों एक और टेस्ट का नाम सुना होगा, जिसे एंटीबॉडी टेस्ट कहते हैं। इसका उपयोग रोगी के खून में SARS-CoV-2 एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त, डॉक्टर छाती का सीटी स्कैन या चेस्ट एचआरसीटी स्कैन कराने का सुझाव दे सकते हैं। इससे फेफड़ों को होने वाले नुकसान और बीमारी की स्थिति के बारे में पता चल पाता है।
एक अन्य माप है जो कोविड के दौर में आपकी मदद कर सकता है। इसका नाम CO-RADS है जिसका मतलब 'कोविड-19 रिपोर्टिंग एंड डेटा सिस्टम' है। इसे डच शोधकर्ताओं द्वारा विशेष रूप से कोविड-19 के मामलों के लिए विकसित किया था। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 मामलों में फेफड़ों संबंधी समस्याओं का मूल्यांकन करना है। हालांकि, यह इस तरह की एकमात्र प्रणाली नहीं है, एक अन्य प्रणाली जिसका नाम आरएसएनए (रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका) चेस्ट सीटी स्कैन है, यह कोविड-19 निमोनिया से संबंधित जानकारी देता है। बता दें, CO-RADS की सात श्रेणियां हैं, जो कि 0 से लेकर 6 तक में बटी हैं। जब आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो पाती है तो यह वर्गीकरण 'नॉन-इंहेंस्ड सीटी स्कैन परिणामों' और लक्षण के आधार पर तय किया जाता है। सीटी स्कैन के परिणाम आरटी-पीसीआर परिणामों की तुलना में बहुत तेजी से आते हैं, जो देखा जाए तो उन जटिल व गंभीर स्थितियों में जान बचाने में भी कारगर है, जहां मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नहीं आ पाती है।
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