नए कोरोना वायरस को भारत में और ज्यादा फैलने से रोकने के लिए सरकार और प्रशासन के स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत, देश के कई जिले पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। कहीं-कहीं तो पूरे राज्य ही लॉकडाउन कर दिए गए हैं। ये सब इसलिए, ताकि देश में सार्स-सीओवी-2 से होने वाली जानलेवा बीमारी कोविड-19 और लोगों को अपना शिकार न बना पाए।
लेकिन यह केवल सरकार के प्रयासों से संभव नहीं है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम लोगों से अपील की है कि वे भी इस संकट की घड़ी में अपनी भूमिका निभाएं। इसके लिए उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे जहां तक संभव हो घर से बाहर न निकलें। उनकी यह अपील कई मायनों में अहम है। अगर लोग घरों में नहीं रुकेंगे तो न सिर्फ प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे, बल्कि अपने घर के सदस्यों को भी बीमार करने का कारण बन सकते हैं। ऐसे में फोमिटीज एक खतरनाक भूमिका निभा सकते हैं और कोरोना वायरस के फैलने का एक बड़ा जरिया बन सकते हैं।
(और पढ़ें - भारत में कोरोना वायरस के मामले 400 के पार)
फोमिटीज क्या हैं?
सरल भाषा में कहें तो ऐसी हर वस्तु, जिसे वायरस से संक्रमित व्यक्ति छू सकता है, को डॉक्टरी भाषा में फोमिटी कहा जाता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए जाने के बाद इन वस्तुओं यानी कि फोमिटीज पर वायरस अटैच हो जाता है। फिर इन्हें छूने से दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण फैल सकता है। मिसाल के लिए, रोज सुबह अखबार बांटने वाले व्यक्ति में अगर कोरोना या कोई भी वायरस है, तो उसके द्वारा दिए जाने वाले अखबार पर भी वह वायरस हो सकता है। इस तरह अखबार यहां "फोमिटी" के रूप में काम करता है। इसी तरह दूध का पैकेट भी एक फोमिटी हो सकता है।
दो उदाहरण
कुछ समय पहले अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन स्थित एक स्कूल में सौ से ज्यादा बच्चे अचानक बीमार पड़ गए थे। जांच में पता चला कि एक बच्चे के पेट में कीड़े (बग) थे, जिसकी वजह से उसे उल्टी हुई थी। बच्चे ने उल्टी करने के बाद स्कूल की गई जगहों को छुआ था। फिर उन जगहों को वहां बैठने वाले बच्चों ने छुआ और इस तरह वे बग कई बच्चों में फैल गए। एक साथ इतने बच्चों के बीमार पड़ने के बाद स्कूल को कई दिनों के लिए बंद कर दिया गया और जब तक पूरे स्कूल की सफाई नहीं हो गई, तब तक उसके दरवाजे बच्चों के लिए नहीं खोले गए। रिपोर्टें बताती हैं कि सफाई के दौरान स्कूल प्रशासन ने एक-एक लॉकर और डेस्क की सफाई की थी। वहीं, साल 2002 में सामने आए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी ने फोमिटीज के जरिये ही हांगकांग की एक बिल्डिंग में 300 लोगों को बीमार कर दिया था।
कौन-कौन सी चीजें से बन सकती हैं फोमिटी?
इस सवाल का जवाब देना आसान नहीं है। वायरस ऐसी कई चीजों से फैल सकता है, जिन्हें हम हर रोज किसी न किसी काम के लिए इस्तेमाल करते हैं। जैसे, दूध के पैकेट या थैली, लिफ्ट के बटन, डोरबेल, अखबार, कार के दरवाजे, कच्ची सब्जियां और फल, शॉप काउंटर, ऑफिस पैंट्री, भोजनालय, शौचालय, दरवाजों के हैंडल, गार्डन सीट, खेलने वाली जगहें, संक्रमित घरेलू सफाईकर्मी (जो घर की कई जगहों को छूते हैं), सभी डोर नॉब्स, डिलिवरी पैकेट, कोई भी शॉपिंग पैकेट, बस और ट्रेन के हैंडल, जूते (जो संक्रमित थूक पर पड़ सकते हैं), खिलौने, सिंक, फोन आदि। यानी फोमिटीज की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है।
(और पढ़ें - जानें, कैसे निपटें कोविड-19 के तनाव से)
क्या करें?
नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को लेकर यह आशंका जताई गई है कि यह फोमिटीज की मदद से बड़े पैमाने पर लोगों को बीमार कर सकता है। जाहिर है ऐसे में लोगों को कुछ सावधानियां बरतनी ही होंगी। इनमें एक हम पहले ही बता चुके हैं, कि जितना हो सके आप घर से कम से कम निकलें। अगर किसी वजह से बाहर जाना पड़े तो लौटने के बाद कपड़े बदलें, उन्हें धोएं और खुद भी अच्छे से नहाएं। इसके अलावा बार-बार मुंह के हिस्सों को हाथ लगाने की आदत को कंट्रोल करें। वहीं, घर में मौजूद उन सभी चीजों की सफाई करें, जिन्हें आप और घर के बाकी सदस्य हर रोज कई बार छूते हैं। इससे कोरोना का खतरा भी कम होगा और आपका समय भी आराम से कट जाएगा।
बाहर से लाने वाले रोजमर्रा के सामान को लेकर भी सतर्क रहें। अगर दूध के पैकेट को अच्छे से धोने के बाद इस्तेमाल किया जाए, तो उन पर चिपके वायरस से छुटकारा पाया जा सकता है। वहीं, कार्टन (डिब्बा) में कुछ और सामान लाएं तो उसे कुछ घंटों के लिए बाहर ही छोड़ दें। आम तौर पर (सतहों पर) वायरस 12 से 24 घंटों में अपनेआप मर जाते हैं। इसलिए बाहर रखे कार्टन को बाद में इस्तेमाल किया जा सकता है।
(और पढ़ें - जानें, अलग-अलग स्थिति और जगहों पर कितनी देर रह सकता है कोरोना वायरस)