केरल सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए वही तरीका अपना रही है, जो उसने निपाह वायरस के संकट के समय अपनाया था। इसके तहत वह हर उस व्यक्ति की निगरानी कर रही है जो कोरोना वायरस के अभी तक के एकमात्र मरीज के संपर्क में आया है। खबरों के मुताबिक इस क्रम में केरल के स्वास्थ्य विभाग ने कई लोगों की पहचान की है। बता दें कि केरल के त्रिशूर में एक छात्रा के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
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अधिकारियों का कहना है कि रोगी छात्रा के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट बना ली गई है। उनके मुताबिक त्रिशूर में संक्रमित पाए जाने से पहले वह कई जगहों पर गई थी। छात्रा चीन के दक्षिणी प्रांत वुहान से कुनमिंग (चीन का एक शहर) और इसके बाद कोलकाता से कोच्चि पहुंची थी। अधिकारियों ने उस दौरान महिला से मिलने वाले 58 'प्राइमरी' और 45 'सेकंडरी' लोगों का भी पता लगाया है।
कौन हैं 'प्राइमरी' और 'सेकंडरी' लोग?
राज्य सरकार वायरस को नियंत्रित करने के लिए जो तरीका अपना रही है, उसके तहत प्राइमरी लोग वे हैं, जो संक्रमित महिला से सीधे संपर्क में आए थे। वहीं, सेकंडरी का मतलब उन लोगों से है जो प्राइमरी लिस्ट में शामिल लोगों से किसी तरह जुड़े थे।
गौरतलब है कि साल 2018 में केरल में निपाह वायरस के फैलने और उसके चलते 17 लोगों की मौत होने के बाद यही रणनीति अपनाई गई थी। बताया जाता है कि यह योजना काफी कारगर साबित हुई थी। इसलिए अब केरल सरकार और प्रशासनिक टीम इस योजना पर काम कर रहे हैं।
क्या है निपाह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक निपाह एक प्रकार का जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इन्सानों में फैलता है। निपाह वायरस दूषित खाने के जरिये या सीधे तौर पर इंसानों से इंसानों में भी फैल सकता है। इस वायरस के चलते व्यक्ति सांस संबंधी बीमारियों से घिर जाता है, जैसे- इंसेफेलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन हो जाना।
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निपाह के लक्षण
निपाह वायरस का संक्रमण, दिमागी बुखार से संबंधित होता है। इससे संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में इसके लक्षण 5 से 14 दिन में दिखने शुरू होते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- बुखार और सिरदर्द
- अत्यधिक चक्कर महसूस होना
- सांस लेने में परेशानी
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