कोरोना वायरस ने दुनिया में दो लाख से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना लिया है। इनमें से 8,000 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। हालात पूरी दुनिया में खराब हैं और वैज्ञानिक लगातार यह पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं कि आखिर यह वायरस आया कहां से। इस सिलसिले में हाल में दो थ्योरी काफी ज्यादा चर्चा में रहीं। पहले दावे के मुताबिक, यह वायरस चीन की मीट मार्केट से लोगों के बीच फैला। हालांकि अभी तक इसका कोई प्रणाम नहीं है। वहीं, दूसरी थ्योरी यह है कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस असल में एक 'जैविक हथियार' है जिसे लैब के अंदर तैयार किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कोरोना वायरस की शुरुआत कहां से हुई, इसे लेकर अमेरिका और चीन एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते नजर आए। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाया कि इस वायरस को उनकी किसी लैब में जैविक हथियार के रूप में तैयार किया गया। हालांकि इसके भी कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। अब इन सबसे परे एक रिसर्च सामने आया है जो बताता है कि कोविड-19 कोई लैब में बनाया गया जैविक हथियार नहीं, बल्कि प्राकृतिक विकास का परिणाम है।
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चीनी वैज्ञानिकों के उपलब्ध कराया डेटा
स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका ‘नेचर मेडिसिन’ के मुताबिक, चीन के वुहान शहर से पूरी दुनिया में फैला कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से लोगों के बीच आया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें अपने विश्लेषण के दौरान सार्स-सीओवी-2 के फैलने के पीछे ऐसा कोई ऐसा प्रणाम नहीं मिला, जिससे यह पता चल सके कि यह वायरस प्रयोगशाला में बनाया गया था। विश्लेषण आधारित इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ता क्रिस्टियन एंडरसन ने बताया, ‘कोरोना वायरस से जुड़े जीनोम (जीन का समूह) डेटा की तुलना करके हम यह निर्धारित कर सकते हैं कि कोविड-19 प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ और उसके बाद लोगों के बीच फैला है।’
कैसे अस्तित्व में आया कोरोना वायरस?
कोविड-19 ने पिछले साल दिसंबर में पहले व्यक्ति को अपना शिकार बनाया था। इस दौरान चीनी अधिकारियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को नए प्रकार के कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद वहां हजारों की संख्या में लोग बीमार हुए और कई लोगों की मौत भी हुई। लेकिन यह नहीं पता चल सका कि आखिर सार्स-सीओवी-2 आया कहां से। इसी बीच अमेरिका और चीन के बीच छींटाकशी शुरू हुई।
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इस दौरान 20 फरवरी 2020 तक कोविड-19 से एक लाख 67 हजार से ज्यादा लोग बीमार हो चुके थे। ऐसे में चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से जुड़े मामलों का डेटा इकट्ठा किया और दुनियाभर के शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराया। अध्ययनकर्ता एंडरसन के अलावा कई शोध संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञों ने इस डेटा का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि कोरोना वायरस कैसे अस्तिव में आया है और कैसे यह इतनी तेजी से विकसित हुआ।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के तहत कोरोना वायरस में मिले आनुवंशिक टेम्पलेट, कवच और प्रोटीन का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही मानव कोशिकाओं पर हमला करने में काफी प्रभावी रहा। इसके बाद वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि इसी 'प्राकृतिक विकल्प' के जरिए कोरोना वायरस अस्तिव में आया और लोगों को अपना शिकार बनाया। मतलब इसमें लैब जनरेटिड वायरस की कोई भूमिका दिखाई नहीं देती। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस बारे में कोई नई थ्योरी आती है या नहीं।
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