भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 200 के नजदीक पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ देर पहले अपनी वेबसाइट पर बताया कि कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 195 हो गई है। इनमें 163 भारतीय और 32 विदेशी नागरिकों से जुड़े हैं। ताजा अपडेट के बाद पता चलता है कि देश के 20 राज्यों में कोविड-19 के मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें महाराष्ट्र में 47, केरल में 28, उत्तर प्रदेश में 19, दिल्ली और हरियाणा में 17, तेलंगाना में 16, कर्नाटक में 15, लद्दाख में 10, राजस्थान में सात, तमिलनाडु में तीन, आंध्र प्रदेश और गुजरात में दो-दो और चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पुदुचेरी, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में एक-एक मामले की पुष्टि की जा चुकी है। वहीं, चार लोगों की मौत भी हुई है। हालांकि 20 मरीजों को बचा लिया गया है।
प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन
देश में कोरोना वायरस से मची उथल-पुथल के बीच गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। इसमें उन्होंने इस स्वास्थ्य संकट को लेकर नागरिकों से चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले रविवार को देश के नागरिक सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक घरों से बाहर न निकलें। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 'जनता कर्फ्यू' नाम दिया है। उन्होंने कहा कि इस कर्फ्यू में केवल डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों और विशेष सेवाओं से जुड़े लोगों को घर से निकलना चाहिए, बाकी सभी लोग, खास तौर पर बुजुर्ग, घरों में ही रहें। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से यह अपील भी कि वे इस स्वास्थ्य संकट को देखते हुए बुनियादी जरूरतों से जुड़ी चीजों का संग्रह न करें। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा दवा, दूध आदि जरूरी चीजों की कमी नहीं होने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।
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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लोग घबराने की बजाय सामान्य व्यवहार करें और 22 मार्च की शाम पांच बजे उन लोगों का समर्थन करें जो संकट की इस घड़ी में आम लोगों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि भारत के लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि वे कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए वैश्विक स्वास्थ्य संकट से बच जाएंगे। उन्होंने कहा, 'पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी इतने देश प्रभावित नहीं हुए थे, जितना (कोरोना संकट के चलते) अब हुए हैं।' प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'जनता कर्फ्यू की सफलता और अनुभव हमें (इस संकट में) आने वाली चुनौतियों की तैयारियां करने में मदद करेंगे।'
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दिल्ली में भी छह संदिग्धों ने अस्पताल छोड़ा
हाल के दिनों में ऐसी कई खबरें आई हैं, जिनमें बताया गया कि कैसे देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस के चलते क्वारंटाइन (इलाज के लिए अलग-थलग करना) किए गए लोग इलाज के बीच ही अस्पताल से निकल गए। इस सिलसिले में ताजा मामला गुरुवार को दिल्ली में सामने आया। यहां लोक नायक अस्पताल में भर्ती छह संदिग्ध खराब सुविधाओं से नाराज होने के चलते वहां से चले गए। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, ये सभी संदिग्ध हाल ही में विदेशी यात्राओं से लौटे थे। उनके अस्पताल से जाने को लेकर एक सीनियर डॉक्टर ने कहा, 'आइसोलेशन वॉर्ड में लाए जाने के बाद यहां की खराब सुविधाएं देख कर वे काफी नाराज हुए और अस्पताल छोड़ कर चले गए।' मीडिया में यह खबर सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने बताया कि ये सभी संदिग्ध कम खतरे वाले मरीज थे।
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दिल्ली में चार नए मामले, सरकार ने की ये तैयारियां
दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 16 हो गई है। गुरुवार से अब तक चार नए मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में वायरस को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने नए कदम उठाए हैं। इनके तहत राजधानी के सभी रेस्तरां 31 मार्च तक बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि इन रेस्तरां में होम डिलिवरी और खाना पैक कराने की सुविधा चलती रहेगी। नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी देश भर में अपने तहत आने वाले पांच लाख से ज्यादा रेस्तरां 31 मार्च तक बंद करने का सुझाव दिया है।
कोरोना वायरस को रोकने के लिए राजधानी दिल्ली में 20 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी गई है। इसके अलावा राजधानी के सभी शिक्षा संस्थानों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। सरकार कोरोना वायरस के संदिग्धों और मरीजों को देखने के लिए मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण भी दे रही है। वहीं, दिल्ली में कोरोना के संदिग्धों के ब्लड सैंपल लेने के लिए सरकारी अस्पतालों की संख्या छह कर दी गई है। इन अस्पतालों के नाम हैं लोक नायक, गुरु तेग बहादुर, बाबा साहेब अंबेडकर, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल। वहीं, इन सैंपलों की जांच के लिए सरकार लैबों की संख्या बढ़ाने की भी कोशिश कर रही है। इसके लिए निजी लैबों की मदद ली जाएगी।
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