जापान के योकोहामा बंदरगाह पर रोके गए क्रूज शिप 'डायमंड प्रिंसेस' में दो और भारतीयों के नए कोरोना वायरस 'सीओवीआईडी-19' से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। जापान स्थित भारतीय दूतावास ने रविवार को इसकी जानकारी दी। बीते हफ्ते इसी क्रूज शिप में फंसे तीन अन्य भारतीय कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इन सभी का जापान में इलाज किया जा रहा है। इस बीच, भारतीय मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट के चलते केंद्र सरकार कुछ दवाइयों के निर्यात पर अस्थायी रोक लगा सकती है।
भारतीय नागरिकों की हालत में 'सुधार'
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जापान में सामने आए ताजा मामलों को लेकर भारतीय दूतावास ने बयान जारी किया है। इसमें उसने कहा, 'जापान के अधिकारियों की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, दो और भारतीयों के सीओवीआईडी-19 के टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं। दोनों को उपचार के लिए भेज दिया गया है। शनिवार और रविवार को 'डायमंड प्रिंसेस' में कुल 137 नए केस सामने आए हैं।' बयान में आगे कहा गया, 'सीओवीआईडी-19 का इलाज करवा रहे सभी भारतीयों का स्वास्थ्य स्थिर है और उनमें सुधार हो रहा है। शिप में फंसे बाकी भारतीयों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और देखभाल के लिए दूतावास जापान की सरकार और शिप की प्रबंध कंपनी 'कार्निवल कॉर्पोरेशन' के साथ सहयोग कर रहा है।' बयान में यह भी बताया गया कि अधिकारी उन भारतीयों से भी संपर्क बनाए हुए है, जो कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई संकट की स्थिति से सफलतापूर्वक निकल गए हैं।
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416 मामलों में से 355 केवल शिप से आए
'डायमंड प्रिंसेस' क्रूज शिप पिछले महीने के अंत में हांगकांग और ओकीनावा होते हुए बीती तीन फरवरी को जापान के योकोहामा बंदरगाह पहुंचा था। तब इसे यात्रियों समेत वहीं रोक लिया गया था। उस समय शिप में 3,711 लोग सवार थे। इनमें 132 क्रू सदस्य और छह भारतीय भी शामिल थे। बताया गया कि यात्रा के दौरान हांगकांग के बंदरगाह पर उतरा एक यात्री बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। इसके चलते आशंका जताई गई थी कि हो सकता है उस यात्री से बाकी लोग भी संक्रमित हुए हों। अब यह आशंका सही साबित हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस क्रूज शिप से कोरोना वायरस के अब तक 355 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
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जापान की सरकार शिप में सवार सभी यात्रियों का टेस्ट करा रही है। जिनका टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है, उन्हें इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भेजा जा रहा है। वहीं, नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट वालों को शिप से उतरने की अनुमति दी जा रही है। सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया 19 फरवरी तक चलेगी।
चीन के बाद कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज जापान में सामने आए हैं। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक इस जानलेवा विषाणु ने यहां 416 लोगों को अपना शिकार बना लिया था। इनमें से एक की मौत हो चुकी है। वहीं, नौ की हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि नए मामलों की दर में कमी देखने को मिली और 17 लोगों को बचा लिया गया है। वहीं, चीन की बात करें तो यहां कोरोना वायस के कुल मामलों की संख्या 70,000 से ज्यादा हो चुकी है। इनमें से 1,771 लोगों की मौत हो चुकी है और 11,200 से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि बीते दिनों में यहां भी नए मामलों में कमी देखी गई है।
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दवाओं के निर्यात पर रोक लगा सकता है भारत
उधर, भारत में कोरोना वायरस के मद्देनजर सरकार कई कदम उठा रही है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इसके तहत वह करीब 12 दवाइयों के निर्यात पर अस्थायी रोक लगा सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक, इन 12 दवाइयों में क्लोरमफेनिकॉल, नियोमाइसिन, मेट्रोनिडाजोल, क्लिन्डामाइसिन और विटामिन बी1, बी2, बी6 जैसी एंटीबायोटिक और विटामिन दवाइयों के अलावा प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन शामिल हैं। बताया गया है कि सरकार पहले यह सुनिश्चित करेगी कि कोरोना संकट के चलते देश में जरूरी दवाइयों की कमी की स्थिति तो पैदा नहीं होगी। अगर ऐसा पाया जाता है तो इनका निर्यात रोका जा सकता है।
दरअसल, भारत में बनने वाली इन दवाइयों से जुड़ा जरूरी सामान चीन से आयात किया जाता है। इस सामान को 'ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट' (एपीआई) कहा जाता है। सरल भाषा में कच्चा माल भी कह सकते हैं। भारत इस एपीआई का 80 प्रतिशत चीन से आयात करता है। चूंकि कोरोना संकट के चलते चीन और भारत का आयात-निर्यात प्रभावित हुआ है, इस कारण सरकार नहीं चाहती कि इससे देश में जरूरी दवाइयों की कमी पैदा हो। सरकार के मुताबिक, फिलहाल दो से ढाई महीने तक कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर चीन का संकट जारी रहता है तो उस समय के हालात से निपटने के लिए इन दवाओं से जुड़े आंकड़े इकट्ठा करना जरूरी है।
भारत सरकार द्वारा गठित आठ सदस्यीय समिति इन दवाओं की उपलब्धता का आंकलन करेगी। इस समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वह राज्य सरकारों को अपने यहां 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' लागू करने और जमाखोरों पर कड़ी निगरानी रखने को कहे। पैनल का कहना है कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवा कारोबार से जुड़े लोग हालात का गलत फायदा न उठाएं और जरूरी दवाओं के दाम न बढ़ाएं। समिति ने सरकार से कहा कि वह इस संबंध में अपनी रिपोर्ट मंगलवार तक सौंप देगी।