चीन समेत दुनिया के कई बड़े देश कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं। इनमें ख़ुद चीन के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों के साथ-साथ भारत, जापान और थाइलैंड जैसे एशियाई देश शामिल हैं। एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान ले चुके इस वायरस की काट ढूंढने में वैज्ञानिकों को अभी तक कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है। हालांकि कुछ उम्मीदें और कुछ दावे ज़रूर सामने आए हैं।
एड्स की दवा से मरीज में सुधार
कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने की कोशिशों के बीच बीते हफ़्ते थाइलैंड में इस विषाणु से संक्रमित एक चीनी महिला को एचआईवी और फ़्लू के इलाज में इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स के मिश्रण से ठीक करने का दावा किया गया। जिस अस्पताल में महिला को भर्ती किया गया था, उसके डॉक्टरों ने कहा कि इस मिश्रण का डोज़ महिला को दिए जाने के 48 घंटों बाद जब उसके शरीर में वायरस की जांच की गई, तो रिपोर्ट नेगेटिव निकली। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि यह दवा देने से पहले महिला बिस्तर से उठने के लायक़ भी नहीं थी, लेकिन दवा देने के बाद वह ख़ुद बेड से उठी और अपने क़रीबियों तथा अस्पताल के स्टाफ़ से बात भी की।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, चूंकि नए कोरोना वायरस के लक्षण 80 प्रतिशत सार्स कोरोना वायरस जैसे ही हैं, इसलिए एक प्रयोग के तौर पर महिला को कुछ वैसी ही दवा दी गई, जो 2003 के सार्स संकट के समय इस्तेमाल की गई थी। बता दें कि 2003 में चीन में ही सामने आए सार्स कोरोना वायरस ने तब 700 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी।
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भारत ने भी लिया फैसला
थाइलैंड के डॉक्टरों के इस अनुभव के बाद कई देशों ने फ़्लू और एचआईवी-एड्स की इन दवाओं का इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया है। इनमें भारत भी शामिल है। इन दवाइयों को इस्तेमाल करने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् ने ड्रग कंट्रोलर ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई से अप्रूवल ले लिया है। आइए जानते हैं, कि ये कौन सी दवाइयां हैं और इन्हें कब इस्तेमाल किया जा सकता है।
कौन सी दवाएं होंगी इस्तेमाल
कोरोना वायरस को रोकने के लिए एचआईवी-एड्स रोधी जिन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाएगा उनके नाम हैं लोपिनावीर और रिटोनावीर। इन दोनों दवाइयों के मिश्रण को एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में विषाणु को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। लोपिनावीर एड्स के मरीज़ में नए इन्फ़ेक्शन और बीमारियों को पैदा होने से रोकती है और रिटोनावीर, लोपिनावीर की क्षमता बढ़ाने का काम करती है। 1995 में पहली बार पेटेंट कराए गए इस ड्रग कॉम्बिनेशन से एचआईवी-एड्स के मरीज़ों का जीवनकाल पहले से ज़्यादा बढ़ाने में काफ़ी मदद मिली है।
लोपिनावीर और रिटोनावीर को जिस दवाई के साथ मिलाने की बात हो रही है, उसका नाम है ओसेल्टामिवीर। फ़्लू को नियंत्रित करने वाली यह दवाई इन्फ़्लुएंजा के इलाज में काम आती है। जिस व्यक्ति में भी इन्फ़्लुएंजा के लक्षण दिखते हैं, उसे दो दिन के अंदर ओसेल्टामिवीर देने से वायरस जल्दी ठीक हो जाता है। चूंकि कोरोना वायरस के लक्षणों में इन्फ़्लुएंजा भी शामिल है, इसलिए उन्हें रोकने के लिए ओसेल्टामिवीर की डोज़ मरीज़ों को दी जा रही है। वहीं, उनमें नए इन्फे़क्शन पैदा न हों, इसलिए साथ में लोपिनावीर और रिटोनावीर के डोज़ भी मिक्स करके मरीज़ों को दिए जा रहे हैं।
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यहां बताते चलें कि 2003 और 2012 में सामने आए कोरोना वायरस सार्स और मेर्स के इलाज में भी एचआईवी-रोधी दवाइयों का इस्तेमाल किया गया था। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक़ सार्स की मृत्यु दर दस प्रतिशत थी, जबकि नए कोरोना वायरस की मृत्यु दर केवल दो प्रतिशत है। यही वजह है कि 43,000 से ज़्यादा मरीज़ होने के बावजूद अभी तक 1,000 लोगों की मौत हुई है, जबकि सार्स के 8,000 मामले सामने आए थे और उनमें से 774 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में इन तीनों दवाइयों से मौजूदा स्वास्थ्य संकट को दूर करने की उम्मीद लगाना, ग़लत नहीं लगता।
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भारत में किस तरह इस्तेमाल होंगे ये ड्रग्स
अब बात करते हैं कि भारत में इन दवाइयों को कब और किस पर इस्तेमाल किया जाएगा। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि भारत में इन तीनों दवाइयों का इस्तेमाल चीन जैसे हालात पैदा होने की सूरत में किया जाएगा। यानी डीसीजीआई से लिया गया अप्रूवल कोरोना वायरस से लड़ने की तैयारियों का हिस्सा है। फ़िलहाल यहां इस वायरस के तीन ही मरीज़ सामने आए हैं जिनकी हालत इन दवाइयों के इस्तेमाल के बिना ही पहले से काफ़ी बेहतर है। फिर भी, अगर इन दवाइयों के इस्तेमाल की नौबत आती है तो पहले डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी होगी कि वायरस मरीज़ के शरीर में कितना फैल गया है। इस आधार पर उसे डीसीजीआई से अप्रूवल लेना होगा। साथ ही, मरीज़ को बताना होगा कि उसे कौन सी दवाएं दी जाने वाली हैं।
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भारत में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या तीन से आगे नहीं बढ़ी है। लेकिन ऐसा आगे नहीं होगा ये दावा फ़िलहाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि कोरोना वायरस के सभी संदिग्धों का पता लगना अभी बाक़ी है। वहीं, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत उन देशों में शामिल है जहां हवाई परिवहन के ज़रिये कोरोना वायरस फैलने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है। ऐसे में पहले से तैयारी करना ज़रूरी है।