कोविड-19 बीमारी के बढ़ते प्रकोप के बीच दिल्ली को 31 मार्च तक लॉकडाउन कर दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राजधानी को सोमवार 23 मार्च सुबह 6 बजे से 31 मार्च देर रात 12 बजे तक लॉकडाउन करने की घोषणा की। दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहर (नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद और फरीदाबाद) में भी लॉकडाउन है। इन सभी शहरों में सिर्फ जरूरी कामों के लिए ही लोगों को बाहर जाने की इजाजत मिल रही है।
फिलहाल खबर लिखे जाने तक देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित पीड़ितों की आधिकारिक संख्या 415 पहुंच गई थी। सात लोगों की कोविड-19 बीमारी के चलते मौत भी हो चुकी है। रविवार देर शाम तक देशभर के कई राज्यों के करीब 100 जिलों में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। इसमें दिल्ली के सभी 7 जिलों के साथ ही पश्चिम बंगाल में 27 मार्च तक, उत्तर प्रदेश के 15 जिलों को 25 मार्च तक, उत्तराखंड और तेलंगाना में 31 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है।
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लगातार शहर के शहर और देश के देश बंद होते जा रहे हैं और ऐसे में लोगों का चिंतित होना लाजमी भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक हम इस वायरस के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं। यहां तक कि दिसंबर 2019 तक कम ही लोगों ने इसका नाम भी सुना होगा। इस संबंध में हमने फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के निदेशक डॉक्टर समीर पारिख से बात की। हमने उनसे जाना कि इस माहौल में कैसे खुद को तनाव से दूर रखें और कोविड-19 बीमारी से लड़ने के लिए क्या करें? पढ़ें डॉक्टर पारिख के दिशानिर्देश...
कोविड-19 बीमारी से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसी का भी अपनी सेहत और सुरक्षा के साथ ही अपने नाते-रिश्तेदारों के प्रति चिंतित होना आम बात है। सुरक्षा के प्रति चिंतित होने और दहशत में अंतर होता है। यहां हमें यही समझने की जरूरत है कि हमें अपनी और अपनों की चिंता करनी चाहिए, लेकिन दहशत नहीं होनी चाहिए।
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हम सब जानते हैं कि हालात बिगड़ रहे हैं, लेकिन कई बार जानकारी की बाढ़ भी हमें ज्यादा चिंता में डाल देती है और वह दहशत के स्तर पर बढ़ जाती है। ज्यादा जानकारी अगर चिंता बढ़ा रही है तो फिर अफवाहें तो आग में घी का काम कर रही हैं। उसके ऊपर कई ऐसी जानकारियां भी सोशल मीडिया के जरिए मिल रही हैं, जिनका स्रोत मिलना मुश्किल है, यानी उन्हें वैरिफाई करने वाला कोई नहीं। ऐसे समय में आपके लिए जरूरी है कि जानकारी के लिए आप कुछ सत्यापित (वैरिफाइड) स्रोतों पर ही विश्वास करें। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि आप कोरोना से जुड़ी खबरें पढ़ने, सुनने और देखने के लिए निश्चित समय तय कर लें। दिन में दो-तीन बार से ज्यादा ऐसी खबरें न देखें, अन्यथा आप हर समय चिंतित रहेंगे। सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों को लेकर भी हमेशा सचेत रहें कि आप क्या जानकारी दूसरों के साथ शेयर कर रहे हैं।
एक तरफ कोविड-19 की वजह से हम सब सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा दे रहे हैं तो दूसरी तरफ डिजिटल मीडिया हमें दुनिया से जोड़ने का बड़ा माध्यम बन गया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस डिजिटल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल करें। इस वक्त जरूरी है कि हम सकारात्मक और उम्मीदें जगाती कहानियां अपने डिजिटल मीडिया के साथियों से शेयर करें। यह तो आप जानते ही हैं कि आपको सोशल डिस्टेंसिंग में सिर्फ शारीरिक रूप से लोगों से दूर रहना है, मानसिक और भावनात्मक रूप से तो आप एक-दूसरे का साथ दे ही सकते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में आप अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर रहते हुए भी फोन, मैसेज, वीडियो कॉल आदि से जुड़े रह सकते हैं। हर समय बीमारी के बारे में ही बात करने की बजाय दूसरे महत्वपूर्ण और कम महत्व की चीजों के बारे में भी बात करें।
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यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने समय का कैसे सदुपयोग करते हैं। लॉकडाउन की वजह से हमारी दिनचर्या बाधित हुई है। ऐसे में हमें अपने दैनिक और साप्ताहिक निजी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। इस समय आप कुछ नया सीख सकते हैं, जो भविष्य में काम आएगा। यही नहीं अपनी हॉबी पर काम कर सकते हैं, जिसके लिए अपने व्यस्त कार्यक्रम में आपको अब तक समय नहीं मिलता था। अपने दिमाग को धार देने के लिए अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं। अच्छा संगीत सुनकर मानसिक शांति का अनुभव कर सकते हैं। बच्चों और परिवार के साथ शतरंज (चेस), लूडो जैसे गेम्स खेल सकते हैं और टीवी या इंटरनेट पर फिल्में और शो देख सकते हैं।
ऐसे में एक और बात का खास ख्याल रखें कि पहले की तरह अपने दैनिक रुटीन का पालन करें। पहले की तरह ही नियमित समय पर सोना, खाना, उठना और एक्सरसाइज करें। अगर आप घर से ही दफ्तर का काम कर रहे हैं तो उसके लिए अपने घर के वर्क स्टेशन के आसपास बिल्कुल दफ्तर जैसा ही माहौल रखें। घर और दफ्तर को अलग-अलग रखना भी आपकी जिम्मेदारी होगी। सबसे जरूरी बात यह है कि अपने साथियों से जुड़े रहें।
अगर आप भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस नहीं कर रहे हैं तो हमेशा याद रखें कि इसके लिए आपके पास सहायता उपलब्ध है। आप कैसा महसूस कर रहे हैं, इस बारे में अपने परिवारजनों और दोस्तों से बातचीत करते रहें। अपने साथियों से जुड़े रहें और किसी भी तरह के तनाव में स्ट्रेस हेल्पलाइन पर कॉल करके अपनी चिंताओं को दूर करें।
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सबसे जरूरी इस बात को याद रखें कि हम सब साथ हैं और अंतत: हम मिलकर इस दौर से बाहर निकल जाएंगे। यह हमारी बहुत बड़ी ताकत होगी। समय की जरूरत है कि हम सब अपने सामाजिक दायित्व का पूरी तरह से निर्वहन करें। अपने और दूसरों के प्रति ईमानदार रहें। हमें जरूरी वस्तुओं का भंडारण नहीं करना चाहिए। जो लोग आर्थिक रूप से आप पर निर्भर हैं उनका सहयोग करें। हालात पर काबू पाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वच्छता संबंधी जो दिशा-निर्देश दिए हैं और सरकारों ने जो नियम बनाए हैं उनका पूरी तरह से पालन करें। लोगों को अलग रहने के लिए प्रोत्साहित करें। हम सबको अपनी-अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभानी होगी, फिर चाहे वह अस्पताल में रोगी का इलाज हो या घर में ही रहकर खुद व अपने परिवार को सुरक्षित रखना हो। यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी भूमिका का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करें।
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