नए कोरोना वायरस (सीओवीआईडी-19) को 'महामारी' घोषित कर दिया गया है। भारतीय समयानुसार बुधवार देर शाम को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी घोषणा की। उधर, डब्ल्यूएचओ की इस घोषणा के बाद भारत ने एक महीने के लिए खुद को दुनिया से अलग-थलग (क्वारन्टाइन) कर लिया है। केंद्र सरकार ने देश में कोरोना वायरस को और फैलने से रोकने के मद्देनजर बुधवार को यह कदम उठाया है। इसके तहत सरकार ने 15 अप्रैल तक लगभग सभी वीजा रद्द कर दिए हैं। केवल कुछ विशेष श्रेणियों और परिस्थितियों में वीजा जारी किया जा सकता है।
सरकार के इस फैसले के बाद भारत की सभी सीमाएं 15 अप्रैल तक अन्य देशों के नागरिकों के लिए बंद हो जाएंगी। यानी कोई भी विदेशी नागरिक, किसी विशेष कारण या परिस्थिति को छोड़ कर, भारत में प्रवेश नहीं कर पाएगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे अपने यहां जरूरत पड़ने पर सरकारी एडवाइजरी का पालन कराने के लिए महामारी अधिनियम, 1897 के प्रावधानों का इस्तेमाल करें।
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विशेष परिस्थिति में ही वीजा
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, सरकार ने कूटनीतिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, रोजगार और योजना संबंधी वीजा को इस रोक के दायरे से बाहर रखा है। इनके अलावा बाकी सभी वीजा 13 मार्च की रात 12 बजे से अगले महीने की 15 तारीख तक के लिए रोक दिए जाएंगे। हालांकि इस बारे में बयान जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, 'अगर कोई विदेशी नागरिक विशेष कारण के चलते भारत आना चाहता है तो वह उसके देश में नियुक्त भारतीय अधिकारियों से संपर्क कर सकता है।'
बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों के समूह की बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि 15 फरवरी के बाद चीन, इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी से आने वाले सभी यात्रियों को कम से कम 14 दिनों तक आम लोगों से अलग-थलग रखा जाएगा। ऐसे लोगों में भारतीय नागरिक शामिल होंगे। सरकार ने अपने नागरिकों से कहा है कि फिलहाल वे गैर-जरूरी यात्राएं करने से बचें। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस समय कर्मचारियों को घर से ही काम करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
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मेडिकल टीम इटली भेजेगी सरकार
कोरोना वायरस से प्रभावित देशों में कई भारतीय फंसे हुए हैं। देश-दुनिया में सीओवीआईडी-19 के फैलने के चलते इन नागरिकों की वापसी को लेकर उनके परिजनों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं, खास तौर पर इटली के हालात की वजह से सरकार पर अपने नागरिकों को वापस लाने का काफी दबाव है। इस बारे में बुधवार को संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'इटली में कोरोना वायरस का प्रभाव काफी ज्यादा है। हम चाहते थे कि लोग वहां ऐसी फ्लाइट लें जिससे उन्हें कोरोना वायरस मुक्त प्रमाणपत्र मिल जाए। लेकिन पूरा इटैलियन सिस्टम इस समय कोरोना से निपटने में लगा हुआ है, इसलिए लोगों के लिए प्रमाणपत्र पाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए संभवतः कल हम ईरान की तरह एक मेडिकल टीम इटली भेज सकते हैं। हम वहां लोगों की जांच करेंगे और जितना जल्दी हो सके उन्हें वापस लाने की कोशिश करेंगे।'
वहीं, चीन और जापानी क्रूज शिप 'डायमंड प्रिंसेस' में फंसे अन्य भारतीयों को लेकर भी विदेश मंत्री ने संसद को जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'ईरान में तेजी से मरीज बढ़ने के चलते हमारा ध्यान वहां चला गया। ईरान के अलग-अलग प्रांतों में छह हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए हैं। इनमें करीब 1,100 तीर्थयात्री, 300 छात्र हैं और 1,000 मछुआरे शामिल हैं।' गौरतलब है कि इसी हफ्ते ईरान से 58 भारतीयों को वापस लाया गया था। सरकार अभी तक अलग-अलग देशों से 948 लोगों को स्वदेश वापस लेकर आई है। इनमें 900 भारत के नागरिक हैं।
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डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने कहा, 'कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन काफी चिंतित है। यह विषाणु जिस स्तर पर फैला है और इसे लेकर जिस तरह की सुस्ती दिखाई गई है, उससे हमें डर है कि इससे मरीजों और मौतों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। इसीलिए हमने आंकलन के बाद फैसला किया है कि अब सीओवीआईडी-19 को महामारी कहा जा सकता है।'
यह घोषणा करते हुए डब्ल्यूएचओ ने और भी कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं। उसने कहा कि कोरोना संकट को लेकर महामारी शब्द का काफी इस्तेमाल किया गया है, जिसका महत्व केवल शब्द तक सीमित नहीं है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ग्रेब्रेयेसुस ने कहा कि महामारी की घोषणा का मतलब है कि स्वास्थ्य संकट को रोका जाए, इसके लिए तैयारी की जाए, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर किया जाए, राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई जाए और लोग भी सहयोग करें। उन्होंने कहा, 'दुनियाभर में लोगों को बचाने के लिए इसमें (कोरोना संकट) हम सब एकसाथ हैं।'
इसके अलावा डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि किसी कोरोना वायरस से फैली यह पहली महामारी है जिसे रोका जा सकता है। इसके लिए उन्होंने चार सूत्र दिए हैं। पहला, महामारी से निपटने की तैयारी करें। दूसरा, वायरस का पता लगाएं, लोगों को इससे बचाएं और इलाज करें। तीसरा, लोगों में वायरस फैलने से रोकें। चौथा, नई दवाएं खोजें और इस संकट से सबक सीखें।
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