18 दिसम्बर 2019 को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनियाभर की महिलाओं तक एक नई तकनीक “बायोसिमिलर” का तोहफा दिया है। इसके जरिए स्तन कैंसर का इलाज कम शुल्क में मुहैया कराने की घोषणा की गई है। बायोसिमिलर दवा पहली बार अपनाई गई है, इसे रसायनों की जगह जीवित स्त्रोत से बनाया गया है।
त्रास्तुज़ुमाब ड्रग एक ऐसी दवा है जिसकी मदद से कई स्तन कैंसर के मरीजों का इलाज किया जा चुका है। यह दवा शुरुआती चरण वाले स्तन कैंसर का इलाज करने से लेकर कुछ एडवांस स्टेज (गंभीर मामलों) में भी कारगर साबित हुई है। इस बात की पुष्टि खुद डब्ल्यूएचओ करता है।
हालांकि, इस दवा का सालाना खर्च 20,000 डॉलर है जो कि काफी ज्यादा है। यही कारण है कि विश्व की कई महिलाएं अपने स्तन कैंसर का इलाज भी नहीं करवा पाती हैं। त्रास्तुज़ुमाब दवा का बायोसिमिलर संस्करण सामान्य दवा से 65 फीसदी सस्ता होगा। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह इलाज सस्ता लेकिन उतना ही प्रभावशाली होगा। बायोथेरोपिटिक दवाएं बायोलॉजिकल स्त्रोत से बनाई जाती हैं जैसे कि कोशिकाएं (सेल्स) बजाए रसायनों के।
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डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, डॉक्टर टेडरोस अदोनोम गिबरेयसस ने कहा कि इस बायोसिमिलर त्रास्तुज़ुमाब दवा सभी महिलाओं के लिए एक खुशखबरी है। महिलाओं के साथ कई धर्मों और स्थानों पर स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं को लेकर भेदभाव होते हैं। गरीब देशों में इलाज की कमी और अधिक खर्च एक बहुत बड़ी समस्या है। इसी कमी को दूर करने के लिए कम खर्च वाले स्तन कैंसर का इलाज एक बेहतरीन उपाय होगा।
क्या है स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर)?
स्तन कैंसर में स्तन कोशिकाएं प्रभावित होती हैं, ऐसा कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन्स में म्यूटेशन होने के कारण होता है। इस स्थिति में स्तन की लोब्यूल्स या डक्ट्स नामक ग्रंथियों में कैंसर विकसित होता है। इसके अलावा कैंसर वसामय और रेशेदार स्तन ऊतकों में भी बन सकता है। बेकाबू कैंसर सेल्स स्वस्थ स्तन ऊतकों पर हमला करने लग जाते हैं, जिसके कारण यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
भारत में इलाज की जरूरतें
स्तन कैंसर से ग्रस्त हर तीसरी भारतीय महिला की मृत्यु हो जाती है। इसका मुख्य कारण परीक्षण में देरी होता है, जिससे मरने की आशंका 88 फीसदी तक बढ़ जाती है। भारत में ब्रेस्ट कैंसर से बचने की केवल 66 फीसदी संभावना है जो कि दुनियाभर में 80 फीसदी से अधिक है। देश में कई लोगों को ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बारे में नहीं पता है। सही समय पर परीक्षण करवा कर जल्द ही इलाज शुरू करवा दिया जाए तो इस कैंसर से बचा जा सकता है।
हालांकि, इलाज न मिल पाने की सबसे बड़ी वजह दवाओं का महंगा होना माना जाता है। इसीलिए भारत में इस नई दवा की बेहद जरूरत है।
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स्तन कैंसर की खुद से करें पहचान
आप इसकी खुद से पहचान तभी कर सकते हैं तब आप अपने शरीर को अच्छे से पहचानते हों। इसके लिए स्तन पर मौजूद हर एक तिल, घुमाव और चोट की जानकारी होनी चाहिए।
अपने आप को शीशे में देखें :
शीशे में देखकर किसी भी नए डिम्पल, पिम्पल (दाने) या आकार का बढ़ना और छोटा होना पहचानें। अपने हाथ को ऊपर उठाएं और एक बार फिर देखें।
छूकर महसूस करें :
अपने हाथों की मदद से त्वचा के ऊपर या अंदर की ओर किसी गांठ की पहचान करें। गांठ को महसूस करने के लिए थोड़ा प्रेशर भी लगा सकते हैं।
डॉक्टर से सलाह लें :
अगर आपको स्तन कैंसर के लक्षण या संकेत दिखाई दें या महसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से एक बार सलाह ले लेनी चाहिए।
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