अमेरिका के शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉइस के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ड्रग तैयार किया है, जो ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। इस ड्रग के पहले चरण के ट्रायल हो चुके हैं और उनमें इसे नुकसानदेह या टॉक्सिक भी नहीं पाया गया है। यह दवा विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित उन महिलाओं के लिए विकसित किया गया है, जिनके कैंसर ने हार्मोन थेरेपी में रेस्पॉन्ड करना बंद कर दिया है। इस ड्रग के ट्रायल से जुड़े परिणाम ब्रेस कैंसर रिसर्च एंड ट्रीटमेंट नामक पत्रिका में प्रकाशित हो चुके हैं।
ब्रेस्ट कैंसर ने हाल के समय में महिलाओं को तेजी से अपनी चपेट में लिया है। इस बीमारी के अपने कई प्रकार हैं। इनमें से 80 प्रतिशत को एस्ट्रोजन रिसेप्टर-पॉजिटिव या ईआर-पॉजिटिव के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसका मतलब है कि कैंसर की कोशिकाओं में ऐसे मॉलिक्यूल्स का होना, जो शरीर में मौजूद रसायनों से सिग्नल रिसीव कर सकते हैं। ये रिसेप्टर काफी संवेदनशील बताए जाते हैं और एस्ट्रोजन हार्मोन के प्रति रिऐक्ट करते हैं।
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ईआर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर में एस्ट्रोजन हार्मोन कैंसर को उत्तेजित करने का काम करता है। ऐसे में इस प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में डॉक्टर हार्मोन के निर्माण या उत्पादन को ब्लॉक करने के लिए दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं या कैंसरकारी कोशिकाओं के हार्मोन में हस्तक्षेप करते हैं। इस तरह के इलाज को हार्मोन थेरेपी कहते हैं। लेकिन यह देखने में आया है कि इस तरह के लगभग आधे इलाज किसी न किसी तरह रुक जाते हैं और पीड़ितों को पारंपरिक रूप से कीमोथेरेपी पर निर्भर होना पड़ता है, जिसके अपने कई घातक दुष्प्रभाव हैं, जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं को झेलना पड़ता है।
लेकिन अब इलिनॉइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने टीटीसी-352 नामक ड्रग तैयार किया है, जिसमें ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ने से रोकने की क्षमता दिखाई दी है। यह सिलेक्टिव ह्यूमन एस्ट्रोजन रिसेप्टर कैंसर ट्यूमर को बढ़ने से रोकने का काम करता है। साथ ही इससे गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा भी कम होता है, जोकि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एक और सिलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर टैमोक्सिफेन का इस्तेमाल करने पर ज्यादा रहता है।
टीटीसी-352 की क्षमता को जानने के लिए पहले चरण के ट्रायल में वैज्ञानिकों ने मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित 15 महिलाओं को शामिल किया। ये महिलाओं पहले कई राउंडों के तहत हार्मोन थेरेपी से गुजर चुकी थीं। कुछ की कीमोथेरेपी भी की गई थी। शोधकर्ताओं ने जब इन्हें टीटीसी-352 के डोज दिए तो उनमें दवा के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं दिखे। यहां तक कि ड्रग के सबसे भारी डोज से भी महिलाओं में साइड इफेक्ट दिखाई नहीं दिए। वहीं, परिणाम के रूप में यह सामने आया कि छह महिलाओं का ब्रेस्ट कैंसर स्थिर हो गया था और उसके बढ़ने में कमी देखी गई थी। दो महिलाओं की बीमारी में यह बदलाव छह महीनों के अंतराल में देखने को मिला, जबकि चार में यह परिवर्तन तीन महीनों के कोर्स में ही आ गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छी बात यह रही कि मरीजों में हुआ सुधार ड्रग के उतने ही डोज में देखने को मिला, जितना की उसके उपचार में दिया जाना चाहिए था। इन परिणामों को लेकर वैज्ञानिकों ने खुशी जताते हुए कहा है, 'यह काफी उत्साहजनक है, क्योंकि ये मरीज बीमारी की एडवांस स्टेज में थीं। हमने पाया है कि उनका कैंसर उल्लेखनीय समय में बढ़ना बंद हो गया था।'
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