अमेरिका की अर्कनसास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे नैनो-ड्रग कैंडिडेट को विकसित किया है जो ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर सेल्स को खत्म कर सकता है। बताया जा रहा है कि इस शोध की मदद से डॉक्टर ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को सीधे टार्गेट कर सकते हैं। एक और बड़ी बात यह है कि इस ड्रग की मदद से ऐसा कीमोथेरेपी के घातक दुष्प्रभावों से बचते हुए किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इस ड्रग से जुड़ा अध्ययन 'एडवांस थेरप्यूटिक' नामक मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।
रिपोर्टों के मुताबिक, इस नैनोड्रग को तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री और बायोकेमिस्ट्री विभाग के सहायक प्रोफेसर हसन बेजवी ने नई श्रेणी के नैनोमटीरियल्स का इस्तेमाल किया है। इन्हें मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स कहा जाता है, जिनमें पहले से विकसित फोटोडायनैमिक या प्रकाशगतिक थेरेपी से जुड़े लीगंड (एक प्रकार के संल्गनी अणु) मिलाए जाते हैं। इन सबसे मिलकर एक ऐसा छिद्रयुक्त नैनो मटीरियल तैयार होता है, जो सामान्य कोशिकाओं को विषाक्त किए बिना ट्यूमर सेल्स पर हमला करता है।
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इस विषय पर बात करते हुए प्रोफेसर हसन बेजवी का कहना है, 'त्वचा के कैंसर को छोड़ दें तो अमेरिका में ब्रेस्ट कैंसर आज सबसे कॉमन कैंसर है। हम जानते हैं कि हर साल हजारों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की वजह से मर जाती हैं। इस तरह के कैंसर का एक ही स्वीकृत इलाज है, जिससे विषाक्त ट्रिपल-नेगेटिव सेल्स वाले मरीजों पर इस बीमारी का विशेष खतरा रहता है। इस समस्या पर ध्यान देते हुए हमने ऐसा सहायक फॉर्म्युलेशन विकसित किया है, जो कैंसर सेल्स को टार्गेट करता और जिसका स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।'
प्रोफेसर हसन बेजवी की प्रयोगशाला में शोधकर्ता नए टार्गेटिड फोटोडायनैमिक थेरेपी (पीडीटी) ड्रग्स तैयार करने पर फोकस कर रहे हैं। वे कैंसर के इलाज के लिए ऐसी दवाएं बनाने में लगे हुए हैं, जो कीमोथेरेपी के विकल्प के रूप में सामने आएं और जिनके साइड इफेक्ट्स बहुत कम हों। जानकारों के मुताबिक, यह एक आक्रामक अप्रोच है जो फोटोसेन्सिटाइजर मॉलिक्यूल पर भरोसा करती है। ये मॉलिक्यूल रौशनी से जगमगाने लगते हैं। इनसे अलग-अलग प्रकार के विषाक्त प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन स्पीशीज पैदा होती हैं जो कैंसर सेल्स को खत्म करने का काम करती हैं। हाल के वर्षों में पीडीटी ने सर्जरी के बिना ही ट्यूमर, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के इलाज के मामले में अपनी क्षमता सिद्ध कर सभी का ध्यान खींचा है।
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प्रोफेसर बेजवी की प्रयोगशाला में कार्यरत चिकित्सा छात्र योशी साकामाकी ने लैब में नैनोमटीरियल तैयार कर उन्हें लीगंड और पीडीटी ड्रग के साथ जैविक रूप से मिलाकर नैनोपोरस मटीरियल विकसित किए हैं, जो ट्यूमर सेल्स पर विशेष रूप से हमला करते हैं, वह भी सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना। दावा यह भी है कि यह नया ड्रग कैंसर के इलाज के अलावा मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी एमआरआई लेने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ड्रग को शरीर में जाने के बाद ट्रैक किया जा सकता है और कैंसर के इलाज में हुई प्रगति के बारे में जाना जा सकता है। इस संयुक्त प्रोजेक्ट में अर्कनसास यूनिवर्सिटी के कई शोधकर्ता एक साथ काम कर रहे हैं।
ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
कोशिकाओं को नियंत्रित करने वाले वंशाणुओं यानी जीन्स में बदलाव (म्यूटेशन) आने से कैंसर की स्थिति पैदा होती है। इन म्यूटेशंस की वजह से कोशिकाएं बेकाबू होकर अव्यवस्थित रूप से विभाजित हो जाती हैं और बढ़ने लगती हैं। कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि से असामान्य कोशिकाएं विकसित हो जाती हैं। ऐसा होने पर ज्यादातर परिणामस्वरूप शरीर में ट्यूमर बन जाते हैं।
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यह जानने के बाद ब्रेस्ट या स्तन कैंसर के नाम से ही समझ आ जाता है कि यह कैंसर स्तन से जुड़ी कोशिकाओं में होता है। आमतौर पर स्तन कैंसर ब्रेस्ट के लोब्यूल्स या डक्ट्स में बनता है। इन ग्रंथियों में दूध बनता है, जो उसे स्तन के अग्र भाग या निप्पल तक ले जाती हैं। ब्रेस्ट कैंसर स्तन के वसामय और रेशेदार ऊतकों में भी बन सकता है। अनियंत्रित कैंसर कोशिकाएं इन ऊतकों पर हमला कर बाह के लिम्फ नोड (लसिका पर्व) तक भी पहुंच सकती हैं। ये लिम्फ नोड्स कैंसर कोशिकाओं के शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचने का मार्ग बन सकते हैं।