हाल ही में वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए एक अद्भुत तरीका खोज निकाला है। इसके तहत कैंसर कोशिकाओं को वसा में बदल कर इलाज किया जा सकता है।
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो दुनियाभर में महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर का ही नाम शामिल है। वर्ष 2018 में महिलाओं में 25.4% कैंसर के नए मामले देखने को मिले थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुमान के मुताबिक, हर साल लगभग 2.1 मिलियन यानी 21 लाख महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है। भारत में ब्रेस्ट कैंसर से ग्रस्त एक लाख महिलाओं में से लगभग 12.7 प्रतिशत की हर साल मृत्यु हो जाती है।
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कैंसर फैलता कैसे है?
कैंसर आमतौर पर शरीर के किसी एक अंग या हिस्से में एक ट्यूमर या ट्यूमर के समूह के रूप में शुरू होता है। जब यह अन्य अंगों में फैलता है, तो इस प्रक्रिया को मेटास्टेसिस कहा जाता है। मेटास्टेसिस को यदि सरल शब्दों में समझा जाए, तो इसमें तीन प्रक्रियाएं शामिल हैं - ट्यूमर कोशिकाओं का आसपास के हिस्सों में बढ़ना, दूसरे अंगों में और खून से बाहर कैंसर कोशिकाओं का फैलना या फिर किसी दूसरे अंग के खून में कैंसर कोशिकाओं का बढ़ना।
कैंसर को कैसे रोका जा सकता है?
एपिथेलियल मेसेंकाईमल ट्रांजीशन (ईएमटी - जो ब्रैस्ट कैंसर मेटास्टेसिस को ट्रिगर करने और उसे बनाए रखने में सहायक होता है) के दौरान कोशिका की अपनी पहचान और गुण लुप्त होने लगते हैं। यह स्टेम सेल्स (ऐसी कोशिकाएं जो अन्य प्रकार की कोशिकाओं से अलग होती हैं) की तरह काम करना शुरू कर देती हैं। यह कोशिका को एक अलग प्रकार की कोशिका में बदलने की कोशिश करने लगता है। इसी वजह से यह लगातार घातक रूप से कैंसर को विकसित होने के लिए बढ़ावा देता है।
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बेसल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मेटास्टेसिस को रोकने और कैंसर कोशिकाओं को वसा में परिवर्तित करने के लिए कैंसर प्लास्टिसिटी नामक नया तरीका खोज निकाला है। उन्होंने इस खोज के लिए कैंसर की एक मौजूदा दवा और मधुमेह की एक लोकप्रिय दवा का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल किया है। इस रिसर्च के परिणाम प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका "गेन फैट-लूज मेटास्टेसिस: कंवर्टिंग इनवेसिव ब्रैस्ट कैंसर सेल्स इन टू एडिपोसाइट्स इनहिबिट्स कैंसर मेटास्टेसिस" में प्रकाशित हुए हैं।
एडीपोजेनेसिस: वसा की जरूरत
एडीपोजेनेसिस का मतलब है 'वसा का निर्माण' और यह प्रक्रिया काफी कठिन है। इसी वजह से अब तक इस विधि का प्रयोग पहले कभी नहीं किया गया था।
फिलहाल बेसल के वैज्ञानिकों ने ट्रांसफॉर्मिंग ग्रोथ फैक्टर-बीटा (TGF-β) के साथ कुछ बदलाव किए, जोकि कोशिकाओं में भिन्नता और शरीर में उनके प्रसार के लिए जिम्मेदार होता है। यह TGF-β को रोकते हुए एमइके/ईआरके के संकेतों को प्रेरित करता है जिससे एडीपोजेनेसिस की प्रक्रिया बिना किसी बाधा के पूरी होती है।
दुनिया भर में, स्क्रीनिंग के तरीकों के साथ-साथ ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में भी तुरंत सुधार लाने की जरूरत है। इसके तहत कैंसर अनुसंधान कुछ बड़े कदम उठा रहा है जिसमें रोगी के जीन के आधार पर दवा और अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का निर्धारण किया जाएगा। इसी संबंध में वैज्ञानिकों ने वसा के अणुओं के साथ कीमोथेरेपी की दवा को कैंसर को नष्ट करने में असरकारी पाया था।
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जरा सोचिए यदि डॉक्टर या शोधकर्ता ब्रेस्ट कैंसर को फैलने से रोकने में सफल हो गए, तो भारत और दुनिया भर में लाखों महिलाओं के जीवन में सुधार लाया जा सकेगा।