आमतौर पर एलर्जी बैक्टीरिया, वायरस और धूल के कारण होती है लेकिन कई बार मौसमी बुखार के कारण भी एलर्जी हो सकती है और लम्बे समय से हो रही किसी बीमारी जैसे अस्थमा एवं एक्जिमा की वजह से भी हो सकती है। कुछ मामलों में तीव्रग्राहिता (किसी ऐसे पदार्थ से संपर्क में आना जिससे आपको एलर्जी हो) की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। तीव्रग्राहिता कीड़े के काटने, किसी खाने या दवाइयों की वजह से हो सकता है। एलर्जी के लक्षण शरीर के प्रभावित हिस्से के अनुसार अलग-अलग होते हैं। हालांकि, सामान्य एलर्जी के लक्षणों में छींक, खुजली और खांसी शामिल है।
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धूल-मिट्टी से भरे वातावरण में सांस लेने पर एलर्जी हो सकती है जिसके कारण बंद नाक, कफ और गले में खराश हो सकती है। एलर्जी आंखों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है जिसके कारण आंखों में खुजली, आंखों से पानी आना, सूजन और आंखों में लालपन आ जाता है। एलर्जी के लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते पड़ना, खुजली या फोड़े के रूप में सामने आते हैं। फूड एलर्जी में पेट में मरोड़, दस्त, जी मिचलाना और उल्टी होना आम है।
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आयुर्वेदिक उपचार द्वारा शरीर से अमा (विषाक्त पदार्थों) को बाहर निकाला जाता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य पाचन अग्नि में सुधार, शरीर की सफाई और शरीर को संतुलन में लाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक करना है। एलर्जी के लिए जड़ी बूटियों और हर्बल मिश्रण का इस्तेमाल भी किया जाता है जिनमें वासा (अडूसा), हरिद्रा (हल्दी), अदरक, यष्टिमधु (मुलेठी), कृष्णकेलि, पिप्पली, सितोपलादि चूर्ण, त्रिकटु चूर्ण आदि शामिल हैं। एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए पाचन, स्नेहपान और वमन प्रक्रिया असरकारक है।