एलर्जी के इंजेक्शन प्रतिरक्षा चिकित्सा से उपचार का सबसे प्रभावी और आमतौर पर सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला रूप है।

एलर्जी इंजेक्शन का उपयोग नाक और आँखों (एलर्जिक राइनो-कंजंक्टिवाइटिस - आँख और नाक को प्रभावित करने वाली एलर्जी), कान (एलर्जिक ओटिटिस मीडिया - कान के अंदर संक्रमणकान में दर्द, कान बहना जैसी स्थिति), फेफड़े (ब्रोन्कियल अस्थमा - श्वास-नलिकाओं की अवरुद्ध अवस्था के कारण होने वाला दमा), साथ ही कुछ कीड़ों के काटने से होने वाली एलर्जी के इलाज के लिए किया जाता है।

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एलर्जी का इंजेक्शन कई प्रकार के एलर्जेन (एलर्जी पैदा करने वाला कोई तत्व) जैसे कि फफूंद, घर की धूल, पशु के बालों की रूसी और कीड़े के काटने इत्यादि से होने वाले रिएक्शन के इलाज में प्रभावी होता है।

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इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि प्रतिरक्षा चिकित्सा क्या है और प्रतिरक्षा चिकित्सा से उपचार कैसे होता है, प्रतिरक्षा चिकित्सा से उपचार के क्या लाभ और नुकसान हो सकते हैं। इस लेख में यह भी बताया गया है कि प्रतिरक्षा चिकित्सा की लागत यानी खर्च कितना है।

  1. एलर्जी इंजेक्शन क्या है? - What is allergy shots in hindi
  2. एलर्जी के इंजेक्शन से उपचार कैसे होता है? - Treatment of allergy shots in Hindi
  3. एलर्जी इंजेक्शन के फायदे - Benefits of allergy injection in Hindi
  4. एलर्जी इंजेक्शन के नुकसान - Side effects of allergy shots in Hindi
  5. एलर्जी इंजेक्शन की कीमत - Allergy shots cost in hindi
  6. सारांश

एलर्जी के इंजेक्शन को सबक्यूटेनियस इम्यूनोथेरेपी (एससीआइटी) यानी त्वचा के अंदर इंजेक्शन द्वारा दी जाने वाली प्रतिरक्षा चिकित्सा भी कहा जाता है। यह 100 से भी अधिक वर्षों से एलर्जी के इलाज का एक सिद्ध तरीका रहा है।

ये एक मात्र इलाज है जो प्रतिरक्षा तंत्र को बदल सकता है। एलर्जी के इंजेक्शन कोई नई एलर्जी और अस्थमा होने से रोकते हैं और एक बार थेरेपी पूरी होने के बाद इनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है।

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सबलिंगुअल इम्यूनोथेरेपी (एसएलआइटी), एलर्जी के इलाज का आधुनिक तरीका है। त्वचा में इंजेक्शन लगाने के बजाय इसमें एलर्जेन की छोटी खुराक को आपकी जीभ के नीचे रखा जाता है।

एसएलआइटी के दो प्रकार है - टेबलेट्स और ड्रॉप्स। लेकिन अमेरिका में एफडीआई के द्वारा अभी रेग्वीड (उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला पौधा जिसका पराग एलर्जी पैदा कर सकता है), घास का पराग (ग्रास पोलन), धूल के घुन (डस्ट माइट) आदी से एलर्जी के लिए केवल टेबलेट्स को ही मान्यता दी गयी है।

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एलर्जी से प्रभावित लोगों को आमतौर पर कई एलर्जेन से एलर्जी होती है। इंजेक्शन या शॉट्स एक से अधिक एलर्जेन के लिए प्रभावी हो सकते हैं किंतु एसएलआइटी केवल एक एलर्जेन के लिए ही उपयोग होते हैं। इन दोनों उपचारों की अपनी खूबी और खामी है। आपके डॉक्टर आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।

एलर्जी के इंजेक्शन किसी निश्चित एलर्जेंस के लक्षणों को कम करने का काम करते हैं। प्रत्येक इंजेक्शन में बहुत कम मात्रा में एलर्जेन होता है जिसके प्रति शरीर धीरे-धीरे प्रतिरक्षा विकसित कर लेता है। यह प्रक्रिया कुछ-कुछ वैक्सीन की तरह ही होती है जिसमें शरीर किसी आक्रामक पदार्थ से लड़ने के लिए नई एंटीबॉडीज बना लेता है।

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आपकी प्रतिरक्षा चिकित्सा शुरू हो इससे पहले एलर्जी की जाँच के लिए आपके डॉक्टर पूरा मूल्यांकन करेंगें। आपके डॉक्टर का यह जानना जरुरी है कि इंजेक्शन में कौनसा तत्व उपयोग किया जाए।

उदाहरण के लिए, अगर आपको पराग के मौसम में एलर्जी होती है तो डॉक्टर ये जाँच करेंगें कि किस प्रकार के पराग से आपको एलर्जी हो सकती है। उत्तरी अमेरिका के रेग्वीड की तरह भारत में भी ऐसे कई पौधे पाए जाते हैं जिनसे लोगों को एलर्जी हो सकती है।

एलर्जी की जाँच करने के लिए डॉक्टर आपकी पीठ पर या हाथ पर एलर्जेन का इंजेक्शन देकर पता करते हैं कि कौनसे एलर्जेन से आपको एलर्जी है। ये सभी जाँच एक विशेषज्ञ द्वारा की जाती है जिसे एलर्जिस्ट या इम्यूनोलॉजिस्ट कहा जाता है।

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एक बार जब आपके डॉक्टर ये पता कर लेते हैं कि आपको किस एलर्जेन से एलर्जी होती है तो फिर आपको एलर्जी के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया दो फेज - बिल्ड अप (बनाना) और मेंटेनेंस (रखरखाव) - में की जाती है।

  • बिल्ड अप फेज में सबसे अधिक समय लगता है। आपके शरीर को एलर्जेन की आदत डलवाने के लिए हफ्ते में दो बार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। यह फेज लगभग 6 महीनों तक रहता है।
  • मेंटेनेंस के फेज में महीने में एक या दो बार इंजेक्शन दिए जाते हैं। आप इस फेस में तब आते हैं जब आपके डॉक्टर यह देखते हैं कि अब आपका शरीर एलर्जेन का आदी हो चुका है। डॉक्टर का यह निर्णय इस पर आधारित होता है कि आपका शरीर इंजेक्शन के साथ कैसी प्रतिक्रिया कर रहा है। यह मेंटनेंस फेस 3 से 5 साल तक चलता है।

उपचार के दौरान जहाँ तक संभव हो आप अपना कोई भी इंजेक्शन छोड़े नहीं, सभी इंजेक्शन लगवाते रहें। अगर आप कोई इंजेक्शन छोड़ते हैं तो इलाज प्रभावित हो सकता है। आपको प्रत्येक इंजेक्शन लगने के 30 मिनट बाद तक डॉक्टर के ऑफिस में रहना पड़ता है ताकि कोई साइड इफ़ेक्ट या रिएक्शन हो तो निगरानी की जा सके।

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एलर्जी के इंजेक्शन से उपचार करवाने के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं -

  • एलर्जी के इंजेक्शन एक बार पूरे होने के बाद आपको लंबे समय के लिए राहत मिल जाती है।
  • कुछ लोग जो सफल प्रतिरक्षा चिकित्सा करवा लेते हैं, हो सकता है कि उनको अपनी एलर्जी के लिए आगे कभी दवा लेने की जरूरत न पड़े।
  • आपको मेंटेनेंस फेज के दौरान भी कुछ फायदे दिखने लग सकते हैं।

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हालाँकि कुछ मामलों में अगर एलर्जी के इंजेक्शन मदद नहीं करते हैं तो इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

  • रिएक्शन के कारण उपचार बीच में रोक देना।
  • लगातार बहुत अधिक मात्रा में एलर्जेन के संपर्क में रहना।
  • जो इंजेक्शन दिया गया है उसमें एलर्जेन की मात्रा जरूरत से बहुत कम हो।
  • आपकी प्रारंभिक जाँच में कोई एलर्जेन छूट गया, जिसका पता नहीं लग सका।

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मधुमक्खी के काटने या मच्छर के काटने जैसे दिखने वाले कुछ सामान्य साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन हो सकती है और ये जगह अधिक लाल पड़ सकती है। ऐसा होना एक सामान्य बात है और बिना इलाज के भी कुछ घंटो में ये लक्षण चले जाते हैं। इंजेक्शन वाली जगह पर बर्फ लगाकर भी आप सूजन से राहत पा सकते हैं।

कुछ लोगों में इंजेक्शन के बाद एलर्जी के लक्षण भी देखे जाते हैं। इसमें नाक बंद होना, छींक आना और त्वचा पर खुजली आदि शामिल हैं। हिस्टमीन रोधी गोली से इसका इलाज किया जा सकता है।

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कुछ विरले मामलों में, एलर्जी के इंजेक्शन से गंभीर रिएक्शन हो सकता है जिसे तीव्रग्राहिता (तीव्र एलर्जी / एनाफाईलैक्सिस / एलर्जिक शॉक) कहा जाता है, हो सकती है। इस एलर्जिक शॉक से आपको सांस लेने में परेशानी या चक्कर आ सकते हैं। ये रिएक्शन इंजेक्शन लेने के 30 मिनट के अंदर पैदा हो सकती है। इसीलिए आपके डॉक्टर आपको आधे घंटे तक अपनी निगरानी में रख सकते हैं।

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अगर आप को परेशानी हो रही है तो अपने डॉक्टर को बताए। जब तक आप ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक इंजेक्शन रोके जा सकते हैं। अगर आपको साँस की परेशानी है तो इंजेक्शन लेने से नुकसान अधिक हो सकते हैं।

प्रतिरक्षा चिकित्सा की लागत निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती हैं -

  • एलर्जी के इंजेक्शन को विदेश से मंगवाया गया है या भारत में ही बना है।
  • उपचार कौनसे तरीके से किया जा रहा है जैसे कि एसएलआईटी या फिर एससीआइटी।
  • कौनसा एलर्जेन उपयोग किया जा रहा है।

अगर इम्मुनोथेरपी की औसत लागत देखी जाए तो ये लगभग 1500 रुपये प्रति माह हो सकती है। आप अपने डॉक्टर से इसकी चर्चा पहले ही कर ले कि आपको कितना खर्च लगेगा। अगर आपका बीमा है तो अधिकांश बीमा पॉलिसी इसे कवर करती हैं, इसके बारे में भी पता कर लें।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

एलर्जी इंजेक्शन, जिन्हें इम्यूनोथेरेपी भी कहा जाता है, एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए एक प्रभावी उपचार है। इसमें डॉक्टर द्वारा एलर्जन के छोटे-छोटे डोज दिए जाते हैं ताकि शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को धीरे-धीरे सहिष्णु बनाया जा सके। यह लंबे समय तक एलर्जी, जैसे धूल, पालतू जानवरों के बाल, पराग, या कीट के डंक, के इलाज में मदद करता है। इसके फायदे में एलर्जी के लक्षणों में कमी, दवाओं की जरूरत कम होना, और जीवन की गुणवत्ता में सुधार शामिल है। हालांकि, इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे सूजन, खुजली, या दुर्लभ मामलों में गंभीर एलर्जिक रिएक्शन (एनाफिलैक्सिस)। इसका खर्च व्यक्ति की जरूरत और उपचार की अवधि पर निर्भर करता है, जो आमतौर पर कई महीनों से लेकर सालों तक हो सकता है। यह उपचार डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही करवाना चाहिए।

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