भूख लगने पर
बच्चे सबसे ज्यादा भूख लगने पर रोते हैं। शिशु को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाने की जरूरत होती है। थोड़े समय में आप खुद ही भूख लगने पर अपने शिशु के संकेतों को समझ जाएंगीं। जब दूध पीते समय शिशु का पेट भर जाता है तो वो अपने आप ही ब्रेस्ट से अपना मुंह हटा लेता है।
वहीं अगर आप शिशु को फॉर्म्यूला-फीड करवा रही हैं तो उसे एक बार दूध पीने के बाद कम से कम दो घंटे तक दोबारा दूध पीने की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन ये पैटर्न हर शिशु में अलग होता है। कुछ बच्चे दूध पीने के बाद लंबे समय तक शांत रहते हैं।
अगर शिशु लगातार पूरा दूध नहीं पीता है तो उसे थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में फॉर्म्यूला मिल्क पिलाएं।
थकान महसूस होने पर
जन्म के बाद बाहर का वातावरण शिशु के लिए बहुत अलग होता है और वो लगातार इस माहौल में एडजस्ट होने के लिए कोशिश कर रहा होता है। आसपास के लोगों की आवाज से शिशु को डर लग सकता है और उसे नींद आने में भी दिक्कत होती है।
परिणामस्वरूप, शिशु को थकान होने लगती है जिसकी वजह से वो रोने लगता है। स्तनपान के बाद शिशु को शांत कमरे में रखें और सुलाने से पहले उसे अपनी गोद में रखें।
गोद में आने के लिए
शिशु हमेशा अपनी मां के नजदीक रहना चाहता है। नौ महीने तक गर्भ में रहने के दौरान वो अपनी मां की आवाज और दिल की धड़कन को ही सुनता रहता है। जन्म के बाद शिशु अपनी मां को स्पर्श और महक से पहचानने लगता है। शिशु को सुरक्षित महसूस करने के लिए लगातार अपनी मां के स्नेह की जरूरत पड़ती है। शिशु चाहता है कि उसकी मां उसे हर समय अपनी गोद में रखे। इससे शिशु को खुशी मिलती है और वो खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
बहुत ठंड या गर्मी लगती है
नौ महीने तक गर्भ में एमनीओटिक फ्लूइड शिशु को सुरक्षा और गरमाई देता है। जन्म के बाद शिशु को बाहरी तापमान में एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगता है। समय के साथ उसकी त्वचा बाहरी वातावरण के अनुकूल हो जाती है। तब तक आपको अपने शिशु को मौसम के हिसाब से कपड़े पहनाने चाहिए। गरमाई देने के लिए शिशु को केवल एक कपड़ा पहनाकर मुलायम ब्लैंकेट से ढक कर सुला दें।
उसे ज्यादा कपड़े पहनाने की गलती न करें। छूने पर आपको शिशु के हाथ और पैर हल्के ठंडे लग सकते हैं। खासतौर पर जन्म के पहले 24 घंटों में इनका रंग हल्का नीला लग सकता है। छाती के ऊपरी हिस्से और कपड़ों को हाथ लगाकर शिशु के शरीर के तापमान का अंदाजा लगा सकते हैं।
नैपी बदलने के लिए
भूख के बाद शिशु सबसे ज्यादा नैपी बदलवाने के लिए रोते हैं। हालांकि, कुछ बच्चों को नैपी बदलना अच्छा नहीं लगता है और इस दौरान वो थोड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसा ठंडी हवा के कारण हो सकता है। गाना गाकर या बात करके शिशु का ध्यान बंटाते हुए नैपी बदलें। एक हफ्ते में आप खुद ही इस काम में माहिर हो जाएंगीं।