बच्चो की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है, जिसकी वजह से बच्चे आसानी से किसी रोग का शिकार बन जाते हैं। अगर आपके बच्चे को तेज सिर दर्द और स्किन रैश की समस्या रहती है तो यह मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) हो सकता है। मेनिनाजाइटिस सूजन से संबंधी विकार है। मेनिन्जेस (meninges) मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को सुरक्षा प्रदान करने वाली झिल्ली होती है। ये झिल्ली मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढककर रखती है। जब बच्चों की मेनिन्जेस में सूजन आ जाती है तो इस स्थिति को ही मेनिनजाइटिस या बच्चों में दिमागी बुखार कहा जाता है।

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अगर इस रोग का समय रहते इलाज न किया जाए तो यह घातक समस्या बन सकता है। इस लेख में आपको बच्चों में दिमागी बुखार के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको बच्चों में दिमागी के लक्षण, बच्चों में दिमागी बुखार के कारण और बच्चों में दिमागी बुखार के इलाज आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

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  1. बच्चों में दिमागी बुखार के कारण - Baccho me dimagi bukhar ke karan
  2. बच्चों का दिमागी बुखार से बचाव - Baccho ka dimagi bukhar se bachav
  3. बच्चों में दिमागी बुखार का इलाज - Baccho me dimagi bukhar ka ilaj
  4. बच्चों में दिमागी बुखार के लक्षण - Baccho me dimagi bukhar ke lakshan
  5. सारांश

सामान्यतः बैक्टीरिया और वायरस शिशुओं और बच्चों में दिमागी बुखार का कारण होते हैं। बच्चों में दिमागी बुखार की गंभीर स्थितियां बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न होती है, जबकि वायरस इस रोग की आम वजह होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में इससे गंभीर स्थिति उत्पन्न नहीं होती है।

बच्चों में दिमागी बुखार के बैक्टीरियल कारण

योनि में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोक्की) व पाचन तंत्र में होने वाला बैक्टीरिया (एस्चेरिचिया कोलाई) प्रीमैच्योर शिशु और सामान्य रूप से पैदा होने वाले बच्चों में दिमागी बुखार की संभावनाओं को बढ़ा देते हैं। जो बच्चे थोड़े बड़े होते है वह नेइसेरिया मेनिंगीटिडिस (neisseria meningitides) और स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) से संक्रमित होते हैं , जबकि पांच साल से कम आयु के बच्चे हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा (Haemophilus influenza type B) बैक्टीरिया से संक्रमित होते हैं।

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बच्चों में दिमागी बुखार के वायरल कारण

बच्चों में वायरस के कारण भी दिमागी बुखार हो जाता है। सामान्यतः हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस (herpes simples virus) और वेरिसेला जोस्टर वायरस (varicella zoster virus) बच्चों में दिमागी बुखार की संभावना बढ़ाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचान वाले कुछ तरह के वायरस साइड इफेक्ट के रूप में मेनिनजाइटिस का कारण भी बनते हैं। इनमें एचआईवी और मम्प्स (गलसुआ) आदि के वायरस को शामिल किया जाता है।  

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जब मेनिनजाइटिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया या वायरस, मेनिन्जेस और सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (cerebrospinal fluid) में प्रवेश करते हैं तो इससे मेनिनजाइटिस होता है। यह रोगाणु शरीर के फ्रैक्चर और नाक से प्रवेश करते है। इसके अलावा मेनिनजाइटिस के कारण बनने वाले वायरस रक्त प्रवाह के द्वारा भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। शिशुओं के शरीर में सामान्यतः रक्त प्रवाह के माध्यम से वायरस प्रवेश करते हैं। 

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एक गंभीर रोग होने के बावजूद कुछ उपायों को अपनाकर आप बच्चों का दिमागी बुखार से बचाव कर सकते हैं। इस बचाव उपायों को आगे जानें –

  • कई स्वास्थ्य संस्थाएं बच्चे को बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाने के लिए समय पर टीके लगाने की सलाह देती है। दिमागी बुखार से बचाव के लिए बच्चे को टाइप बी हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा (type b Haemophilus influenzae), स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (Streptococcus pneumoniae) और नेइसेरिया मेनिंगीटिडिस (neisseria meningitides) आदि का टीका लगवाना चाहिए। (और पढ़ें - नवजात शिशु में निमोनिया का इलाज)
  • खाना खाने से पहले, टॉयलेट व बाहर से खेल कर आने के बाद बच्चों को हाथ धोने की आदत सिखाएं।
  • बच्चों के साथ एक ही प्लेट में खाना न खाएं। (और पढ़ें - बच्चों को सिखाएं अच्छी सेहत के लिए अच्छी आदतें)
  • खाना पकाने से पहले सब्जियाें को अच्छी तरह से धोएं व खाने को कच्चा ना रखें।
  • घर को साफ सुथरा बनाएं। पक्षियों के मल से दूषित धूल आदि के संपर्क में आने से बच्चे को फंगल मेनिनजाइटिस का खतरा होता है।   

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बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार के प्रकार के आधार पर इस रोग का इलाज किया जाता है। वायरल मेनिनजाइटिस का कोई निश्चित इलाज उपलब्ध नहीं है और यह संक्रमण दस दिनों में खुद ठीक हो जाता है। अन्य दिमागी बुखार में बच्चों को दवाएं दी जाती है।

  • बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस में बच्चों को कई तरह की एंटीबायोटिक्स दी जाती है। डॉक्टर कुछ बच्चों को इस इलाज में नसों के माध्यम से भी एंटीबायोटिक्स देते हैं। इसमें डॉक्टर बच्चे के लिए एक निश्चित इलाज को निर्धारित करते हैं, जिसके प्रत्येक सत्र में बच्चे को शामिल होना होता है। (और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले ज़रूर रखें इन बातों का ध्यान)
  • एंटीफंगल (antifungal) और एंटीपैरासाईटिक मेडीसिन (antiparasitic medicines) जैसी तीव्र प्रभावशाली दवाएं फंगल और पैरासाइटिक मेनिनजाइटिस के इलाज में बच्चों को दी जाती है। यह दवाएं नसों के माध्यम से सीधे रक्त में पहुंचाई जाती हैं। (और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का उपचार)
  • बच्चों को हर्पीस वायरस व इंफ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाले दिमागी बुखार में जब प्रतिरक्षा उनको ठीक नहीं कर पाता है तो एंटीवायरल दवाएं देने की आवश्यकता होती है। (और पढ़ें - इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक)
  • मेनिन्जेस (meninges) में आने वाली सूजन को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरोइड (corticosteroids) देने की सलाह दी जाती है। मेनिनजाइटिस की वजह से जब बच्चे को दौरे पड़ने लगते हैं तो डॉक्टर उसको डायजेपाम (diazepam) देते हैं।

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बच्चों में दिमागी बुखार के लक्षण उनके रोगाणुओं पर निर्भर करते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में हर बच्चे को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। बच्चों के दिमागी बुखार के लक्षणो को नीचे विस्तार से जानें।

शिशुओं में दिमागी बुखार के लक्षण

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एक साल से अधिक आयु के बच्चों में दिमागी बुखार के लक्षण

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बच्चों में दिमागी बुखार (मेनिन्जाइटिस) एक गंभीर समस्या है, जिसे तुरंत पहचानकर इलाज करना जरूरी है। यदि बच्चे को तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में जकड़न, या उलझन महसूस हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें क्योंकि यह संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों को समय पर टीकाकरण कराएं, खासकर हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (Hib) और मेनिन्जाइटिस के टीके। बच्चों को साफ-सफाई और हाथ धोने की आदत डालें, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो। साथ ही, संतुलित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन सुनिश्चित करें, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें, और लक्षण दिखते ही चिकित्सीय सहायता लें।

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