जन्म के शुरुआती कुछ सालों में बच्चों को कई परेशानियों और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समय बच्चे को सर्दी जुकाम और सांस संबंधी समस्याओं की तरह ही यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (Urinary tract infection: UTI: यूटीआई) या यूरिन इन्फेक्शन का भी खतरा होता है। पांच साल तक की करीब 8 प्रतिशत लड़कियों और 2 प्रतिशत लड़कों में यूरिन इन्फेक्शन की समस्या होती है।

मूत्र मार्ग (यूरिनरी ट्रैक्ट) में होने वाले बैक्टीरिया सामान्यतः पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं, लेकिन जब यह बैक्टीरिया पेशाब से बाहर नहीं निकल पाते हैं, तो ऐसे में बच्चों के मूत्र मार्ग में फैल कर समस्या का कारण बन सकते हैं।

इस लेख में बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण, बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के कराण, बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन का परीक्षण और बच्चों के यूरिन इन्फेक्शन का इलाज आदि विषयों को भी विस्तार से बताया गया है। 

(और पढ़ें - बच्चों की देखभाल)

  1. बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण - Bacho me urine infection ke lakshan
  2. बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के कारण - Bacho me urine infection ke karan
  3. बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन का परीक्षण - Bacho me urine infection ka pariksan
  4. बच्चों का यूरिन इन्फेक्शन से बचाव - Bacho ka urine infection se bachav
  5. बच्चों के यूरिन इन्फेक्शन का इलाज - Bacho ke urine infection ka ilaj

बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण संक्रमण के प्रभाव और बच्चे की आयु के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। नवजात शिशु और 6 माह के बच्चों को इसके लक्षण महसूस नहीं हो पाते हैं, जबकि थोड़े बड़े बच्चों में होने वाले यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण सामान्य होते हैं। इसके लक्षणों में निम्नलिखित को शामिल किया जा सकते हैं :

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अन्य लक्षण मूत्र मार्ग के प्रभावित हिस्से के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। यदि आपके बच्चे को ब्लैडर इन्फेक्शन हो तो उसको निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं :

  • पेशाब में खून आना
  • पेशाब का रंग साफ ना होना
  • पेशाब में दुर्गंध आना
  • पेशाब में जलन महसूस होना
  • पीठ के निचले हिस्से और नाभि के नीचे दबाव महसूस करना

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यदि संक्रमण बच्चे की किडनी तक पहुंच जाए तो यह गंभीर समस्या बन सकता है। ऐसे में बच्चे को कई गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं जैसे :

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बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के शुरुआती लक्षण आसानी से अनदेखे रह सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए अपनी समस्या को बताना मुश्किल होता है, यदि आपको बच्चा बीमार लगे या सर्दी जुकाम, कान में दर्द व अन्य संकेतों के बिना उसको तेज बुखार हो, तो ऐसे में समस्या के कारण को जानने के लिए बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं। 

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बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन का मुख्य कारण बैक्टीरिया होते हैं, जो गुदा और योनि के पास की त्वचा से मूत्र मार्ग में प्रवेश कर जाते हैं। ई. कोलाई (E. coil) यूरिन इन्फेक्शन की एक सामान्य वजह होता है, ये संक्रमण बच्चे की आंतों से शुरू होता है।

बैक्टीरिया मूत्रमार्ग के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जैसे:

  • किडनी:
    किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त पानी को बाहर करती है। किडनी के इन्फेक्शन को पाइलोनेफ्रिटिस कहा जाता है। (और पढ़ें - किडनी खराब होने का उपचार)
     
  • मूत्रवाहिनी (Ureters):
    मूत्रवाहिनी मूत्र को किडनी से ब्लैडर तक भेजती हैं।
     
  • ब्लैडर:
     ब्लैडर में मूत्र इकट्ठा होता है। ब्लैडर के इन्फेक्शन को सिस्टाइटिस कहा जाता है। (और पढ़ें - ब्लैडर कैंसर का इलाज)
     
  • मूत्रमार्ग (Urethra):
    निचला मूत्रमार्ग ब्लैडर से मूत्र को शरीर से बाहर करता है।

बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के जोखिम कारक

यूरिन इन्फेक्शन लड़कियों मे होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि उनका मूत्रमार्ग छोटा और गुदा के पास होता है। इससे बैक्टीरिया का मूत्र मार्ग में प्रवेश करना आसान हो जाता है। इसके अलावा खतना न किये गए एक साल से छोटे लड़कों में यूरिन इन्फेक्शन होने का जोखिम ज्यादा होता है।

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सामान्यतः मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया का रहना आसान नहीं होता, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियां बैक्टीरिया को बच्चें के मूत्रमार्ग में प्रवेश या रहना आसान बनाती हैं। निम्न कारक जिनमें बच्चे को यूरिन इन्फेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है।

  • आकार में विकृति या मूत्र मार्ग के किसी एक अंग में रूकावट होना
  • मूत्र मार्ग का सही तरह से कार्य न करना
  • वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स (Vesicoureteral reflux), यह एक जन्मजात विकार है, जिसकी वजह से मूत्र का प्रवाह उल्टा हो जाता है
  • लड़कियों का झागदार में पानी में नहाना (और पढ़ें - नवजात शिशु को नहलाने का तरीका)
  • लड़कियों का ज्यादा टाइट कपड़े पहनना
  • मल त्याग के बाद गुदा को पीछे से आगे की ओर साफ करना (और पढ़ें - गुदा कैंसर का इलाज)
  • खराब स्वच्छता की आदतें
  • बार-बार पेशाब जाना और ज्यादा समय तक पेशाब न करना, आदि। 

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यदि आपको बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसकी सटिक जांच के लिए डॉक्टर पेशाब के सैंपल लेते हैं। यह सैंपल दो तरह से उपयोग किया जाता है:

  • मूत्र विशलेषण (Urinalysis):
    इसमें पेशाब के सैंपल को विशेष तरह की टेस्ट स्ट्रिप (test strip) में रखकर रक्त और सफेद रक्त कोशिकाओं में संक्रमण के संकेत को देखा जाता है। साथ ही माइक्रोस्कोप से सैंपल में बैक्टीरिया और पस की जांच भी की जाती है। (और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)
     
  • यूरिन कल्चर (Urine culture):
    इस तरह के लैब टेस्ट में 24 से 48 घंटों का समय लगता है। इसमें संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया की पहचान की जाती है। साथ ही बैक्टीरिया इतना फैला है और इसके लिए किस एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता है, आदि बातों की जांच की जाती है। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट कैसे होता है)
     
  • अन्य टेस्ट: 
    यदि यूरिन इन्फेक्शन का कारण किडनी इन्फेक्शन है, तो बच्चे के निम्नलिखित टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
    • किडनी और ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड
    • न्यूक्लियर मेडिशन रीनल स्कैन, (nuclear medicine renal scan: DMSA)
    • किडनी और ब्लैडर का सीटी स्कैन और एमआरआई,
    • वायडिंग सिस्टोस्टोयुरेथ्रोग्राम (वीसीयूजी) [Voiding cystourethrogram (VCUG)]   

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डॉक्टर बच्चों को यूरिन इन्फेक्शन से बचाव के लिए कई उपयोगी सलाह देते हैं। निम्नलिखित उपायों को अपनाने से बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावनाएं कम हो जाती है।

  • बच्चे की स्वच्छता पर ध्यान दें और उसके जननांगों को उचित तरह से साफ करें।
  • बड़े बच्चों के डायपर समय-समय पर लगातार बदलें। (और पढ़ें - डायपर रैश का इलाज)
  • बच्चे को पेशाब ना रोकने और थोड़ी-थोड़ी देर में पेशाब करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • नहलाने के लिए झाग के पानी का उपयोग न करें। इससे बैक्टीरिया और साबुन मूत्र मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं। (और पढ़ें - बेबी को सुलाने के कुछ टिप्स)
  • बच्चों को (विशेष रूप से लड़कियां) ज्यादा टाइट कपड़े व अंडरगार्मेंट न पहनाएं।
  • बच्चों को आवश्यकता के अनुसार पानी पिलाएं।
  • बच्चे को कैफीन न पीने दें, क्योंकि इससे ब्लैडर इन्फेक्शन हो सकता है। (और पढ़ें - दो साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)
  • मल त्यागने के बाद बच्चे को गुदा साफ करने का सही तरीका बताएं। गुदा को आगे से पीछे की ओर साफ करने से बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में जाने की संभावनाएं कम होती हैं।

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बच्चों के यूरिन इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग किया जाता है, यह दवाएं बैक्टीरिया को नष्ट करती हैं। डॉक्टर बच्चे को तीन से दस दिनों तक ये दवाएं दे सकते हैं, जिसके बाद डॉक्टर यूरिन इन्फेक्शन की सही स्थिति जानने के लिए यूरिन टेस्ट करते हैं। बच्चा अच्छा महसूस करने लगे तो भी आपको उसे दवा की पूरी खुराक देनी चाहिए। पूरी खुराक से पहले ही दवाओं को बंद करने से बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक्स दवाएं बेअसर हो जाती हैं और इससे बैक्टीरिया अन्य संक्रमण की वजह बन जाते हैं।

(और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले ज़रूर रखें इन बातों का ध्यान)

यूरिन इन्फेक्शन होने पर घरेलू देखभाल:

  • इलाज के दौरान यदि बच्चे को तेज बुखार हो तो उसकी जांच करें। (और पढ़ें - शिशु के निमोनिया का इलाज)
  • बच्चे के पेशाब जाने पर नजर रखें, कि वह कब और कितनी बार पेशाब करता है।
  • अगर बच्चे को पेशाब करते समय जलन या दर्द हो तो डॉक्टर से बात करें।
  • बच्चे को पर्याप्त मात्रा मे तरल पदार्थ दें। (और पढ़ें - शरीर के वजन के हिसाब से कितना पानी पीना चाहिए)
  • इलाज के समय यदि लक्षण गंभीर हो जाएं या तीन दिनों से अधिक रहें, तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लें।

(और पढ़ें - यूरिन इन्फेक्शन के घरेलू उपाय)

बच्चों के यूरिन इन्फेक्शन का घेरलू उपचार:

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