गर्भनाल मां के ही शरीर का अंग होती है। जन्म से पहले बच्चा गर्भनाल के जरिए ही मां से जुड़ा होता है, इसके माध्यम से ही गर्भस्थ शिशु को आहार और पोषण मिलता है। बच्चे के जन्म के समय यह नाल काट दी जाती है। चूंकि गर्भनाल में नसें नहीं होती इसलिए इसके कटने से बच्चे को कोई तकलीफ नहीं होती।

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शुरुआत के कुछ दिनों में गर्भनाल की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है। जब तक गर्भनाल अच्छे से सूख नहीं जाती उसमें संक्रमण का खतरा बना ही रहता है। अधिकतर लोगों को देखा गया है कि लोग बिना किसी परामर्श के गर्भनाल में पाउडर, क्रीम आदि लगाते रहते हैं। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि गर्भनाल की देखभाल कैसे की जाए? 

आज हम इस लेख के जरिए बताएंगे कि संक्रमण से बचाने के लिए गर्भनाल की सही देखभाल कैसे की जाए?

  1. गर्भनाल को सूखने में कितना समय लगता है - Garbh Naal ko sukhane me kitna samay lagta hai
  2. गर्भनाल की देखभाल कैसे करें - Garbh Naal ki dekhbhal kaise kare
  3. इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए - In baato ka rakhe khaas dhyaan

सामन्य तौर पर शिशु के जन्म के बाद एक से तीन सप्ताह में गर्भनाल सूख जाती है। अगर इसे सूखने के लिए इससे ज्यादा समय लगता है या नाभि के आसपास सूजन, लालपन आदि दिखे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। यह किसी तरह के संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं।

शिशु सामान्य से ज्यादा रो रहा हो यह भी चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि ऐसे में यह भी हो सकता है की उसे दर्द हो रहा हो। इस विषय में भी चिकित्सक से परामर्श ले लेना बेहतर रहेगा।

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ऐसे करें गर्भनाल की देखभाल:

  • गर्भनाल को सूखा और साफ रखें। इसे साफ रखने के लिए उबले ठंडे पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। साफ रुई में पानी लगाकर इसकी सतह सफाई करते रहना चाहिए। थोड़ी - थोड़ी देर में रुई बदलते रहना जरूरी होता है। गर्भनाल को हल्के हाथों से साफ करें। (और पढ़ें - हाथ में दर्द के लक्षण)
  • बच्चे को स्पंज बाथ दें (कपड़े से पोंछना)। गर्भनाल के आसपास गीला न करें या फिर डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही बच्चे को नहलाएं। (और पढ़ें - नवजात शिशुओं को नहलाने का तरीका)
  • हर दिन कुछ समय के लिए गर्भनाल को खुला ही छोड़ देना चाहिए जिससे इसे सूखने में मदद मिलती है।
  • शिशु का डाइपर बदलते रहना चाहिए। साफ और सूखा डाइपर मल-मूत्र को नाभि तक पहुंचने से रोकता है जिससे संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है। (और पढ़ें - डायपर रैश के लक्षण)
  • गर्भनाल को जोर लगाकर निकालने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे को दर्द हो सकता है और गर्भनाल से रक्तस्राव हो सकता है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • बच्चे को टाइट डायपर नहीं पहनाना चाहिए। डायपर की रगड़ से शिशु को जलन हो सकती है। (और पढ़ें - त्वचा में जलन लक्षण)
  • गर्भनाल को किसी पट्टी या कपड़े से नहीं ढकना चाहिए।
  • बच्चे की नाभि में पानी नहीं जाने देना चाहिए। उसे ज्यादा से ज्यादा सूखा रखने का ही प्रयास करना चाहिए।

शिशु की गर्भनाल में जरा सी भी दिक्क्त आती है तो सिर्फ डॉक्टर से ही सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कई बार शिशु की समस्याएं माता-पिता भी नहीं समझ सकते। छोटे बच्चों के मामले में किसी तरह के दादी - नानी के नुस्खों का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं होता है। इस समय डॉक्टर के पास जाने की ही सलाह दी जाती है।

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