हिचकी आना एक आम समस्या है। पानी पीने पर, सांस अटकने पर या किसी अन्य वजह से एकाएक हिचकी शुरू हो जाती है जो बिना किसी उपचार के थोड़ी देर में ठीक भी हो जाती है। ज्यादातर लोग हिचकी आने पर पानी पी लेते हैं। माना जाता है कि पानी पीने से हिचकी ठीक हो जाती है। कुछ हद तक ऐसा होता भी है। लेकिन छोटे बच्चों या शिशु में हिचकी होने पर अक्सर मांएं परेशान हो जाती हैं। उनकी पीठ मलने लगती हैं, पानी पिलाती हैं ताकि जल्दी से जल्द बच्चों की हिचकी ठीक हो सके। कई बार ये तरीके काम करते हैं, जबकि कई बार ये उपाय काम नहीं करते। इससे छोटे बच्चे को दिक्कतें होने लगती हैं। अतः छोटे बच्चे को हिचकी आने पर परेशान न हों। यहां बताए गए कुछ तरीकों को आजमाएं। साथ ही जरूरी सावधानियां भी बरतें।

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  1. छोटे बच्चों को हिचकी आना क्या है? - Chote baccho ko hichki aana kya hai?
  2. छोटे बच्चों को हिचकी क्यों आती है? - Chote baccho ko hichki kyun aati hai?
  3. छोटे बच्चों में हिचकी आने पर क्या करें? - Chote bachchon me hichki aane par kya karen?
  4. बच्चों की हिचकी रोकने के लिए घरेलू उपाय - bachchon ki hichki rokne ke liye gharelu upay
  5. शिशु की हिचकी रोकने के लिए बरतें ये सावधानियां - Shishu ki hichki rokne ke liye barten savdhaniyan

डायाफ्राम (छाती और पेट के बीच की मांसपेशी जो सांस को नियंत्रित करती है) में ऐंठन होना ही हिचकी होती है। आमतौर पर किसी को भी हिचकी आने पर अच्छा नहीं लगता है। लेकिन यह प्राकृतिक प्रक्रिया है। अत: इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। हिचकी किसी को कभी भी शुरू हो सकती है। यहां तक कि नवजात शिशु और छोटे बच्चों को भी हिचकी आ सकती है। हिचकी आना अपने आप में एक लक्षण है। यह कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक परेशान कर सकती है। कुछ लोगों के लिए हिचकी एक बीमारी होती है, जो शुरू होने पर आसानी से खत्म नहीं होती।

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डायफ्राम के संकुचन पर लंग्स फैलकर ऑक्सीजन से भर जाते हैं। जब डायफ्राम रिलैक्स मोड में आता है तो कार्बनडायऑक्साइड लंग्स में भरने की वजह से हिचकी आती है।

बच्चों में हिचकी आने की निम्नलिखित वजहें हो सकती हैं:

  • सांस के जरिए काफी ज्यादा हवा के घुस जाने से।
  • बहुत भारी मील लेने से।
  • कार्बोनेटेड पेय पदार्थ पीने से।
  • शरीर में अचानक कोई बदलाव होने से।
  • पर्यावरण के तापमान में बदलाव होने से शरीर में एकाएक हुए बदलाव की वजह से।
  • भावनात्मक तनाव होने से।
  • बहुत ज्यादा उत्तेजित होने के कारण।

इस ऐंठन से स्वरतंत्र अचानक से बंद हो जाता है जिसकी वजह से फेफड़ों में हवा फंस जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार छोटे बच्चे और नवजात शिशु को ज्यादा हिचकी आती है, क्योंकि उनके शरीर का मेकैनिज्म पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है। अतः उनकी नसें संदेश देने में कंफ्यूज हो जाती हैं।

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छोटे बच्चों में हिचकी आने पर आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

  • छोटे शिशु को एक बार में बहुत ज्यादा दूध पिलाने के बजाय बार-बार दूध पिलाएं। एक बार में काफी मात्रा में दूध पिलाने से उसे हिचकी आ सकती है। इससे वह परेशान हो सकता है।
  • छोटे बच्चे को गोद में लेटाकर दूध पिलाएं। अगर बच्चा बैठने लायक न हो तो उसे अपनी गोद में बैठाकर कभी भी दूध न पिलाएं। इससे दूध उसके गले में अटक सकता है, जिससे उसको हिचकी आ सकती है।
  • अगर आपका बच्चा इतना बड़ा है कि वह बैठकर दूध पी सकता है, तो उसे बैठकार दूध पिलाएं। इस दौरान आप उसके पीछे बैठें ताकि दूध पीते वक्त कोई समस्या हो, तो आप उसके पास रहें। बैठाकर दूध पिलाने पर खाना सीधे पेटे में जाता है।
  • शिशु को दूध पिलाते वक्त ध्यान रखें कि कहीं उसके गले से किसी तरह की आवाज तो नहीं आ रही है। अगर बच्चे के गले से घरघर की आवाज आ रही है तो समझें कि उसके मुँह में दूध के साथ-साथ हवा की अवाजाही भी हो रही है। दूध के बोतल की निप्पल को सही से उसके मुंह में डालें ताकि मुंह में कोई गैप न रहे। स्तनपान कराने के दौरान भी इस बात का ध्यान रखें। अगर दूध के साथ-साथ हवा भी उसके मुंह में घुसेगी तो हिचकी आने की आशंका बनी रहेगी। (और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने का तरीका)
  • बच्चे के दूध की बोतल को हमेशा साफ रखें। कई बार बोतल के निप्पल में गंदगी जमने से बच्चा सही तरह से दूध नहीं पी पाता। नतीजतन वह दूध के साथ-साथ हवा भी अंदर ले लेता है, जिससे हिचकी आने लगती है।
  • ध्यान रखें कि बोतल से दूध पीते-पीते बच्चा सो न जाए। स्तनपान के दौरान बच्चे का सो जाना अलग बात है। लेकिन बोतल से दूध पिलाते वक्त बच्चे का सोना सही नहीं है। बोतल से दूध नियमित बच्चे के मुंह में जाता रहेगा, जिससे ओवर फीडिंग होने की आशंका बढ़ जाएगी। ओवर फीडिंग करने से हिचकी भी बढ़ जाती है।

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जैसा कि आप जानते ही हैं कि बड़े या बच्चों में हिचकी अपने आप कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाती है। लेकिन यदि ऐसा न हो तो निम्नलिखित कुछ घरेलू उपायों को आजमा सकते हैं:

कैमोमाइल, सौंफ और पुदीना की चाय: 
विशेषज्ञों के अनुसार छोटे बच्चों में हिचकी आने पर कैमोमाइल, सौंफ और पुदीने की चाय पिलानी चाहिए। इससे हिचकी के लिए जिम्मेदार मांसपेशियों को आराम मिलता है। लेकिन ध्यान रखें कि आपका बच्चा बहुत छोटा है। अतः उन्हें बड़े लोगों की तरह चाय न पिलाएं। नवजात शिशु को चाय पिलाने के लिए ड्राॅपर का इस्तेमाल करें। ड्राॅपर की मदद से चाय की कुछ बूंदे बच्चे के मुंह में डालें। ऐसा तब तक करें जब तक हिचकी रुक न जाए।

पेट के ऊपरी हिस्से में दबाव बनाएं:
नवजात शिशु या छोटे बच्चे में जब लंबे समय से हिचकी आ रही हो तो उसके पेट के ऊपरी हिस्से पर हल्के हाथों से ऊपर से नीचे की ओर दबाव बनाएं। जैसे-जैसे आप दबाव बनाएंगे, वैसे-वैसे उसकी हिचकी कम होती रहेगी।

बच्चे की सांस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान दें
हिचकी रोकने के लिए कई उपाय मौजूद हैं जैसे पेपर बैग में मुंह डालकर सांस लेना या फिर सांस को कुछ देर रोके रखना। इसके बाद ठीक हिचकी आने के समय झटके से सांस मुंह से छोड़ें। हिचकी आनी बंद हो जाएगी। अपने बच्चे के लिए आप इनमें से जिस उपाय को उपयुक्त समझते हैं, उसे आजमाएं। यदि बच्चे के साथ ये दोनों उपाय आजमाना संभव नहीं है, तो इसे न करें।

बच्चे का ध्यान भटकाएं: 
छोटे बच्चे को जब हिचकी शुरू हो और लंबे समय तक खत्म न हो तो उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करें। ध्यान भटकाने के लिए उसे छोटी-छोटी चीजों से डरा सकती हैं। लेकिन इतना भी न डराएं कि वह बहुत ज्यादा डर जाए। अगर डराने का उपाय काम न करे तो उसके साथ खेलें। इससे भी बच्चे का ध्यान भटक सकता है।

नवजात शिशु को ठंडा पानी पिलाएं: 
हिचकी आने पर बच्चे को ठंडा पानी पिलाएं। इससे डायफ्राम को आराम मिलता है और हिचकी कम होती है। यह उपाय काफी मददगार है। इससे तुरंत हिचकी खत्म हो जाती है और आप सामान्य महसूस करते हैं। नवजात शिशु या छोटे बच्चे पर भी यह उपाय कारगर है।

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लंबे समय से चल रही बच्चे की हिचकी चिंता का विषय है। ऐसे में पैरेंट्स अक्सर हर तरह के उपाय आजमाने लगते हैं। जबकि कुछ उपाय ऐसे भी हैं, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, जैसे:

मिर्च का पानी न पिलाएं:
बच्चे को मिर्च का पानी कभी न पिलाएं। हालांकि तीखा खाना खाने से हिचकी से छुटकारा मिल जाता है, लेकिन कई बार तीखा खाना खाने से हिचकी शुरू भी हो जाती है। छोटे बच्चे के लिए यह बिल्कुल भी फायदेमंद उपाय नही है। इससे उसकी हिचकी ठीक हो न हो, वह परेशान जरूर हो सकता है।

झुलाते समय या खेलते समय उसे पानी न पिलाएं: 
बच्चे को झुलाते या खेलते समय उसे पानी कभी न पिलाएं। खेलते-खेलते पानी पीने से भी हिचकी आती है। इतना ही नहीं गले में पानी अटक सकता है जो और गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

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