जैसा कि आप जानते ही हैं कि बड़े या बच्चों में हिचकी अपने आप कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाती है। लेकिन यदि ऐसा न हो तो निम्नलिखित कुछ घरेलू उपायों को आजमा सकते हैं:
कैमोमाइल, सौंफ और पुदीना की चाय:
विशेषज्ञों के अनुसार छोटे बच्चों में हिचकी आने पर कैमोमाइल, सौंफ और पुदीने की चाय पिलानी चाहिए। इससे हिचकी के लिए जिम्मेदार मांसपेशियों को आराम मिलता है। लेकिन ध्यान रखें कि आपका बच्चा बहुत छोटा है। अतः उन्हें बड़े लोगों की तरह चाय न पिलाएं। नवजात शिशु को चाय पिलाने के लिए ड्राॅपर का इस्तेमाल करें। ड्राॅपर की मदद से चाय की कुछ बूंदे बच्चे के मुंह में डालें। ऐसा तब तक करें जब तक हिचकी रुक न जाए।
पेट के ऊपरी हिस्से में दबाव बनाएं:
नवजात शिशु या छोटे बच्चे में जब लंबे समय से हिचकी आ रही हो तो उसके पेट के ऊपरी हिस्से पर हल्के हाथों से ऊपर से नीचे की ओर दबाव बनाएं। जैसे-जैसे आप दबाव बनाएंगे, वैसे-वैसे उसकी हिचकी कम होती रहेगी।
बच्चे की सांस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान दें
हिचकी रोकने के लिए कई उपाय मौजूद हैं जैसे पेपर बैग में मुंह डालकर सांस लेना या फिर सांस को कुछ देर रोके रखना। इसके बाद ठीक हिचकी आने के समय झटके से सांस मुंह से छोड़ें। हिचकी आनी बंद हो जाएगी। अपने बच्चे के लिए आप इनमें से जिस उपाय को उपयुक्त समझते हैं, उसे आजमाएं। यदि बच्चे के साथ ये दोनों उपाय आजमाना संभव नहीं है, तो इसे न करें।
बच्चे का ध्यान भटकाएं:
छोटे बच्चे को जब हिचकी शुरू हो और लंबे समय तक खत्म न हो तो उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करें। ध्यान भटकाने के लिए उसे छोटी-छोटी चीजों से डरा सकती हैं। लेकिन इतना भी न डराएं कि वह बहुत ज्यादा डर जाए। अगर डराने का उपाय काम न करे तो उसके साथ खेलें। इससे भी बच्चे का ध्यान भटक सकता है।
नवजात शिशु को ठंडा पानी पिलाएं:
हिचकी आने पर बच्चे को ठंडा पानी पिलाएं। इससे डायफ्राम को आराम मिलता है और हिचकी कम होती है। यह उपाय काफी मददगार है। इससे तुरंत हिचकी खत्म हो जाती है और आप सामान्य महसूस करते हैं। नवजात शिशु या छोटे बच्चे पर भी यह उपाय कारगर है।
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