बच्चे के विकास के लिए मां के दूध से बेहतर और कुछ नहीं होता है। आप अपने बच्चे के विकास के लिए पौष्टिक आहार व अन्य सप्लीमेंट्स क्यों न दें, लेकिन इसके बावजूद भी स्तनपान बच्चे के पोषण का अनिवार्य हिस्सा होता है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ बच्चे की इस आदत को छुड़ाना भी बेहद जरूरी हो जाता है। बच्चे को दूध छुड़ाने के लिए कई महिलाओं को बेहद मेहनत करनी पड़ती है। कई उपायों को आजमाने के बाद भी कुछ बच्चे दूध पीने के आदत को नहीं छोड़ते हैं।

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महिलाओं को आने वाली इसी परेशानी को इस लेख में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें बच्चे को दूध छुड़ाने का सही समय, बच्चे को दूध छुड़ाने में कितना समय लगता है, दूध छोड़ते समय बच्चे के शरीर में क्या बदलाव आते हैं और बच्चे को दूध छुड़ाने का तरीका व उपाय, आदि को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. बच्चे को दूध छुड़ाने का सही समय - Bache ko doodh chudane ka sahi samay
  2. बच्चे को दूध छुड़ाने में कितना समय लगता है - Bache ko doodh chudane me kitna samay lagta hai
  3. दूध छोड़ते के समय बच्चे के शरीर में क्या बदलाव होते हैं - Doodh chodte samay bache ke sharir me hone vale badlav
  4. बच्चे को दूध छुड़ाने का तरीका व उपाय - Bache ko doodh chudane ka tarika aur upay
बच्चे को दूध छुड़ाने का तरीका के डॉक्टर

जन्म के बाद कम से कम पहले वर्ष तक बच्चे को निरंतर मां के दूध की आवश्यकता होती है। इसके बाद बच्चे की आवश्यकता के अनुसार महिलाएं बच्चे को दूध पिलाना जारी रख सकती हैं। वैसे छह माह तक बच्चा केवल मां के दूध से ही सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करता है और छह माह के बाद वह दूध के साथ अन्य ठोस आहार लेना भी शुरू कर देता है। इस दौरान भी बच्चे के लिए पोषक तत्व और कैलोरी का मुख्य स्त्रोत मां का दूध ही होता है।

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इसके साथ ही लंबे समय तक बच्चे को दूध पिलाने से मां और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत बनते हैं। अध्ययन से इस बात का पता चला है कि विशेष रूप से पिछड़े और गरीब देशों में बच्चों को दो साल तक दूध पिलाना उसके विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। अन्य अध्ययन से पता चला कि बच्चों को लंबे समय तक दूध पिलाने से उनका दिमागी विकास तेजी से होता है। इतना ही नहीं कुछ तथ्य यह भी बताते हैं कि बच्चे को अधिक समय तक दूध पिलाने से वह तेजी से बोलना और चलना सीखते हैं।

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कई विशेषज्ञ मानते हैं कि मां अपने बच्चे को जब तक दूध पिलाना चाहे पिला सकती हैं। बच्चे को कब तक दूध पिलाना चाहिए यह मां की इच्छा पर निर्भर करता है और वह ही बच्चे को दूध छुड़ाने का निर्णय ले सकती है। वहीं कुछ विशेषज्ञ बच्चे को दो साल का होने तक दूध पिलाना सही मानते हैं। दो साल तक बच्चे को दूध पिलाने से उसकी जिदंगी की बेहतर शुरूआत होती है। इस समय बच्चे को दूध छुड़ाना सही विकल्प होता है। बच्चे को दूध पिलाने का समय उसके स्वास्थ्य व अन्य कारणों पर भी निर्भर करता है।  

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बच्चे को दूध छुड़ाने की प्रक्रिया हर किसी में अलग-अलग होती है। यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बच्चा कितना जल्दी मां का दूध छोड़ने में सहज होता है। बच्चा धीरे-धीरे दूध पीने की आदत को छोड़ता है। बच्चे या मां के बीमार होने की स्थिति में इस प्रक्रिया को और धीमा किया जा सकता है। बच्चे को पूरी तरह से दूध छुड़ाने में मां को कई बार एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक का समय लग सकता है।

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बच्चे को धीरे-धीरे दूध पिलाने की आदत छुड़ाने से, स्तनों में होने वाली सूजन से महिला का बचाव होता है। बच्चे के दूध पीने की आदत को जल्द छुड़ाने के लिए महिला अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं।

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स्तनपान न करने या मां का दूध छोड़ने से बच्चे के शरीर में कुछ बदलाव हो सकते हैं। मां का दूध न पीने की स्थिति में मुख्य रूप से बच्चे के मल त्याग करने की आदत में बदलाव आ जाता है।

डिब्बे वाला दूध लेते समय बच्चे को स्तनपान के मुकाबले कम मल आने की संभावना होती है। साथ ही बच्चे का मल पहले से ज्यादा सख्त भी हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि मां का दूध छोड़ने के दौरान बच्चे को मालूमी रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या भी हो सकती है। बच्चे की आयु के आधार पर उसको दूध छोड़ते समय गैस और ऐंठन की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से 6 से 12 माह के बच्चों को यह समस्या होने की संभावना होती है।  

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बच्चे को दूध छुड़ाने के कुछ आसान तरीकों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. दूध छुड़ाने के लिए बच्चे को तैयार करें –
    अपने बच्चे को स्तनपान छुड़ाने से पहले आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि वह इस आदत को छोड़ने के लिए तैयार हो। स्तनपान छुड़ाने से पहले आपको बच्चे को बोतल या कप से दूध पिलाने की आदत डालनी चाहिए। (और पढ़ें - बच्चे की मालिश कैसे करें)
     
  2. बच्चे को अन्य आहार दें –
    बच्चे के खाने की आदत को बदलने के लिए आपको उसे डिब्बे वाला दूध या अन्य खाद्य पदार्थ देना शुरू करना चाहिए। अन्य ठोस खाद्य पदार्थ देते समय भी बच्चे को स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। इसके लिए आप डिब्बे वाले दूध और अन्य खाद्य पदार्थ के साथ अपने दूध को मिलाकर बच्चे को दे सकती हैं। बच्चे को मां के दूध के साथ अन्य खाद्य पदार्थ थोड़ा-थोड़ा देना शुरू करना चाहिए, यदि आप स्तनपान की जगह बच्चे को अचानक कुछ अन्य खाद्य पदार्थ देंगी, तो वह खाने के लिए माना भी कर सकता है। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के उपाय)
     
  3. स्तनों पर दबाव न डालें –
    स्तनपान के दौरान जब बच्चा मां के निप्पल से दूध पीता है तो निप्पल अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में आपको उन गतिविधियों को करने से बचना चाहिए जिनकी वजह से निप्पल में रगड़ लगे। स्तनपान को छुड़ाने वाली मां को रात में अपनी पीठ के बल पर ही सोना चाहिए, इससे महिला के स्तनों पर दबाव नहीं पड़ता है। इसके चलते स्तन में दूध बनने की प्रक्रिया में कमी होती है और बच्चे को दूध छुड़ाने में सहायता होती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
     
  4. बच्चे को रात में पैसिफायर दें –
    सामान्यतः बच्चों को रात में सोते समय चूसने की आदत होती है। ऐसे में आप बच्चे को पैसिफायर (pacifier: प्लासिक का कृत्रिम निप्पल) दें सकती हैं। पैसिफायर से बच्चे बच्चे की स्तनपान पर निर्भरता कम हो जाती है। बच्चे को इसका लगातार इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए। (और पढ़ें - बच्चे को मिट्टी खाने की आदत)
     
  5. अकेले सोना –
    बच्चे के साथ सोना मां और बच्चे के रिश्ते का सबसे खास पल होता है। लेकिन बच्चे का दूध छुड़ाने के लिए आपको उसके साथ नहीं सोना चाहिए। इसके लिए आप बच्चे के बेड के पास ही थोड़ी दूरी पर सो सकती हैं। अगर आप बच्चे के पास सोती हैं तो वह रात को स्तनपान करने जिद कर सकता है। (और पढ़ें - पोलियो का टीका कब, क्यों लगवाना चाहिए)
     
  6. बच्चे का ध्यान किसी अन्य चीज पर लगाएं -
    बच्चा जब भी स्तनपान का संकेत दें, तब उसका ध्यान किसी अन्य चीज पर लगाएं, जैसे – गाना गाए, उसके साथ खेले या उसको कहीं बाहर घूमने ले जाएं। (और पढ़ें - बच्चे कब कैसे बोलना सीखते)
     
  7. पत्तागोभी के पत्ते –
    यह उपाय कुछ अजीब लग सकता है, लेकिन महिलाएं इस उपाय का प्रयोग काफी समय से करती आ रही हैं। इसमें महिलाओं को अपने स्तन पर ब्रा के अंदर गोभी के पत्ते रखने होते हैं। इस प्रयोग में पत्तागोभी के पत्तों से महिला के स्तनों का दूध सूख जाता है। इस थेरेपी को कुछ दिनों तक आजमाना चाहिए। इस थेरेपी को करते समय आपको हर दिन गोभी के पत्तों को बदलना होता है। इससे जब आपके स्तनों में दूध कम हो जाता है, तो बच्चा अपनी भूख को मिटाने के लिए खाने के नए विकल्पों को चुन लेता है।  

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संदर्भ

  1. Huggins K. The Nursing Mother's Guide to Weaning: How to Bring Breastfeeding to a Gentle Close and How to Decide When the Time Is Right Revised edition. Harvard Common Press, 17 September 2010; 224 pages
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  3. Odom E.C. et al. Reasons for Earlier Than Desired Cessation of Breastfeeding. Pediatrics, March 2013; 131(3)
  4. Hotham N. and Hotham E. Drugs in breastfeeding . Aust Prescr., 1 October 2015; 38(5):156–159. PMID: 26648652
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