बड़ों की ही तरह बच्चों को भी नींद न आने की यह समस्या ज्यादातर मामलों में समय के साथ खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन अगर यह समस्या हफ्ते में 3 दिन और 3 महीने से ज्यादा समय तक जारी रहे, जिसके कारण बच्चे की दिन की गतिविधियां प्रभावित हो रही हों तो इसे नींद से जुड़ी बीमारी के तौर पर देखा जा सकता है। ऐसे में हम आपको कुछ सामान्य कारणों के बारे में बता रहे हैं जिनकी वजह से बच्चों को नींद आने में मुश्किल होती है:
सोने के समय से जुड़े डर : बच्चों के लिए सोने के समय से जुड़ा डर या चिंता, नींद न आने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। हो सकता है कि बच्चे को अंधेरे से डर लगता हो या फिर उसे अकेले सोने में डर लगता हो। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं इस तरह के डर खत्म हो जाते हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का कमरा शांत और रिलैक्स्ड हों जहां वह बिना डर के आराम से सो सके। कमरे में ऐसी कुछ चीजें लगाएं जो बेड पर लेटने के बाद भी दिखें और बच्चे को उसे देखकर अच्छा महसूस हो। परिवार के सदस्यों की तस्वीरें या फिर कोई और तस्वीर या कार्टून जो बच्चे को पसंद हो।
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बुरे सपने का डर: हो सकता है कि आपके बच्चे को रात में सोते वक्त डरावने सपने आ रहे हों और इस कारण ही वह रात में नींद से जग रहा हो? कई बार बच्चे जब कोई डरावनी या हिंसक फिल्म, टीवी शो देख लें या कोई डरावनी किताब पढ़ लें तो इस कारण भी उन्हें रात में सोते वक्त बुरे या डरावने सपने आ सकते हैं। लिहाजा सोने से पहले या दिन और शाम के समय आपके बच्चे क्या देख या पढ़ रहे हैं उस पर भी आपकी नजर होनी चाहिए। आप चाहें तो सोने से पहले बच्चे को कोई अच्छी पॉजिटिव कहानी सुना सकती हैं या फिर कोई शांत म्यूजिक सुना सकती हैं ताकि उसे अच्छी नींद आए।
चिंता या तनाव : जब आपके बच्चे किसी बात को लेकर परेशान होते हैं तब भी उन्हें नींद नहीं आती और अनिद्रा की समस्या हो सकती है। स्कूल में होने वाले टेस्ट या एग्जाम की चिंता, स्कूल के बाद की ऐक्टिविटीज की चिंता, स्पोर्ट्स ऐक्टिविटी में फर्स्ट आने की चिंता हो या फिर दोस्तों से जुड़ी कोई और बात। ऐसे में अगर आपको महसूस हो कि आपका बच्चा किसी तरह के चिंता या तनाव में है तो खुद बच्चे से बात करें। उनसे पूछें कि स्कूल और दोस्तों के साथ सब ठीक है या नहीं, कोई उन्हें स्कूल में डरा-धमका तो नहीं रहा (bullying)। जहां तक संभव हो बच्चे की चिंता दूर करने में उसकी मदद करें।
परिवार से जुड़ी कोई समस्या : माता-पिता का झगड़ा, उनकी शादी से जुड़ी समस्याएं, घर में नए बच्चे का आगमन और पैरंट्स द्वारा नए बच्चे पर ज्यादा ध्यान देना- इस तरह की पारिवारिक समस्याओं की वजह से भी कई बार बच्चों को नींद नहीं आती और वे अनिद्रा का शिकार हो जाते हैं।
सोने के समय से जुड़े व्यवहार : बेहद जरूरी है कि बच्चा सोने से कम से कम 1-2 घंटे पहले ही टीवी, मोबाइल आदि देखना बंद कर दे ताकि उसकी आंखों को आराम मिल सके। अगर बच्चे के स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा है खासकर बेडरूम में तो इस वजह से भी बच्चे को नींद आने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
वातावरण से जुड़े कारण : उदाहरण के लिए- सोने का कमरा अगर बहुत ज्यादा गर्म या ठंडा हो या फिर वहां बहुत शोरगुल हो रहा हो।
चिकिसीय समस्याएं : अगर बच्चे को कोई बीमारी हो जैसे- अस्थमा, स्लीप एपनिया या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम तो इसकी वजह से भी बच्चे को नींद आने में दिक्कत होती है। इसके अलावा अगर बच्चे को कान या दांत में इंफेक्शन या दर्द हो, स्किन एक्जिमा हो या सर्दी-जुकाम हो तो इस कारण भी नींद नहीं आती या बार-बार नींद खुल जाती है।
बहुत ज्यादा कैफीन का सेवन करना: बहुत से एनर्जी ड्रिंक और सोडा में कैफीन की अधिक मात्रा होती है जिसकी वजह से बच्चे को नींद आने में मुश्किल महसूस होती है। लिहाजा इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा इस तरह की चीजों का कम से कम सेवन करे।
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दवाइयों का दुष्प्रभाव : कई तरह की दवाइयां जैसे- हाइपरऐक्टिविटी डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां या फिर डिप्रेशन के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों की वजह से भी बच्चों में अनिद्रा की समस्या हो सकती है।